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धार्मिक दृष्टि से सूर्य पुत्र शनि देव बहुत ही महत्वपूर्ण देवता है। शनि देव को कर्म का देव माना गया है अर्थात शनि देव हर व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार उसे फल प्रदान करते हैं।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार शनि देव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर हुआ था इसलिए प्रत्येक साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दान-पुण्य, श्राद्ध-तर्पण पिंडदान की भी अमावस्या होती है। मान्यताओं के अनुसार शनिजनित दोषों को कम करने के लिए शनि जयंती पर शनि देव की उपासना करना बड़ा ही फलदाई होता है। क्योंकि शनि देव कर्म के देवता है इसलिए अच्छे कर्म करने वाले लोगों पर शनि देव की कृपा सदैव बनी रहती है और बुरे कर्म करने वाले लोगों को शनि देव के दंड का सामना करना पड़ता है। ऐसे में चलिए जानते हैं शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय।
ज्योतिषीय दृष्टि से पीपल के वृक्ष का संबंध शनि देव से माना गया है। इसलिए प्रत्येक शनिवार पीपल के जड़ में जल चढ़ाने एवं दीपक जलाने से अनेक कष्टों का निवारण होता है। मान्यता यह भी है कि पीपल के पेड़ को लगाने से शनि की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन शनि से जुड़ी चीजों का दान भी करना चाहिए एवं काले कपड़े, काले तिल, सरसों के तेल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति भी होती है।
शनि देव के आराध्य भगवान शिव है इसलिए शनि देव के साथ-साथ भगवान शंकर को काले तिल मिले हुए पानी से अभिषेक करना चाहिए। मान्यता है कि भगवान शनि हनुमान जी की आराधना करने वालों से प्रसन्न रहते हैं, इसलिए शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि पूजा के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा भी अवश्य करें। साथ ही शनि जयंती के दिन शनि चालीसा का भी पाठ करें।
2026 शनि जयंती पर क्या ना करें
• शनि जयंती पर बाल एवं नाखून ना काटे, मान्यता है कि ऐसा करने से आर्थिक तरक्की थम जाती है।
• यदि आप मंदिर में शनिदेव की पूजा करने जाए तो भूलकर भी उनके आंखों में देखकर पूजा ना करें बल्कि पूजा करते वक्त शनि देव के चेहरे के बजाय पैर पर ध्यान दें।
• इस दिन बिल्कुल भी बड़े एवं बुजुर्ग का अपमान ना करें। शनि देव माता-पिता एवं वरिष्ठ लोगों का अनादर करने वाले लोगो को बुरा फल एवं दंड प्रदान करते हैं।
• शनि जयंती के दिन आप भूलकर भी शमी या पीपल के वृक्ष को हानि न पहुचाएं, ऐसा करने से शनि देव रुष्ट होकर आप को दंड दे सकते हैं।
• वर्ष 2026 में शनि जयंती 15 जून , सोमवार के दिन मनाई जाएगी।
• साथ ही, अमावस्या तिथि आरंभ - 12:19 बजे (14 जून 2026)
• अमावस्या तिथि समाप्त - 14:22 बजे (14 जून 2026)
1. शनि जयंती क्यों मनाईजाती है?
यह दिन भगवान शनिदेव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
शनिदेव को न्याय के देवता और कर्मफल के दाता माना जाता है।
पूजा करने पर इस दिन शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
2. शनि जयंती पर क्या करें?
सुबह जल्दी उठकर तेल मालिश करें और स्नान करें।
शनि मंदिर में जाकर तेल, काले तिल, उड़द की दाल चढ़ाएँ।
"ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करें।
दान-पुण्य करें (काले कंबल, तिल, लोहे की वस्तुएँ)।
3. शनि जयंती पर क्या न करें?
झूठ बोलने या बुरे कर्म करने से बचें।
किसी को अपमानित न करें (शनिदेव न्याय के देवता हैं)।
4. क्या शनि जयंती पर व्रत रख सकते हैं?
हाँ! इस दिन एक समय भोजन (सात्विक) करके व्रत रख सकते हैं।
काले चने, तिल का तेल, उड़द की दाल खाएँ।
5. शनि जयंती और शनि अमावस्या में क्या होता है अंतर?
शनि जयंती: शनिदेव के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है (वर्ष में एक बार)।
शनि अमावस्या: हर महीने की अमावस्या को शनि पूजा की जाती है।
6. शनि जयंती के दिन कौन सा दान करें?
काले तिल, लोहा, कंबल, तेल, उड़द दाल दान करना शुभ होता है।
गरीबों को भोजन कराएँ।
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