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राहू पूजा

पूजा का विवरण

कई बार हम ऐसी परेशानियों से घिरे होते हैं कि चाहकर भी उसका समाधान नहीं निकाल पाते हैं। क्या आप जानते हैं कि ये किन कारणों होती हैं। अगर नहीं, तो हम आपको बताएंगे इसके कारण और समाधान। हमारी परेशानियों का कारण कोई और नहीं, बल्कि ग्रह दोष हैं। इनकी वजह से हमारे जीवन में हमेशा समस्याएं बनी रहती हैं। हिंदु धर्म ग्रंथों में राहु और केतु दो ऐसे ग्रह हैं, जो दोष के रूप विख्यात हैं। राहु और केतु एक ही असुर का नाम है। इन्होंने अमृत मंथन के दौरान छल से अमृत पी लिया था, जिसके कारण भगवान विष्‍णु ने सुदर्शन चक्र से उसका गला काट दिया था। लेकिन वह मरा नहीं था सि‍र और धड़ दो हिस्‍सों में बंट गया, जिसे राहु-केतु के नाम से जाना गया। ये ग्रह बनने के बाद लोगों की कुंडली में दोष माने जाते हैं। राहु की पूजा कराने से ये सभी दोष खत्म हो जाते हैं। पूजा के दौरान राहु मूल मंत्र ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:’ का रात्रि में 18,000 बार और दिन में 40 जाप करें। इससे आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी। यदि आपकी कुंडली में राहु दोष है, इसकी पूजा से दूर हो जाएगा। आप मानसिक तनाव से दूर रहेंगे। आर्थिक नुकसान, आपसी तालमेल में कमी और अपशब्द बोलने वालों को भी इस पूजा से लाभ होता है। रात्रिकालभैरव पूजन, शिव पूजन या फिर काल भैरव अष्टक का पाठ करने से आपको राहु से मुक्ति मिलेगी। पूजा के दौरान राहु मंत्र: ह्रीं अर्धकायं महावीर्य चंद्रादित्य विमर्दनम्। सिंहिका गर्भ संभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्। ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:। ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु प्रचोदयात्। का जाप करना न भूलें।