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हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में श्रावण पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है। श्रवण पूर्णिमा हिंदू धर्म के अनुसार बहुत प्रसिद्ध है | श्रावण पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन पवित्र त्यौहार होता है, जो भाई बहनों, के पवित्र प्रेम का एक प्रतीक है इसके साथ ही श्रावण पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है और श्रावण पूर्णिमा के दिन गायत्री जयंती भी होती है इसी दिन श्रावणी नाम का भी हिंदू त्यौहार भी मनाया जाता है,और हिन्दू विद्यार्थियों वेदों की दीक्षा दी जाती है | ब्रह्मण बालकों का पवित्र जनेऊ संस्कार इत्यादि होता है, गायत्री उपकर्म यजुर्वेद, अथर्ववेद,आदि का भी उसी दिन होता है, गायत्री जयंती भी श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है श्री अमरनाथ जी का दर्शन का अंतिम दिन छड़ीमुबारक़ भी श्रावण पूर्णिमा के दिन होता है श्रावण पूर्णिम हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार वह बहुत ही मान्यता प्राप्त और पुण्य प्राप्ति करने के लिए एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है यह पूर्णिमा भोलेनाथ को समर्पित होता है। इस दिन भक्त बड़े ही श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा करते हैं।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार श्रावण पूर्णिमा के दिन को बहुत ही शुभ और पवित्र माना गया है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की पूजा करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है एवं भक्तों को शिव जी के कृपा से सुख और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है। इस दिन दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। श्रावण पूर्णिमा के दिन ही रक्षाबंधन का त्यौहार भी मनाया जाता है इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा में आरंभ हुई अमरनाथ की पवित्र यात्रा श्रावण पूर्णिमा के दिन ही संपन्न होती है। साथ ही इस दिन कावड़ यात्रा भी संपन्न होती है। श्रावण पूर्णिमा को मध्य भारत में कजरी पूनम और गुजरात में पवित्रोपना के रूप में भी मनाया जाता है। साथ ही दक्षिण भारत में श्रावण पूर्णिमा के दिन नारियली पूर्णिमा और अवनी अवित्तम भी मनाई जाती है।
श्रावण पूर्णिमा के दिन पूजा करने से चंद्रदोष से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है इसलिए इस दिन स्नान करने के पश्चात गाय को चारा, चिंटियों एवं मछलियों को दाना खिलाना चाहिए।
रक्षाबंधन का त्यौहार भी श्रावण पूर्णिमा के पावन दिन पर मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के कलाई पर राखी बांधती हैं और भगवान से उनकी लंबी उम्र की कामना करती है। बदले में भाई भी अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन देता है और उसे उपहार भी देता है। रक्षाबंधन भाई और बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है और इसे भारत में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
• श्रावण पूर्णिमा के दिन दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
• इस दिन गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि फैलती है।
• इस दिन भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक भी करते हैं।
• श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है एवं पापों से मुक्ति भी मिलती है।
• इस दिन भगवान शिव, विष्णु, लक्ष्मी माता एवं हनुमान जी को रक्षासूत्र अर्पित करना चाहिए।
• इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा का भी विधान होता है। भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी माता की पूजा करने से सुख-समृद्धि एवं धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
• वर्ष 2025 में श्रावण पूर्णिमा 09 अगस्त, शनिवार के दिन मनाया जाएगा।
• पूर्णिमा तिथि 08 अगस्त, 2025 को 13:25:55 से आरम्भ होगी और 09 अगस्त, 2025 को 13:25:53 पर समाप्त होगी।
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1. श्रावण पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
यह श्रावण मास की पूर्णिमा है जो भगवान शिव और विष्णु को समर्पित है
इस दिन रक्षा बंधन का त्योहार भी मनाया जाता है
पौराणिक मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन से अमृत निकला था
2. श्रावण पूर्णिमा पर क्या करें?
सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें
शिवलिंग पर दूध, बेलपत्र और धतूरा चढ़ाएं
रक्षा बंधन का त्योहार मनाएं (भाई-बहन का पवित्र बंधन)
सत्यनारायण कथा सुनें या पढ़ें
दान-पुण्य: अनाज, वस्त्र या गरीबों को भोजन कराएं
3. श्रावण पूर्णिमा पर क्या खाएं?
सात्विक भोजन: फल, दूध, खीर, पंचामृत
विशेष: साबुदाना खिचड़ी, सिंघाड़े का हलवा
पारंपरिक मिठाई: घेवर, मालपुआ (उत्तर भारत में)
4. क्या श्रावण पूर्णिमा पर व्रत रख सकते हैं?
हाँ! इस दिन एक समय भोजन करके व्रत रख सकते हैं
फलाहार या दूध से बने व्यंजन लें
निर्जला व्रत न रखें (गर्मी के मौसम में)
5. श्रावण पूर्णिमा और रक्षा बंधन में क्या संबंध है?
दोनों त्योहार एक ही दिन मनाए जाते हैं
रक्षा बंधन का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है
यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है
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