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ज्योतिष शास्त्र में जितना महत्वपूर्ण ग्रह-नक्षत्र, मुहूर्त, पंचांग, तिथि, वार को माना गया है उतना ही आवश्यक होरा को जानना भी है। एक होरा का मान एक घंटे की होती है। अर्थात अहोरात्र (दिन-रात) के 24 घंटे में कुल 24 होराएं हैं। एक होरा 15 अंश का होता है यानी एक राशि का मान 30 अंश होता है। इस तरह राशि के अंतर्गत दो होरा आती है। होरा से मनुष्य के धन-संपत्ति् के बारे में ज्ञात होता है। प्रत्येक वार की प्रथम होरा सूर्योदय से प्रारंभ होती है। रविवार के सूर्योदय के समय सूर्य होरा होती है वहीं सोमवार को सूर्योदय के समय चंद्र होरा होती है। इसी क्रम में सातों दिन की होराएं भी अलग-अलग होती है।
फलित ज्योतिष को ही होरा शास्त्र कहते हैं। होरा शास्त्र के अंतर्गत राशि, होरा, द्रैष्काण, नवमांश, चलित, षोडश वर्ग, ग्रहों के दिग्बल, ग्रहों के धातु, द्रव्य, आयु योग, विवाह योग आदि आते हैं। होरा शास्त्र जातक के कर्म एवं पुनर्जन्म के सिद्धांतों से संबंधित है। होरा शास्त्र के ज्ञान से नुष्य के भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है। किसी भी शुभ कार्य की योजना बनाने से पहले उसके सकारात्मक प्रभाव पाने के लिए होरा को जानना आवश्यक होता है। इसके पूर्व ज्ञात से बुरे परिणामों से बचा जा सकता है। होरा सारणी का निर्माण बच्चे के जन्म के समय उसके भविष्य का पूर्वानुमान करने के लिए की जाती है। इसके अलावा मंगल कार्य को प्रारंभ करने से पहले शुभ घड़ी तय करना हो तब होरा सारणी बनाई जातह है। यह व्यक्ति् के जीवन के मजबूत और कमजोर पक्ष की पहचान करने में सहायता करता है जिससे कि मनुष्य आगे का उचित मार्ग सोच-समझकर चुन सके।
भदावरी ज्योतिष के अनुसार सूर्य की होरा राजसेवा के लिए शुभ माना गया है। चंद्रमा की होरा किसी भी कार्य की पूर्ति के लिए शुभ है। मंगल की होरा कठिन कार्यों जैसे युद्ध, लड़ाई-झगड़े, विवाद, दुश्मन पर विजय पाने के लिए शुभ माना गया है। बुध की होरा ज्ञान प्राप्ति के लिए शुभ माना गया है। गुरु की होरा विवाह के लिए शुभ है। शुक्र की होरा विदेश यात्रा के लिए शुभ है। शनि की होरा धन-संपत्तिु के संचय के लिए शुभ माना गया है।
1. सूर्य होरा- सूर्य होरा में माणिक्य धारण करना शुभ होता है। इस समय सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करना, सरकारी कार्य, चुनाव, राजनीति संबंधी कार्यों की पूर्ति की जा सकती है।
2. चंद्र होरा- चंद्र होरा में मोती धारण करना शुभ माना गया है। चंद्र होरा में किसी भी कार्य को करने पर पाबंदी नहीं है। इस होरा में घरेलू काम, घर-गृहस्थी, जनसंपर्क, सामाजिक सेवाएं करना शुभ माना गया है।
3. मंगल होरा- मंगल होरा में मूंगा एवं लहसुनिया धारण करना शुभ माना जाता है। इस समय न्यायलय, कोर्ट-कचहरी, पुलिस, सैन्य संबंधित कार्य, प्रशासनिक कार्य, घर, भूमि की खरीदारी, व्यवसाय, शारीरिक कार्य किए जा सकते हैं।
4. बुध होरा- इस होरा में पन्ना धारण करना चाहिए। इस समय व्यापार संबंधी कार्य, लेखाकार्य, बैंक, विद्या, शिक्षा संबंधी कार्य किए जा सकते हैं।
5. गुरु होरा- गुरु होरा में पुरखराज धारण करें। इस समय उच्च अधिकारियों से भेंट-मुलाकात, विवाह संबंधी कार्य, नए कपड़ों की खरीदारी की जा सकती है।
6. शुक्र होरा- शुक्र होरा में हीरा धारण करना शुभ माना गया है। इस समय सोने-चांदी के व्यापार, आभूषण खरीदना, कला क्षेत्र में कार्य, मनोरंजन, साहित्य, नए वस्त्र धारण किए जा सकते हैं।
7. शनि होरा- शनि होरा के समय नीलम और गोमेद धारण करना चाहिए। इस समय गृह प्रवेश, नए कारखानों की शुरुआत, मशीनरी संबंधित कार्य, वाहन की खरीदारी, न्यायलय, कृषि, तेल संबंधी कार्य किए जा सकते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि लग्न में विषम राशि हो और लग्न का मान 15 अंश तक हो तो होरा लग्न सूर्य की होगी। ऐसे ही यदि लग्न मे विषम राशि हो और लग्न का मान 16 अंश से 30 अंश तक हो तो होरा लग्न चंद्र की होगी। अगर लग्न सम राशि में हो और लग्न का मान 15 अंश तक हो तो होरा लग्न चंद्रमा की होगी।
व्यक्तिं के जन्म कुंडली की गणना होरा के आधार पर की जाती है। जातक का जन्म सूर्य होरा या चंद्र होरा में ही होता है। दिन के समय जातक के सूर्य, शुक्र और बृहस्पति पर ध्यान दिया जाता है क्योंकि इन्हें मजबूत ग्रह माना जाता है। वहीं रात के समय चंद्रमा, मंगल और शनि देखा जाता है क्योंकि ये ग्रह रात में ताकतवर होते हैं। जन्म के समय के आधार पर बुध का प्रभाव अलग होता है, यह सूर्यास्त या सूर्योदय के समय शक्तिशाली होता है। जन्म का समय अलग होने पर इसका प्रभाव सामान्य होता है।
किसी भी मनुष्य का जन्म 12 राशियों में से किसी एक में होता है। वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिरक, मकर और मीन राशियों के जातक रात्रिर होरा के होते हैं। इसका स्वामी ग्रह चंद्रमा होता है। वहीं मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि के जातक दिन होरा के होते हैं। इसका स्वामी ग्रह सूर्य होता है। कर्क राशि की होरा में सभी सौम्य ग्रह स्थि त हो तो इसके फलस्वरूप जातक सौम्य स्वभाव का, संपत्तिन से अभिभूत और सुखी जीवन यापन करता है। इसे उलट अगर कर्क राशि की होरा में सभी क्रूर ग्रह स्थिसत हों तो जातक निर्धन, दुखी और बुरे कर्म करने वाला होता है। यदि सूर्य राशि की होरा में सभी क्रूर ग्रह स्थिऔत हैं तो जातक साहसी और धन-दौलत से परिपूर्ण होता है। अगर सूर्य और चंद्र की होरा में सौम्य एवं क्रूर ग्रह दोनों विद्मान हों तो जातक को मिले-जुले परिणाम मिलते हैं। इन्हीं के आधार पर होरा सारणी तैयार की जाती है।
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