>
लोहड़ी भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में विशेषतः पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान जैसे राज्यों में त्योहारों का एक महत्वपूर्ण और उल्लासमय हिस्सा है। यह त्योहार मकर संक्रांति के साथ मेल खाता है और यह पूरे क्षेत्र में नए साल और फसल की कटाई का शुभ अवसर के रूप में मनाया जाता है। प्राचीन काल से चली आ रही परंपराओं का यह त्योहार, फसल की खुशी का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि यह स्थानीय सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और लोकगीतों का भी उत्सव है।
आपके आने वाले कल का हर रहस्य और वर्तमान का हर सवाल अब होगा स्पष्ट, ज्योतिष परामर्श से।
लोहड़ी का दिन खास तौर पर नए गेहूं और जौ की बालियों के साथ आग जलाने, पारंपरिक नाच-गानों और गीतों के साथ मनाया जाता है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी मिलकर आग के चारों ओर नाचते-गाते हैं, और परिवारों द्वारा घरों में पकाए गए विशेष पकवान जैसे गजक, तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां परोसते हैं। यह त्यौहार सामाजिक मेलजोल, प्रेम और सद्भावना का प्रतीक है, जिसमें घर और समुदाय के बीच खुशियों का आदान-प्रदान होता है।
लोहड़ी का त्योहार अपने साथ कई प्रतीकात्मक परंपराओं भी लेकर आता है। जैसे कि रेवड़ी, तिल, गुड़ और मूंगफली का सेवन करना, जिससे स्वास्थ्य लाभ भी होता है। इस पर्व पर लोग अपने घरों में आग जलाकर इसकी ऊंचाई तक जलते हैं, जिससे बुराई का अंत और नई शुरुआत का संदेश फैलता है। इसके अलावा, इस दिन बच्चे और युवा मिलकर पारंपरिक गीत गाते हैं और अपने परंपरागत वेशभूषा में सजीवता का प्रदर्शन करते हैं।
लोहरी के पावन अवसर पर सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य बढ़ाने के लिए अपने लिए शुभ रत्न (Gemstone) धारण करें और जीवन में समृद्धि लाएं।
यह त्योहार फसल की कटाई का ही मात्र उत्सव नहीं है, यह एक सुंदर तरीका भी है प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करना। इस द्वारा हमें यह भी पता चलता है कि पर्यावरण के साथ जीवन में संतुलन बनाकर खुशहाली कैसे लाई जाए। लोहड़ी का समारोह अपने आप में एक भरपूर सांस्कृतिक विरासत है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है और समय आने पर भी इसकी महत्ता बनी रहेगी।
लोहड़ी पर अग्नि देव की पूजा से घर-परिवार में समृद्धि आती है। विवाह से पहले कुंडली मिलान करवाकर अपने रिश्ते को स्थिर और मंगलमय बनाएं
लोहड़ी के पर्व पर पितृ पक्ष श्राद्ध, उसके नियम और पितृ दोष निवारण के प्रभावी उपाय जानना अत्यंत शुभ होता है – Pitru Paksha Rules | 2025 Pitru Paksha - Shradh 2025 Significance and Importance | 10 Ways To Remove Pitra Dosh Effects and Remedies | Pitru Paksha in Hindi | 2025 पितृ पक्ष श्राद्ध – 2025 श्राद्ध में क्या करे और क्या नहीं | Pitra Dosh - पितृदोष लगने के कारण और निवारण
Angarak Dosh से मुक्ति पाने के लिए शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय, प्रभाव, लक्षण और Angarak Dosh ke upay जानें।...
गणेश चतुर्थी कब है यह दिन भगवान गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व 10 दिन तक चलता है और गणेश चतुर्थी के 10 दिनों में क्या करें।...
Ram Vivah Panchami - जानिए Vivah Panchami kab hai और इस पावन त्योहार का महत्व, जिसमें भगवान राम और माता सीता के दिव्य विवाह का उत्सव मनाया जाता है। सभ...
Ahoi Ashtami in Hindi - अहोई अष्टमी 2025 सोमवार, 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी। पूजा मुहूर्त: शाम 4:00 बजे से 8:00 बजे तक। अहोई माता व्रत की विधि, कथा और म...