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हमारी कुण्डली कोई ना कोई दोष जरूर होता है, जिनमें से एक दोष के बारें में आज हम बताने जा रहे हैं। जिस दोष के बारें जानना बहुत जरूरी है, लेकिन दुर्भाग्यवश बहुत कम लोगों को इस दोष के बारें जानते है। चलिए तो जानते है कि पितृदोष क्या होता है और इस हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। बता दें कि कुछ दोष ऐसे होते है, जिनमें हमारा कोई भी दोष नहीं होता है, लेकिन फिर भी हमें उसकी यातना झेलनी पड़ती है, दरअसल जब पूर्वजों के कारण वंशजों को मिलें कष्ट मिलता है तो उसे ही पितृदोष कहते है।
1. जब हम अपने गुरू, माता-पिता और बड़े की आज्ञा का पालन नहीं करते है तो भगवान भी हमसे नाराज हो जाते है और ऐसे में पितृदोष लगना शुरू हो जाता है।
2. कई बार होता है कि हमारे पूर्वजों हमसे रूष्ट हो जाते है, क्योंकि उनका अन्तिम संस्कार या फिर श्राद्ध ठीक से नहीं हो पाता है।
3. जब किसी पवित्र वृक्ष को काट देते है तो इसे हमारे साथ-साथ में हमारें पितरों को भी पाप लगता है, जिस वजह पितृ दोष भी लगने लगता है।
4. कई बार धर्म के कार्यों में बाधा डालने या फिर धर्म के कार्यों का अपमान करने से पितृ दोष लग जाता है।
5. पित्र दोष लगने का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि जब हम अपने पूर्वजों की जगह पर उनकी स्मृति की जगह अन्य चीज बना देते हैं तो इससे भी नाराज होकर दुख देने लगते हैं।
6. माना गया है कि एक स्त्री और एक पुरुष को पति पत्नी होते हुए कभी भी किसी अन्य के साथ रिश्ता नहीं रखना चाहिए। जो मनुष्य ऐसा करते हैं उन्हें पित्र दोष का शिकार होना पड़ता है।
7. जब हम किसी भिखारी, गाय माता पूजनीय और किसी पूज्यनीय इंसान का अपमान कर देते हैं तो हमारे संस्कारों को ठेस पहुंचती है।
1. किसी भी दोष से साफ है कि हमें यातनाएं भोगनी पड़ती है यानी कि हमारी जिंदगी पर दुष्प्रभाव पड़ता है और परिवार में अशांति का भाव होने लगता है।
2. इससे हमारे बनते काम बिगड़ जाते हैं और व्यापार में बरकत खत्म हो जाती है।
3. जब घर में किसी का विवाह हो और विवाह में ऐसी बाधा आ जाए कि मामूली बात पर भी विवाह रुक जाए तो समझो आपके पित्र साथ छोड़ चुके हैं।
4. अपनों से धोखा खाना और दगाबाजी का कारण भी पितृदोष होता है।
1. ज्यादा से ज्यादा शुभ कार्यों में भाग ले और पंचमी, अष्टमी, नवमी, अमावस्या और पूर्णिमा को पितरों कि नाम का दान करें।
2. अपने देवताओं को खुश करने के लिए रोजाना मंदिर में जाए और अपने पूर्वजों के नाम का शंकर जी को जल चढ़ाए।
3. सोमवार को व्रत करें और व्रत करने के बाद भूखों को भोजन खिलाएं। साथ ही साथ श्री हनुमान जी को मंगलवार को चोला चढ़ाएं।
4. बड़ों का सम्मान करें और उनका आशीर्वाद लेत रहें क्योंकि पूर्वजों के कारण लगने वाला दोष पूर्वजों की आशीर्वाद से ही ठीक हो सकता है।
5. नियमित रूप से 11दिन गाय माता को आटे से बनाकर लोई दे और गाय माता का पूजन कर, उनकी सेवा करें।
6. याद रहे कि विशेष दिनों पर पूर्वजों को याद करना ना भूले और घर में कुछ भी शुभ कार्य होने पर पूर्वजों को हाथ जोड़कर प्रणाम करें। जिससे आपके पूर्वज खुश होकर आपका साथ दें।
7. हर पूर्णिमा को गंगा स्नान करने जाए और वहां पर अपने पूर्वजों के नाम का हवन कराएं... साथ ही साथ पूर्वजों को नाम का पिंड दान भी करें।
8. पशु-पक्षी को दाना डालें और उनके लिए पानी भी रखे..वहीं ध्यान रहे कि घर से आए मेहमान और भिखारी को भी भोजन कराएं।
9. घर में शुभ कार्यों को हमेशा होते रहने दें। हवन, भजन, कीर्तन और कन्या पूजन शुभ दिनों में कराना ना भूलें।
मंगलवार को वृद्ध आश्रम में जाकर वृद्ध की सेवा करने में अपनी भागीदार जरूर दें।
पितृदोष के लक्षण, प्रभाव और निवारण का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे।
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