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चन्द्रराशि

जातक की जन्म कुंडली में चंद्रमा जो कुंडली के अंदर एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक माना जाता है, वह जन्म के समय जिस राशि में स्थित होता है वह राशि चंद्र राशि बोली जाती है| कई ज्योतिषाचार्य इसको जन्म राशि के नाम से भी जानते हैं|

वैदिक ज्योतिष में सभी ग्रहों के अंदर सबसे अधिक महत्व अगर किसी ग्रह को दिया गया है तो वह चंद्र ही है| इसी चन्द्र राशि को नाम राशि भी बोला जाता है| आपको बता दें कि बालक का नाम भी इसी चंद्र राशि के अनुसार ही रखने की परंपरा सालों से चलती हुई चली आ रही है|

चंद्र राशि को कुंडली में सबसे अधिक महत्व इसलिए दिया गया है क्योंकि चंद्रमा जातक के व्यवहार और उसके मन को नियंत्रित करता है| चंद्रमा ही बताता है कि बड़ा होकर जातक किस तरीके के कामों में खुद को सबसे अधिक खुश रख पाएगा और उसका व्यवहार समाज में किस तरीके का रहने वाला है| इसलिए चंद्र राशि का बड़ा महत्व बताया गया है|

किसी जातक के जीवन में सुख और दुख किस मात्रा में आएगा और जातक अक्सर किस तरीके का व्यवहार करता हुआ नजर आएगा यह सब चंद्र ग्रह काफी हद तक तय करता है| चंद्रमा ग्रह व्यक्ति के सुख और दुख व साथ ही साथ भोग विलास की वस्तु को भी निर्धारित करता है| इसलिए चंद्र ग्रह का महत्व कुंडली में काफी अधिक माना जाता है|

विवाह के समय वर वधू की कुंडली का मिलान करने के लिए भी जन्म राशि का प्रयोग किया जाता है और यह जन्म राशि चंद्र राशि ही बोली जाती है| इसलिए कुंडली में चंद्र राशि का महत्व काफी अधिक बताया गया है|

‘चंद्रमा मनसो जायता’ इस वैदिक सूक्ति का अर्थ किया जाता है कि चन्द्र ग्रह से मन को और उसकी वृति को जाना जा सकता है| जिस प्रकार सूर्य से आत्मा आदि के बारे में ज्योतिष शास्त्र में विश्लेषण किया जाता है, ठीक उसी प्रकार से चन्द्रग्रह मन-मस्तिष्क के बारे में ज्ञान प्राप्त कराते हैं|

सौरचक्र से आगे नक्षत्र मंडल में 27 नक्षत्र विद्यमान बताये गए हैं| एक नक्षत्र के चार चरण होते है, और 9 चरणों की एक राशि होती है| इस प्रकार चंद्रमा सवा-दो दिन में एक राशि और लगभग 27 दिन कुछ घंटो में 12 राशियों का परिभ्रमण पूर्ण करता है| जिसको चंद्रमास के नाम से भी जाना जाता है| चंद्र ग्रह के द्वारा जो लगभग 54 घंटे में सवा दो नक्षत्र का परिभ्रमण किया जाता है, उसी को चन्द्रराशि के नाम से भी जाना जाता है| चंद्रराशि के द्वारा मनोदशा का ज्ञान किया जाता है|

आज आज विज्ञान के दौर में कई बार बालक के जन्म के समय चंद्र राशि जानने की परंपरा खत्म की जा रही है लेकिन आपको बता दें कि अगर बालक के जन्म पर ही सही तरीके से चंद्रमा की स्थिति का अध्ययन ना किया जाए तो बालक की कुंडली आगे चलकर पूरी तरीके से संभावनाओं पर निर्भर हो जाती है और बालक जीवन भर अपनी सही ग्रहों की दशा नहीं जान पाता है|

इसलिए बालक के जन्म के समय माता पिता को चंद्र राशि का ध्यान काफी अधिक और सजगता से देना चाहिए| अगर आप भी अपने बालक की चंद्र राशि और उसके अनुसार बालक का भविष्यफल जानना चाहते हैं तो आपको जल्द से जल्द एस्ट्रोस्वामीजी की ज्योति सेवा से संपर्क कर लेना चाहिए|