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हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व होता है। प्रत्येक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा की जाती है। इनमें से वैशाख माह की पूर्णिमा का बहुत महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा पर भगवान बुध का जन्म हुआ था। इसी कारणवश वैशाख पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है और इस पूर्णिमा को बुध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान बुध स्वयं भगवान विष्णु के नौवें अवतार थे। इसलिए बुध पूर्णिमा के दिन में विधिपूर्वक पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
वैशाख पूर्णिमा धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उनसे मिलने पहुंचे थे। ऐसे में जब दोनों दोस्त साथ मिलकर बातचीत कर रहे थे तब भगवान कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया। व्रत का विधान सुनने के बाद सुदामा ने पूरे विधि-विधान से व्रत किया, जिसके परिणाम स्वरुप उनकी गरीबी नष्ट हो गई। इस दिन मृत्यु के देवता धर्मराज की भी पूजा करने की मान्यता है। मान्यता के अनुसार धर्मराज की पूजा करने से वह प्रसन्न होते हैं और इससे अकाल मौत का भय कम हो जाता है।
वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा और सत्यनारायण कथा का पाठ करने का बहुत महत्व है। इस दिन सत्यनारायण कथा का पाठ और श्रवण करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
• इस दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान कर ले और यदि नदी में जाना संभव ना हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर ले।
• इसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले।
• इसके बाद पूजास्थल पर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर ले।
• इसके पश्चात यदि आप व्रत कर रहे हैं तो भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
• अब भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाए और हल्दी से तिलक करें।
• इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की फल-फूल से विधिपूर्वक पूजा करें।
• भगवान विष्णु के भोग या जल में तुलसी अवश्य मिलाएं।
• इसके पश्चात सत्यनारायण कथा का पाठ एवं श्रवण करें।
• इस दिन सफेद चंदन, अक्षत, बिल्वपत्र, आंकडे के फूल व मिठाई का भोग लगाकर भगवान शिव की पूजा करें।
• इस दिन भगवान शिव का ध्यान करने से मृत्यु भय, दरिद्रता और हानि से रक्षा मिलती है।
• संध्या काल में पुनः भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
• रात को चंद्रोदय के पश्चात चंद्रमा की पूजा करें और अर्घ्य दे।
• अंत में चंद्रदेव की पूजा के बाद व्रत खोलें।
वैशाख पूर्णिमा 2026: शुक्रवार, 1 मई 2026
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 30 अप्रैल 2026, 21:15:20 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 1 मई 2026, 22:55:30 बजे
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