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2025 विजयदशमी (Dussehra) - दशहरा 2025 पर्व तिथि व शुभ मुहूर्त

अश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला विजयदशमी यानि दशहरा इस बार 2025 में दशहरा का त्योहार रविवार, 02 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इसका विजय मुहूर्त है 14:02 मिनट से दोपहर 14:48 मिनट तक है। दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसलिए इसे कई स्थानों पर विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है, वहीं इसके अलावा कई राज्यों में रावण की पूजा भी की जाती है। इसी दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर पर विजय पाई थी। दशहरे से 14 दिन पहले तक रामलीला दिखाई जाती है, जिसमें भगवान राम के जीवन की लीला होती है, उसे स्टेज पर विभिन्न पात्रों के द्वारा प्रदर्शित की जाता है। आखिरी दिन रावण का वध होता है, जिसके बाद रामलीला खत्म हो जाती है। दशहरे का दिन काफी अच्छा माना जाता है, अगर किसी की शादी का मुहूर्त ना निकल रहा हो, तो वह इस दिन भी शादी कर सकते हैं। अब हम आपको बताते हैं दशहरे की पूजा विधि के बारे में।

विजयदशमी 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि


विजयदशमी 2025 तिथि व समय
दशहरा (विजयदशमी) इस वर्ष शनिवार, 2 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।

रावण दहन का शुभ मुहूर्त: 2 अक्टूबर 2025, मंगलवार (दोपहर 04:02 PM से शाम 07:48 PM तक)

अवधि: 3 घंटे 46 मिनट

विजयदशमी का महत्व

विजयदशमी, जिसे दशहरा नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का हत्या कर सत्य और न्याय की जीत को स्थापित किया था। देशभर में इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई के अंत का संकेत देते हैं।

दशहरा पूजा विधि (2025)


सुबह जल्दी 
उठें और स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र पहनें।

आंगन में चार गोल गोबर के बर्तन बनाएं, जो भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्रतीक हैं।

इन बर्तनों में गीला धान, चांदी का सिक्का या रुपया रखें और पवित्र कपड़े से ढक दें।

धूप, दीप, फूल और मिठाई से पूजा करें।

"श्री राम जय राम जय जय राम" मंत्र का जाप करें।

पूजा के बाद 
गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन और दान दें।

रावण दहन के 
दौरान घर-परिवार के साथ मेले या रामलीला में जाकर अशुभ शक्तियों के विनाश की प्रार्थना करें।

विशेष लाभ

कुंडली के दोष दूर होते हैं।

शत्रुओं पर विजय मिलती है।

धन-समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

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दशहरा पर्व पूजा विधि 2025

दशहरे के दौरान सुबह प्रातः काल उठकर के जल्दी स्नान करके आंगन में गोबर के गोल बर्तन बनाएं। इसमें भगवान श्रीराम समेत उनके अनुजों की छवि माने। इन चार बर्तनों में गीला धान और चांदी रखें और इसे किसी कपड़े से ढ़कने के बाद धूपबत्ती, फूलों से पूजा करें और सच्चे मन से भगवान की प्रार्थना करें। पूजा के बाद ब्राह्मण और गरीबों को दान दे भोजन कराएं, इसके बाद स्वयं भोजन करें।

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भारत में दशहरा 2025 पर्व का महत्व

दशहरे के दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले जगह-जगह जलाए जाते हैं। इसमें हिमाचल प्रदेश का कुल्लू का दशहरा, मैसूर का दशहरा, दिल्ली का दशहरा और अंबाला के बराड़ा का दशहरा बेहद फेमस है। कुल्लू में जैसा दशहरा मनाया जाता है, वैसा शायद ही कहीं मनाया जाता है। इसकी भव्यता देखते ही बनती है। कुल्लू के धालपुर मैदान में 7 दिन तक दशहरे का त्योहार चलता है। यहां दूर-दूर से लोग मेला देखने के लिए आते हैं, साथ ही स्थानीय देवी देवता भी मेले में शिरकत करते हैं। कर्नाटक के मैसूर में भी दशहरा काफी धूमधाम से मनाया जाता है। रंग-बिरंगे शहर में बड़े हाथियों को सजाया जाता है और झांकियां निकाली जाती हैं। इस दिन चामुंडेश्वरी मंदिर में पूजा - अर्चना कर दशहरे का कार्यक्रम शुरू किया जाता है, जिसके दौरान काफी भीड़ देखी जाती है। दिल्ली के दशहरे की बात ही अनोखी है दिल्ली का दशहरा अपने आप में ही खास है इस दिन यहां पर बड़े-बड़े रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाए जाते हैं। इसकी तैयारी काफी समय पहले ही शुरू कर दी जाती है और उन्हें प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक आग लगाते हैं। दिल्ली में रामलीला मैदान और सुभाष पार्क में बहुत बड़े पुतले जलाए जाते हैं, इसकी भव्यता देखते ही बनती है। अब बात करते हैं अंबाला के बराड़ा के दशहरे की। अंबाला के बराड़ा में अब तक का सबसे ऊंचे रावण का पुतला दहन होता आ रहा है। बराड़ा का रावण पांच बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। पिछले साल रावण का पुतला  210 फुट का था, जो कि देश में सबसे ऊंचा रावण का पुतला था। इस बार आप भी तैयार हो जाइए दशहरे का लुफ्त उठाने के लिए और इस दिन को खास बनाने के लिए।

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