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मुझमें ज्योतिषाचार्या होने के प्रमुख गुण हैं जैसे एक ज्योतिषी का सबसे पहला गुण उसमें ज्योतिषीय अनुसन्धान करने की प्रवृत्ति है , । ज्योतिषी में दूसरा गुण है " धैर्य " जिससे अध्ययन , कुंडली वाचन विश्लेषण व यजमान की बात सुनने समझने की क्षमता आती है । किसी ज्योतिषी का तीसरा गुण "सहजता " है जिससे कोई व्यक्ति ज्योतिषी के समक्ष अपनी समस्या को कहने या मन की बात कहने में हिचक न करे । और इन सबसे आवश्यक गुण है ईश्वर के प्रति आस्था व समर्पण भाव ।