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                                सूर्य देव की आराधना से व्यक्ति युद्धक्षेत्र में कभी भी परास्त नहीं होता है। सूर्य देव को प्रात:काल उठकर जल चढाने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं मनुष्य बुद्धि , बल , मान-सम्मान, धन,संपदा और स्वास्थ्य से परिपूर्ण होता है। राम भी रावण को युद्ध में परास्त करने के लिए भगवान सूर्य की शरण में गए थे। उन्होंने तीन बार 'आदित्य हृदय स्तोत्र' पढ़ कर उनकी स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर सूर्य भगवान ने राम को युद्ध में विजयी होने का आर्शीवाद दिया। सूर्य देव की आराधना के लिए रविवार का दिन सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन मंदिर में जाकर सूर्यदेव को धूप-दीप जलाये, चंदन का लेप लगाएं, गंगाजल से स्नान कराएं और कुमकुम का टीका लगाएं। इसके बाद सूर्य देव को चीनी, चावल और कुछ पुष्प अर्पित करें। इसके बाद सूर्य देव को नमन कर ॐ सूर्याय नमः मंत्र का उच्चारण करें। आइए आपको बताते हैं भगवान सूर्य की आराधना से होने वाले लाभ- 1. सूर्य का जाप करने वालों को कभी भी कोई रोग परेशान नहीं करता है। वह हमेशा स्वस्थ रहते हैं। इसके अलावा प्रात: जल चढ़ाने वालों की सूर्य भगवान सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। 2. चिंता में डूबे हुए, हमेशा तनाव और अवसाद में घिरे रहने वाले और नकारात्मक सोचने वालों को भी सूर्य देव की पूजा से लाभ मिलने प्रारंभ होने लगते हैं। अनायास के झगड़ों से भी मुक्ति मिलती है। नई ऊर्जा का संचार होने लगता है। 3. सूर्य देव की पूजा से अहम, ईर्ष्या का नाश होता है। व्यक्ति में साकारात्मक सोच का प्रवाह बढ़ता है। 5. जिस व्यक्ति का जन्म रविवार के दिन हुआ हो उसे तो आवश्यक रूप से सूर्य देव का उपासक होना चाहिए। उन्हें प्रतिदिन जल देना चाहिए, फल अर्पित करने चाहिए। इससे उनके सभी रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं। 6. कई दिनों से जिनकी नौकरी में अड़चन आ रही है सूर्य देव की पूजा करने से वह दूर हो जाती है। इसके साथ ही आपको पदौन्नति के अवसर प्राप्त होने लगते हैं। 7. सूर्य देव की आराधना से चेहरे का नूर भी बढ़ता है। जो व्यक्ति साफ मन से सूर्य देव की आराधना करते हैं, उन्हें जल अर्पित करते हैं उनके चहरे पर तेज बना रहता है। ऐसे लोगों की ओर सभी आकर्षित होने लगते हैं। 8. हमेशा भय में रहने वाला व्यक्ति सूर्य देव की नित्य अराधना से निडर और बलवान बनता है। 9. नव शक्ति के संचार के लिए भी सूर्य देव की नित्य आराधना करनी चाहिए। 10. अधिक कष्ट होने पर सूर्य देव का 'आदित्य हृदय स्तोत्र' या 'सूर्याष्टक' का पाठ करें। ध्यान रहे इसे पढ़ते समय आपको पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना होगा। भारतीय संस्कृति में सूर्य देव ही पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि वही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं। उनकी आराधना से भक्तों की झोलियां भरती हैं और वह सुख में अपना जीवन व्यतीत करते हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करते समय तांबे का लोटा या फिर तांबे के बर्तन का ही उपयोग करना चाहिए। इससे आपकी पूजा सफल मानी जाती है|