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1989-90 से मैने ज्योतिष शास्त्र के बारे मे जानना शुरू किया था। वैसे तो मैने न्यूमरोलॉजी, के०पी०आस्ट्रोलाजी, लाल किताब तथा प्रश्न मार्ग का भी थोड़ा बहुत अध्ययन किया है लेकिन मुख्यतः गणित और पराशरी फलित ज्योतिष मेरे अध्ययन का आधार रहे हैं। प्रेरणा का तो कुछ खास नहीं, लेकिन हाँ प्रकृति के गूढ़तम रहस्यों को जानने की स्वाभाविक जिज्ञासा इसका कारण रही है। ज्योतिष शास्त्र के इतने वर्षों के अध्ययन के बाद एक तथ्य निर्विवाद रूप से समझ में आया कि ऋषियों-महर्षियों द्वारा ज्योतिष के माध्यम से श्रृष्टि एवं प्रकृति के उन गूढ़ रहस्यों के बारे में बताया गया है कि किस प्रकार मनुष्य अपने कर्तव्यों को सुकर्म बनाकर अपना कल सुरक्षित कर सकता है। जहां तक ज्योतिष से कुछ सिद्ध करने का प्रश्न है तो उसका एकमात्र उत्तर यही है कि सम्पूर्ण श्रृष्टि मे "कार्य-कारण" का सम्बन्ध तथा कर्म-फल एवं पुनर्जन्म का ऋषि प्रणीत सिद्धांत सत्य ही नहीं बल्कि पूर्णतः वैज्ञानिक है।