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भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य आदि ग्रह अपने परिभ्रमण पथ पर निरंतर गतिमान रहते हैं। अर्थात वे सदैव आगे बढ़ते रहते हैं, इसी गतिविधि को ग्रहों का गोचर (Gochar) कहते हैं जिसे संस्कृत भाषा के अनुसार गमन करना, या ग्रहो की चाल कहा गया है। हमारे सौर मंडल में जब नवग्रह प्रति क्षण गोचर करते रहते हैं। उनके गति करने के या परिभ्रमण करने से हमारे जीवन के ऊपर और समस्त जीवन जगत ही नहीं बल्कि समस्त ब्रह्मांड प्रभावित होता हैं। ग्रहों के लिए प्रतिक्षण गोचर करने से समस्त प्राणियों का, यहाँ तक कि मनुष्य एवं सभी जीव संसार का जीवन प्रभावित होता है।
क्योंकि सभी ग्रहों की गति भिन्न होती है। जिस प्रकार से चंद्रमा मात्र सवा दो दिन में एक राशि को गोचर करते हैं, वहीं सूर्य ग्रह के 30 दिनों में, (30 डिग्री कोण) एक राशि का गोचर ही करते हैं। वहीं अगर हम मंगल और बृहस्पति ग्रह की बात करे तो वो सवा साल (वर्ष) में अपनी राशि को परिवर्तित करते हैं। इसी प्रकार से शनि ग्रह पूरे ढाई वर्ष में अपनी राशि को परिवर्तित एवं प्रभावित करते हैं। जीवन ही नहीं जीव मात्र का वर्तमान एव भविष्य प्रभावित होता है | इसके अलावा ग्रहों के प्रभाव से मनुष्य की पीढ़ियां भी प्रभावित होती रहीं हैं। इनको समझने के लिए हम इसे एक उदाहरण से भी समझ सकते हैं। जिस प्रकार से एक विशेष समय में ईस्ट इंडिया कम्पनी का पूरे विश्व के ऊपर राज्य रहा है, एवं उनका वर्चस्व बड़ी ही प्रभावी स्तिथि में एक लम्बे दौर तक रहा। इसके अलावा इतिहास की बहुत सारी ऐसी घटनाएँ भी हुई हैं जो दर्शाती है कि एक विशिष्ट समय में कुछ विशेष प्रकार के कुछ कार्य अथवा घटनाक्रम घटते चले गए, जैसे की एच. आई. वी. वाइरस, प्लैग या कैंसर का फैलना भी ग्रहों के गोचर से ही प्रभावित होता है।
ग्रह गोचर, वैदिक ज्योतिष की गणित (सिधांत) और फलित शाखा का एक अभिन्न अंग है। जिस प्रकार से शरीर में रक्त का प्रवाह होता है, जो की जीवन का कारक है। जिस प्रकार से यातायात की व्यवस्था से देश और राज्य चलते है, ठीक उसी प्रकार से वैदिक ज्योतिष में ग्रहों का गोचर है। जब ग्रह आकाश में अपने परिभ्रमण पथ पर नियमित रूप से अग्रसित होते हैं तो उसी भ्रमण की अवस्था को गोचर कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र में मन गया हैं की ग्रहो और नक्षत्रों का प्रभाव सीधा मनुष्य की जीवन पर होता हैं। ग्रहों के गोचर की गति के कारण ही संसार गतिमान हैं। वैदिक ज्योतिष में कहा गया हैं की संसरति इति संसाराअर्थात जो लगातार गतिमान है वही संसार है। सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, और केतु के द्वारा नित्य जो मेष आदि बारह राशियों में परिक्रमा की जाती है और उसी के कारण जो उनकी अलग-अलग प्रकार की गति अलग-अलग प्रकार के सम्बन्ध व अलग-अलग प्रकार की स्तिथियाँ ही ज्योतिषीयो के गणना का आधार है। ग्रह गोचर सभी प्राणी जगत की लगातार परिवर्तित होने वाली अवस्था का कारण है। हम कह सकते है की ग्रह गोचर के बिना हम ज्योतिष शास्त्र और यहां तक की इस ब्रह्मांड की कल्पना भी नहीं कर सकते है। आइये जानते हैं की कब और किस राशि में किस ग्रह का आगमन हो रहा हैं। ग्रहो के इस गोचर 2022 का आपकी राशि पर क्या प्रभाव होगा। जानिए सम्पूर्ण जानकारी ग्रहो के राशि परिवर्तन को लेके।