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Sattila Ekadashi in hindi 2026: माघ मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है एवं षटतिला एकादशी के व्रत को रखने से भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते हैं। षटतिला एकादशी को पापहारिणी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन सच्चे मन से व्रत रखने वाले व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है। षटतिला एकादशी व्रत करने से घर में सुख शांति का वास होता है एवं सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करने पर समस्त मनोकामनाएं भी पूरी होती है। बहुत से लोग इस पावन दिन पर अपनी janam kundali in hindi भी देखते हैं ताकि यह जान सकें कि यह व्रत उनके जीवन में किस प्रकार के शुभ फलों को सक्रिय कर सकता है। ऐसे पवित्र दिनों पर लोग astrology in hindi का सहारा लेकर अपने भविष्य की दिशा जानने का प्रयास भी करते हैं।
Sattila Ekadashi in hindi 2026 के दिन तिल के प्रयोग एवं दान का विशेष महत्व है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी के दिन अगर कोई व्यक्ति तिल का 6 प्रकार से प्रयोग करें तो उसे उसके पापों से मुक्ति मिलती है अथवा स्वर्ग लोक में हजारों वर्षों तक सुख भोग भी प्राप्त होता है। चलिए जानते हैं इन 6 प्रकार से तिल का प्रयोग कैसे करें-
1. तिल मिश्रित जल से स्नान
2. तिल का उबटन
3. तिल का तिलक
4. तिल मिश्रित जल का सेवन
5. तिल का भोजन
6. तिल से हवन
इसके साथ-साथ भगवान विष्णु को तिल और उड़द मिश्रित भोग भी लगाए।
षटतिला एकादशी जैसे पवित्र अवसर पर लोग अपने जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव जानने के लिए ज्योतिष परामर्श भी लेते हैं, ताकि वे सही दिशा में निर्णय कर सकें।
बहुत समय पहले की बात है, प्राचीन काल के एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। वह भगवान श्रीहरि विष्णु की परम भक्त थी और उनके निर्मित सभी व्रतों को पूरे विधि-विधान से करती थी। व्रत करने की वजह से ब्राह्मणी का तन तो शुद्ध हो गया परंतु वह कभी भी अन्न दान नहीं करती थी। अन्न दान ना करने के कारण मृत्यु के पश्चात वह बैकुंठ लोक तो पहुंची परंतु उसे खाली कुटिया मिली।
खाली कुटिया देखकर स्त्री ने भगवान से पूछा कि हे प्रभु बैकुंठ लोक में आने के पश्चात भी मुझे खाली कुटिया क्यों मिली? तब भगवान विष्णु ने कहा कि तुमने कभी भी कुछ भी दान नहीं किया एवं जब मैं तुम्हारे पास तुम्हारे उद्धार के लिए दान मांगने पहुंचा तो तुमने मुझे मिट्टी का एक ढेला पकड़ा दिया इसी कारणवश तुम्हें यह फल मिला है। फिर भगवान विष्णु ने ब्राह्मणी को बताया कि इस समस्या का एकमात्र समाधान है कि तुम षटतिला एकादशी का व्रत विधि पूर्वक करो। तब तुम्हारी कुटिया भर जाएगी। भगवान विष्णु की आज्ञा मानकर ब्राह्मणी ने पूरे सच्चे मन से एवं विधिपूर्वक षटतिला एकादशी का व्रत किया। जिसके फलस्वरूप उसकी कुटिया अन्न और धन से भर गई।व्रत कथा से यह सीख भी मिलती है कि दान और सद्कर्म से जीवन में शुभ योग बनते हैं। कई लोग इस दिन कुंडली मिलान का महत्व भी समझते हैं, खासकर विवाह योग्य जातक।
• एकादशी से 1 दिन पहले यानी दशमी को सात्विक भोजन ग्रहण करें एवं सूर्यास्त के पश्चात भोजन ग्रहण ना करें।
• व्रत के दिन प्रातः काल उठकर पानी में तिल मिलाकर स्नान करें।
• स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले।
• इसके पश्चात भगवान का नाम लेकर व्रत का संकल्प ले।
• इसके बाद भगवान श्री गणेश को नमन करें एवं भगवान श्री विष्णु को स्मरण करें।
• इसके पश्चात भगवान को तिल से निर्मित भोग लगाएं एवं ऊपर बताए हुए तरीके से तिल का 6 प्रकार से प्रयोग करें।
• Sattila Ekadashi in hindi 2026 के दिन जितना हो सके तिल का प्रयोग करें एवं तिल का दान भी करें।
• अगले दिन द्वादशी को सुबह उठकर स्नान कर ले एवं पूजा-पाठ करके मुहूर्त के अनुसार पारण करें।
षटतिला एकादशी के दिन यदि आपकी कुंडली में ग्रह दोष हों या आर्थिक बाधा हो, तो उपयुक्त रत्न धारण करने से लाभ मिलता है ऐसी मान्यता भी प्रचलित है।
षटतिला एकादशी: शनिवार, 13 जनवरी 2026 से 14 जनवरी 2026
व्रत तोड़ने का समय - सुबह 06:15 बजे से लेकर 09:21 बजे तक
पारणा तिथि पर द्वादशी समाप्त होती है - 08:55 बजे
एकादशी तिथि प्रारंभ - 13 जनवरी 2026, शाम 15:18 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - 14 जनवरी 2026, शाम 17:53 बजे
1. षटतिला एकादशी 2026 को कौन सा दिन किससे तिथि का समय क्या है?
दिन: बुधवार, 14 जनवरी 2026 एकादशी तिथि शुरुवात: 13 जनवरी 2026 को दोपहर 3:17 बजे
एकादशी तिथि अंत: 14 जनवरी 2026 को शाम 5:52 बजे
2. व्रत पारण (ब्रेक फास्ट) का शुभ समय क्या होगा?
द्वादशी सुबह पारण: 15 जनवरी 2026 को सुबह 7:15 बजे से 9:21 बजे तक
द्वादशी समाप्ति: 15 जनवरी को शाम 8:16 बजे तक
3. नाम का अर्थ और तिल का महत्व क्यों?
"षटतिला" में 'षट्' = छह, 'तिला' = तिल (sesame).
व्रत के दिन तिल का उपयोग छह रूपों में किया जाता है: स्नान, तिलक, भक्षण, जल मिश्रण, हवन व दान
4. व्रत कथा और धार्मिक महत्त्व?
कथा में बताया गया है कि नारद मुनि के भगवान विष्णु से कथा पूछने पर एक ब्राह्मणी का उल्लेख आता है जिसने तिल दान नहीं किये थे। भगवान ने उन्हें षटतिला व्रत विधि बताई, जिससे उनके जीवन में समृद्धि आई। पारण के बाद ब्राह्मणी को वैभव प्राप्त हुआ ।
5. पूजा विधि (पूजा और व्रत विधि)
प्रातःकाल स्नान करें।
तिल मिलकर स्नान करना और तिल का उबटन लगाना शुभ।
भगवान विष्णु की पूजा करें—दीप, धूप, पंचामृत, फल, फूल और तुलसी अर्पण करें।
दिनभर व्रत (फलाहार और तिल व्यंजन समेत कुछ लोगों को अनुमति होती है)।
रात्रि में जागरण, हवन, विष्णु-सहस्रनाम, व्रत कथा व भजन।
द्वादशी तिथि पर भोजन ग्रहण करने से पहले पंडितों/गरीबों को तिल दान करें।
6. व्रत का फल / लाभ?
पापों का नाश व वैभव की प्राप्ति होती है।तिलदान से आध्यात्मिक शुद्धि व स्वर्ग की प्राप्ति होती है।ब्राह्मणों व जरूरतमंदों को दान से पुण्य की प्राप्ति होती है
7. व्रत कितना दृढ़ रखा जा सकता है?
मुख्य व्रत निर्जल (waterless) हो सकता है।हल्का फलाहार या केवल तिल आधारित व्यंजन लेने की अनुमति भी दी जाती है
8. यदि तिथि छूट जाए तो क्या करें?
इस व्रत का विशेष तिथि पर ही पालन किया जाता है। यदि किसी वजह से पूजा या व्रत गुजर जाए, तो अगले बार माघ कृष्ण पक्ष एकादशी को ही फिर से व्रत करना चाहिए।