>

श्री शनिदेव जी की आरती (Shri Shanidev Ji Ki Aarti)

भगवान श्री शनिदेव की वंदना शनिवार की दिन करने से शनिदेव प्रसन्न होते है। कर्म फल दाता शनिदेव महाराज मनुष्य को उसके कर्मो के हिसाब से फल देते है। कलयुग में भी भगवान शनिदेव अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है जिस मनुष्य के सर पर शनिदेव का आशीर्वाद होता है वह इंसान नयी कामयाबियों को छूता है। और जिस पर भगवान शनिदेव की टेढ़ी दृष्टि पड़ती है वो राजा से रंक हो जाता है। शनिवार को शनिदेव की प्रार्थना और स्तुति करने से शनिदेव महाराज प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते है। आइये जानते हैं श्री शनिदेव आरती "जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी, सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी" के बोल:

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

 

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

 

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

 

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

 

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।


Recently Added Articles
माँ कुष्मांडा
माँ कुष्मांडा

नवरात्रि के चौथे दिन, माँ दुर्गा को माँ कुष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है। माँ कुष्मांडा देवी हिंदू धर्म के अनुसार एक शेर पर सवार हैं और सूर्यलोक...

माँ ब्रह्मचारिणी
माँ ब्रह्मचारिणी

माँ ब्रह्मचारिणी, नवरात्रि के दूसरे दिन पूजित की जाती है। यह माँ दुर्गा का दूसरा रूप है। माँ ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों के दुःखों और परेशानियों को हटाकर...

मां महागौरी - नवरात्रि का आठवां दिन
मां महागौरी - नवरात्रि का आठवां दिन

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप के रूप में महागौरी की पूजा करने से साधक का मन शुद्ध होता है ...

स्कंदमाता
स्कंदमाता

नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ दुर्गा की पूजा का प्रारंभ होता है। इस दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। वह बिना संतान की मांग करने वाली नारियों के लिए...