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कुंभ राशि (Aquarius) का स्थान राशि चक्र और तारामंडल में ग्यारहवें स्थान पर है। यह पश्चिम दिशा में वास करने वाली शीर्षोदयी राशि है। तारामंडल में इस राशि का प्रारंभ 301 डिग्री से लेकर 330 डिग्री के अंतर्गत होता है। कुंभ राशि की आकृति दोनों हाथों में कलश लिए हुए पुरुष के समान मानी गई है। कुंभ राशि स्थिर संज्ञत तथा क्रूर प्रकृति की वायु तत्व मानी गई है। कुंभ राशि का स्वामी शनि है। इस राशि का वर्ण पीला धूम्र है। कालपुरुष के शरीर में कुंभ राशि का स्थान दोनों पैरों की पिंडलियों में कहा गया है। कुंभ राशि का निवास स्थान जलकुंभ रखने की जमीन, समुद्र तथा जलपात्र है। कुंभ राशि (Kumbh Rashi) राशि पुरुष लिंग, ह्रस्वा और क्रूर राशि है।
सभी राशियों के समान ही कुंभ राशि के दो होरा होते हैं। पहली होरा 15 अंश और दूसरी होरा भी 15 अंश के होते हैं। पहली होरा के स्वामी सूर्य और दूसरी होरा के स्वामी चंद्रमा कही गई है। इसी तरह कुंभ राशि के तीन द्रैष्काण होते हैं। एक द्रैष्काण दस डिग्री का होता है। तो तीनों द्रैष्काण में तीस डिग्री की पूरी राशि आ जाती है। कुंभ राशि के पहले द्रैष्काण का स्वामी शनि, दूसरे का स्वामी बुध और तीसरे द्रैष्काण का स्वामी शुक्र होता है।
कुंभ राशि (Aquarius) के 7 सप्तमांश होते हैं। पहले सप्तमांश का स्वामी शनि है, दूसरे का बृहस्पति, तीसरे का स्वामी मंगल, चौथे का स्वामी शुक्र, पांचवे का स्वामी बुध, छठे का चंद्र और सातवें का स्वामी सूर्य कहा गया है।
कुंभ राशि (Aquarius in Hindi) के 9 नवमांश होते हैं। एक नवमांश 3 अंश और 20 विकला से बना है। कुंभ राशि के पहले नवमांश का स्वामी शुक्र, दूसरे का मंगल, तीसरे का बृहस्पति, चौथे का शनि, पांचवे का भी शनि, छठे का बृहस्पति, सातवें का मंगल, आठवें का शुक्र, नौवें का बुध कहा गया है। इसी प्रकार कुंभ राशि के 10 दशमांश कहे गए हैं। हर एक दशमांश 3 अंश के होते हैं। पहले दशमांश का स्वामी शनि, दूसरे का बृहस्पति, तीसरे का मंगल, चौथे का शुक्र, पांचवे का बुध, छठे का चंद्र, सातवें का सूर्य, आठवें का बुध, नौवें का शुक्र और दसवें का स्वामी मंगल कहा गया है।
अब आते हैं कुंभ राशि (Aquarius) के द्वादशांश की ओर। कुंभ राशि (Kumbh Rashi) के 12 द्वादशांश होते हैं। हर एक द्वादशांश 2 अंश और 30 कला के होते हैं। कुंभ राशि के पहले द्वादशांश का स्वामी शनि, दूसरे का बृहस्पति, तीसरे का मंगल, चौथे का शुक्र, पांचवे का बुध, छठे का चंद्र, सातवें का सूर्य, आठवें का बुध, नौवें का शुक्र, दसवें का स्वामी मंगल, ग्यारहवें का बृहस्पति और बारहवें का स्वामी शनि है। इसी क्रम में कुंभ राशि के 16 षोडशांश होते हैं। पहले षोडशांश का स्वामी सूर्य, दूसरे का बुध, तीसरे का शुक्र, चौथे का मंगल, पांचवे का बृहस्पति, छठे का शनि, सातवें का भी शनि, आठवें का बृहस्पति, नौवें का मंगल, दसवें का स्वामी शुक्र, ग्यारहवें का बुध, बारहवें का स्वामी चंद्रमा, तेरहवें का सूर्य, चौदहवें का बुध, पंद्रहवें का शुक्र और सोलहवें का स्वामी मंगल है। इसी तरह कुंभ राशि के 5 त्रिशांश होते हैं। कुंभ राशि का पहला त्रिशांश 5 अंश का और इसके स्वामी मंगल हैं। दूसरा त्रिशांश 5 अंश का और इसका स्वामी शनि है। तीसरा त्रिशांश 8 अंश का और इसके स्वामी बृहस्पति हैं। चौथा त्रिशांश 7 अंश का और इसके स्वामी बुध हैं। पांचवा त्रिशांश 5 अंश का और इसके स्वामी शुक्र होते हैं।
कुंभ राशि के 60 षष्ट्यंस होते हैं। एक षष्ट्यंस 30 कला अर्थात आधा अंश का होता है। इनके स्वामी कुछ इस प्रकार हैं। पहला घोर, दूसरा राक्षस, तीसरा देव, चौथा कुबेर, पांचवा यक्ष, छठा किन्नर, सातवां भ्रष्ट, आठवां कुलघ्न, नौवां गरल, दसवां अग्नि, 11वां माया, 12वां यम, 13वां वरुण, 14वां इंद्र, 15वां कला, 16वां सर्प, 17वां अमृत, 18वां चंद्र, 19वां मिर्दु, 20वां कोमल, 21वां पद, 22वां स्वामी विष्णु, 23वां स्वामी वागीश, 24वां स्वामी दिगंबर, 25वां स्वामी देव, 26वां आर्द्र, 27वां कलिनाश, 28वां क्षितिज, 29वां मलकर, 30वां मन्दात्मज, 31वां मृत्यु, 32वां काल, 33वां दावाग्नि, 34वां घोर, 35वां अधम, 36वां कंटक, 37वां सुधा, 38वां अमृत, 39वां पूर्णचंद्र, 40वां विश्दाग्ध, 41वां कुलनाश, 42वां मुख्या, 43वां वन्शछय, 44वां उत्पात, 45वां कालरूप, 46वां सौम्य, 47वां मृदु, 48वां सुशीतल, 49वां दृष्टकराल, 50वां इन्दुमुख, 51वां प्रवीण, 52वां कालाग्नि, 53वां दंडायुत, 54वां निर्मल, 55वां शुभ, 56वां अशुभ, 57वां अतिशित, 58वां सुधासयो, 59वां भ्रमण, 60वां इन्दुरेखा है। कुल मिलाकर ये सभी 60 षष्ट्यंस अपने नाम के अनुसार कुंभ राशि के जातकों को शुभ और अशुभ फल देते हैं।
कुंभ राशि (Aquarius) में सत्ताइस नक्षत्रों के 108 चरणों में कुल नौ चरण धनिष्ठा से पूर्वभाद्रपदा तक जिसमें कि धनिष्ठा नक्षत्र के दो चरण जिसके वर्ण अक्षर हैं। धनिष्ठा 3 गू, 4 गे, शतभिषा 1 गो, 2 सा, 3 सी, 4 सू, पूर्वाभाद्रपदा 1 से, 2 सो, 3 दा कुल मिलाकर के ये नौ चरण कुंभ राशि के हैं। प्रत्येक चरण 3।20 डिग्री का है और सभी चरणों के नक्षत्र स्वामी भी शनि के साथ अलग-अलग होते हैं। कुंभ राशि (Kumbh Rashi) दिन के समय सबसे अधिक बलशाली होता है और इसे दिनबली राशि भी कहते हैं।