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पोंगल

जानिये 2026 में कब है पोंगल का त्यौहार और क्या है इस त्यौहार का महत्व

नए साल पर कई त्यौहार भी आने वाले है और आज हम बात करेंगे पोंगल की। बता दें कि पोंगल का त्यौहार दक्षिण भारत के राज्यों में मनाया जाने वाला एक बेहद लोकप्रिय हिन्दू त्यौहार है। जबकि यह उत्तर भारत में मकर संक्रांति के रूप में भी मनाया जाता है। इस प्रकार यह दक्षिण भारत के राज्यों में पोंगल का यह पावन त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है।

हर कठिनाई का समाधान और हर अवसर का लाभ केवल तभी संभव है जब आप ज्योतिष परामर्श के मार्गदर्शन में कदम बढ़ाते हैं।

कुछ स्रोतों के अनुसार कहा जाता है कि तमिलनाडु में नए वर्ष की शुरुआत भी पोंगल पर्व से ही मानते है। इस त्यौहार का इतिहास ज्यादा पुराना तो नहीं लेकिन लगभग एकाद हजार साल पुराना है। बता दें कि पोंगल का यह पावन त्यौहार दक्षिण भारतीय राज्यों के अलावा  निकटवर्ती देश श्रीलंका, कनाडा और अमेरिका सही कई अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन यह मुख्य रूप से तमिल लोगों का ही त्यौहार है।

2026 में कब है पोंगल का अब बात करते है अगले साल की अर्थात 2026 की कि यह पोंगल का त्यौहार कब है और उस दिन तिथि के अलावा दिन कौनसा है। तो आपको जानकारी के लिए बता दें कि अगले साल यह पोंगल का त्यौहार 15 जनवरी को बुधवार के दिन मनाया जाने वाला है। जबकि एक दिन पहले मकर संक्रांति का पर्व भी भारतवर्ष में मनाया जाता है। लेकिन मुख्य रूप से तो दक्षिण भारत में ही इसका महत्व है।

क्या है पोंगल पर्व का भारतवर्ष में महत्व

यहाँ तक तो आपको पता चल गया कि यह भारतीय दक्षिण राज्यों में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्यौहार है लेकिन अब जानते है इस त्यौहार के महत्व के बारे में। तो बता दें कि पोंगल पर्व का मूल महत्व कृषि है। जबकि सौर पंचांग के अनुसार यह त्यौहार तमिल महीनों की पहली तारीख अर्थात 14 या 15 जनवरी को आता है। जबकि तमिलनाडु राज्य में जनवरी महीने में गन्ने और धान की फसल काफी अच्छे से पक जाती है। इसी कारण प्रकृति की असीम कृपा से किसानों के खेत हरे भरे पुनः दिखने लगते है और अच्छी फसल होती है जिसके कारण सूर्य भगवान, इंद्र और गाय एवं बैल की लोग पूजा करते है। वहीं पोंगल का त्यौहार दक्षिण भारत में 3 से 4 तक मनाया जाता है। लोगों का मानना है कि इस त्यौहार पर कई लोग बुरी आदतों को छोड़ सही राह पर चलते है। 

पोंगल के त्यौहार पर होते है ये आयोजन

पोंगल का पहला दिन

जानकारी के लिए आपको बता दें कि पोंगल के पहले दिन देवराज इंद्र की बड़ी श्रद्धा से पूजा अर्चना की जाती है। इसमें औरतों होली जलाकर चारों तरफ नृत्य दिखाती है।

दूसरा दिन 

जबकि दूसरा दिन सूर्य पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दूसरे वहाँ के लोग विशेष किश्म की खीर बनाते है। 

तीसरे दिन जानवरों की पूजा

पोंगल के इस खास पर्व पर लोग तीसरे कृषि पशुओं जिसमें गायों, बैलों की पूजा करते है

चौथा और अंतिम दिन

पोंगल पर्व का अंतिम दिन कन्या पोंगल के रूप में मनाया जाता है। हालांकि इस दिन को तिरुवल्लूर के नाम से भी काफी हद तक जाना जाता है।

महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती की उपासना से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य और सुख मिलता है। इस शुभ दिन कुंडली मिलान करवाकर अपने रिश्तों को और मजबूत बनाएं।

पोंगल के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:(F&Q)

1. पोंगल क्यों मनाया जाता है?

यह फसल उत्सव है जो सूर्य देव, पृथ्वी और पशुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है
तमिलनाडु का प्रमुख त्योहार, जो तमिल नव वर्ष का प्रतीक है
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश (उत्तरायण) का प्रतीक

2. पोंगल कैसे मनाएँ?

Home की सफाई कर nuevos कपड़े put on कोलम (रंगोली) prepare मिट्टी के बर्तन में चावल-दूध से पोंगल बनाएँ सूर्य देव को अर्घ्य दें गाय-बैलों की सजाकर उनकी पूजा करें

3. पोंगल पर क्या बनाएँ?

मीठा पोंगल (चावल, दूध, गुड़) वेन पोंगल (नमकीन पोंगल) सांबर, रसम और वड़ा के साथ 
serve

4. क्या पोंगल पर व्रत रखा जाता है?

नहीं, यह उत्सव और भोज का त्योहार है, सूर्य पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करें

5. पोंगल और मकर संक्रांति में क्या 
फर्क है?

पोंगल: मुख्य रूप से तमिलनाडु में, 4 दिनों तक मकर संक्रांति: पूरे भारत में अलग-अलग नामों से

6. पोंगल पर क्या न करें?

पोंगल बनाते समय नकारात्मक बातें न करें|

महाशिवरात्रि की रात्रि में भगवान शिव की उपासना के साथ शुभ रत्न (Gemstone) धारण करें और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सफलता व आध्यात्मिक बल प्राप्त करें।

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