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Chhath Puja 2025 - कब है छठ पूजा तिथि व पूजा मुहूर्त

भारत को त्योहारों का देश यूं ही नहीं कहा जाता है। यहां होली, रक्षाबंधन, दशहरा, दिवाली, भाईदूज, गुरु पर्व और ईद का अपना अलग ही महत्व है। इन त्योहारों की धूम न केवल देश में बल्कि विदेश में भी देखने को मिलती है। विदेश में भारतीय प्रवासी इन त्योहारों का जमकर लुत्फ उठाते हैं।यह पर्व बिहारवासियों के लिए खास महत्व रखता है। लेकिन बिहार के साथ यूपी, पूर्वांचल, झारखण्ड और नेपाल के कई हिस्सों में मनाया जाने वाला यह लोकपर्व आज महापर्व का रूप ले चुका है। चार दिन तक चलने वाले इस त्यौहार में महिलाएं 36 घंटे का उपवास रखती हैं और अपने पति और पुत्र के लिए दीर्घायु की कामना करती हैं। आइए आपको बताते हैं छठ पर्व का महत्व, पूजा विधि, समय और इस पर्व की पौराणिक कथा।

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कब मनाया जाता है छठ पूजा (Chhath Puja)  का पर्व

छठ पर्व की महिमा अपार है, शास्त्रों के अनुसार छठ पूजा कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक होती है। इस बार यह नहाय खाय के साथ 8 नवंबर को शुरू होगा और सूर्योदय अर्घ्य के साथ खत्म होगा। इसे सूर्योपासना का पर्व भी कहा जाता है। सुख-स्मृद्धि तथा मनोकामना पूर्ति के इस त्यौहार को सभी स्त्री और पुरुष समान रूप से मनाते हैं।

छठ पूजा सूर्य और प्रकृति के प्रति आभार का पर्व है। इस शुभ दिन पर दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य हेतु कुंडली मिलान अवश्य करें।

छठ पूजा की तिथि और पूजा मुहूर्त

27 अक्टूबर 2025

छठ पूजा का दिन

छठ पूजा तिथि

छठ पूजा अनुष्ठान

शनिवार

25 अक्टूबर 2025

नहाय खाय

रविवार

26 अक्टूबर 2025

खरना

सोमवार

27 अक्टूबर 2025

संध्या अर्घ

मंगलवार

28 अक्टूबर 2025

सूर्योदय/उषा अर्घ

छठ पर्व की पौराणिक कथा (Story of Chhath Puja)

प्राचीन काल से ही छठ पूजा का विशेष महत्व रहा है। इसका आरंभ महाभारत काल में कुंती ने किया था। सूर्य की आराधना से ही कुंती को पुत्र कर्ण की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद कुंती पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की, वह भगवान सूर्य का परम भक्त था, प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था। सूर्य की कृपा पाकर ही वह आगे चलकर महान योद्धा बना। इसलिए आज भी छठ पूजा में अर्घ्य दान की पद्धति प्रचलित है।

वहीं दूसरी ओर पांडवों की पत्नी द्रौपदी को भी नित्य सूर्य की पूजा करने के लिए जाना जाता है। वे अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य देव की पूजा किया करती थी। जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था। इस छठ के व्रत से द्रौपदी की सभी मनोकामनाएं पूरी हुईं साथ ही पांडवों को राजपाट भी वापस मिल गया। 

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दरअसल, कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाले छठ पर्व पारिवारिक सुख-स्मृद्धि तथा मनोवांछित फलप्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है। छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना कि जाती है तथा गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर के किनारे पानी में खड़े होकर यह पूजा संपन्न की जाती है।

छठ पूजा का आरंभ कार्तिक माह की शुक्ल चतुर्थी व समापन सप्तमी को होता है। पहले दिन ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना किया जाता है, पंचमी को दिनभर खरना का व्रत रखने वाले व्रती शाम के समय गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन प्रसाद रूप में करते हैं। लेकिन व्रत रखने वाला व्रत समाप्त होने के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करते हैं।

छठ व्रत की पूजा विधि 

छठ पर्व से दो दिन पहले चतुर्थी के दिन स्नानादि करके भोजन किया जाता है। पंचमी को उपवास करके संध्याकाल में किसी तालाब या नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया जाता है। तत्पश्चात पारण किया जाता है। पूरा दिन बिना जल पिये नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्ध्य दिया जाता है।

अर्ध्य देने विधि 

एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढक दें। तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर निम्न मंत्रों का जाप करें।

ऊं अद्य अमुकगोत्रोअमुकनामाहं मम सर्व

पापनक्षयपूर्वकशरीरारोग्यार्थ श्री

सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।

ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।

अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥

इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्यदेव को अर्ध्य दें।

छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी पवित्रता और लोकपक्ष है। भक्ति और आध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व के लिए न तो विशाल पंडालों की, न भव्य मंदिरों की और ना ही ऐश्वर्य युक्त मूर्तियों की जरूरत होती है।

छठ पूजा के शुभ पर्व पर पितृ पक्ष श्राद्ध, उसके नियम और पितृ दोष दूर करने के प्रभावी उपाय जानना अत्यंत लाभकारी होता है :- Pitru Paksha Rules | 2025 Pitru Paksha - Shradh 2025 Significance and Importance | 10 Ways To Remove Pitra Dosh Effects and Remedies | Pitru Paksha in Hindi | 2025 पितृ पक्ष श्राद्ध – 2025 श्राद्ध में क्या करे और क्या नहीं | Pitra Dosh - पितृदोष लगने के कारण और निवारण


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