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श्री हनुमान जी को सभी हिन्दू देवताओं मे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। एक अच्छे मार्ग दर्शक होने के साथ साथ भगवान हनुमान को श्री राम जी का परम भक्त भी कहा गया है। रामायण काल मे प्रमुख भूमिका निभाने वाले श्री बलवंत हनुमान, कलयुग मे भी अपने होने के कई संकेत देते आ रहे है। भगवान हनुमान का जन्म हिन्दू पंचांग के चैत्र माह की पूर्णिमा पर चित्रा नक्षत्र और मंगलवार को मेष लग्न में हुआ था। श्री हनुमान जी को अंजनी पुत्र का नाम उनकी माता अंजनी व केसरी नंदन उनके पिता केसरी से मिला, परन्तु पुराणो मे कई स्थानो पर हनुमान जी का वर्णन वायु पुत्र के नाम से भी किया गया हैं।
श्री हनुमान जी की आरती "आरती कीजै हनुमान लला की" का गान करने से सभी संकट दूर होते है और नयी ऊर्जाशक्ति का आगमन होता हैं। सभी रोग, कष्ट और डर को दूर करने वाली श्री हनुमान जी की आरती का गान हमेशा मुश्किलों में किया जाता है। श्री हनुमान आरती के बोल का उच्चारण शंख के साथ किया जाता है। ऐसा माना जाता है की आरती कीजै हनुमान लला की आरती का सुबह शाम गान करने से संकट मोचन हनुमान जीवन के सारे कष्ट दूर कर देते है। तो आइये जानते हैं हनुमान जी की आरती (Hanuman Aarti in Hindi) के बोल क्या है और उनका उच्चारण कैसे किया जाता है।
आरती कीजै हनुमान लला की
आरती कीजै हनुमान लला की
दुष्ट डलन रघुनाथ कला की
(आरती कीजै हनुमान लला की)
(आरती कीजै हनुमान लला की)
जाके बल से गिरिवर कांपे
रोग दोष जाके निकट न झांपे
अनजनी पुत्र महाबलदायी
संथन के प्रभु सदा सुहाई
(आरती कीजै हनुमान लला की)
(आरती कीजै हनुमान लला की)
दे बीरा रघुनाथ पठाए
लंका जारी सिया सुध लाए
(लंका सो कोट समुद्र सी खाई)
(जात पवनसुत बार न लाई)
लंका जारी असुरसंगारे
सियारामजी के काज संवारे
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे
आणि सजीवन प्राण उबारे
(पैठी पताल तोरि जम कारे)
(अहिरावण की भुजा उखाड़े)
बाएं भुजा असुरदल मारे
दाहिने भुजा संतजन तारे
सुर-नर-मुनि आरती उतारे
जै जै जै हनुमान उचारे
जो हनुमान की आरती गावै
बसी बैकुंठ परमपद पावै
(आरती कीजै हनुमान लला की)
(आरती कीजै हनुमान लला की)
(आरती कीजै हनुमान लला की)
(आरती कीजै हनुमान लला की)
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