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Phalguna Purnima 2026 - फाल्गुन पूर्णिमा 2026 पूजा तिथि व समय

हिंदू धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा का विशेष महत्व है। फाल्गुन पूर्णिमा हिंदू धर्म के पवित्र दिनों में से एक है। फागुन पूर्णिमा के दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है। इसलिए इस दिन को अत्यंत शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी का धरती पर अवतरण हुआ था। इसलिए फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जयंती भी मनाई जाती है।

फाल्गुन पूर्णिमा 2026 - माता लक्ष्मी की अवतरण कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तब समुंद्र मंथन से एक-एक करके चौदह रत्न निकले थे। इन्ही चौदह रत्नों में से एक थी माता लक्ष्मी। माता लक्ष्मी के एक हाथ में कलश था और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। समुद्र मंथन से उत्पन्न होने के पश्चात देवी लक्ष्मी ने भगवान श्री हरि विष्णु को अपने पति के रूप में वरण किया। मान्यताओं के अनुसार माता लक्ष्मी फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन समुंद्र मंथन से उत्पन्न हुई थी। इसी कारणवश प्रत्येक फाल्गुन पूर्णिमा के दिन को माता लक्ष्मी के जन्मदिवस यानी लक्ष्मी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व (Phalguna Purnima 2026 Importance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के व्रत का विशेष महत्व है। मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के व्रत को रखने से दुख दूर होते है और घर-परिवार में सुख का आगमन होता है। प्रत्येक पूर्णिमा की तरह फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भी गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। जो व्यक्ति फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से लक्ष्मी पूजा करता है, उसपर देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है और उसे जीवन में कभी भी धन-धान्‍य ने की कमी नहीं होती है।

फाल्गुन पूर्णिमा 2026 की कथा (Phalguna Purnima 2026 Ki Katha)

फाल्गुन पूर्णिमा की अनेकों कथाएं हैं परंतु नारद पुराण में जो कथा दी गई है उसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। नारद पुराण में दी गई कथा असुर राज हिरण्यकशिपु और उसकी बहन राक्षसी होलिका के दहन की कथा है।

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कथा के अनुसार हिरण्यकशिपु ने अपने सबसे ज्येष्ठ पुत्र, भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को अग्नि में स्नान करने के लिए अपनी बहन के पास भेज दिया। परंतु भगवान विष्णु के कृपा से होलिका अग्नि में जलकर खुद ही भस्म हो गई और प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ। इसलिए मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा को लकड़ियों को एकत्र करके होलिका का निर्माण करना चाहिए और शुभ मुहूर्त आने पर विधिपूर्वक होलिका दहन करना चाहिए।

फाल्गुन पूर्णिमा 2026 पूजा विधि (Phalguna Purnima 2026 Puja Vidhi)

• पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान कर ले और स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले।

• इसके पश्चात पूजा स्थल को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर ले।

• इस दिन भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा की जाती है।

• नरसिंह भगवान की पुष्प, माला, गुड़, गुलाल, नारियल आदि से पूजा करें।

• सच्चे मन से भगवान नरसिंह की पूजा करने से सारे पापों का नाश होता है और सुख की प्राप्ति होती है।

• इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा भी अवश्य करें।

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• माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होगी और सुख समृद्धि बनी रहेगी।

• फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत रखने वाले व्यक्ति शाम को सूर्यास्त के पश्चात भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

• फाल्गुन पूर्णिमा के व्रत रखने से दुखों का निवारण होता है और ईश्वर की कृपा भी प्राप्त होती है।

फाल्गुन पूर्णिमा 2026 तिथि (Phalguna Purnima 2026 Tithi)

फाल्गुन पूर्णिमा: मंगलवार, 03 मार्च 2026

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 02 मार्च 2026, श्याम 05:56 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 03 मार्च 2026, श्याम 05:08 बजे

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ )

Q1: फाल्गुन पूर्णिमा और होलिका दहन एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं?

उ: होलिका दहन होता है इसी पूर्णिमा तिथि पर जब राक्षसी होलिका प्रह्लाद की अग्नि में पता चला था; पूजा और इसी पर्व को स्मरण के रूप में मनाया जाता है।

Q2: क्या व्रत रखना अनिवार्य है?

उ: हां, जैविक आयुर्वेदिक प्रक्रिया में यह फूलाहार और चंद्र दर्शन तक का व्रत होता है। कुछ लोग निर्जला व्रत करते हैं।

Q3: होली के दिन स्नान का विशेष महत्व है?

उ: होली पूर्व स्नान से पापों का भस्म हो जाता है और मन की पवित्रता मन जाती है; स्नान के बाद पूजा और दान करने का शुभ उत्सव मनाया जाता है।

Q4: लक्ष्मी-जयंती या चैतन्य महाप्रभु की जयंती यही दिन है? कोई जवाब नहीं।

उत्तर: हां, दो बड़े गुरुओं की जयंती भी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, इसलिए इस दिन का आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ता है।

Q5: कौन-कौन से विशेष दान करें?

उत्तर: अन्न, वस्त्र, गाय, तुलसी, फूल, जल और अन्य आवश्यक सामग्री गरीबों और धर्मस्थानों को दान करें; यह बहुत ही शुभ फलदायक होता है।

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