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Pausha Putrada Ekadashi 2025 - पौष पुत्रदा एकादशी व्रत 2025 तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व

Pausha putrada Ekadashi 2025: हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी पड़ती है, कुल मिलाकर हर महीने दो एकादशी पड़ती है। है। इनमें से एक एकादशी पौष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ती है जिसे पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन इस संसार के पालनकर्ता भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने से अपार पुण्य एवं सुखों की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा से पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करता है, उसके पापों का भी नाश होता है।

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 व्रत का महत्व

एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया। इनमें से पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत का एक विशेष स्थान है। यह व्रत निसंतान दंपतियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत को संतान प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत को पूरे श्रद्धा एवं विधि-विधान से करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है। इसी कारणवश इस एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है।

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पौष पुत्रदा एकादशी 2025 व्रत कथा (Pausha Putrada Ekadashi Vrat Katha)

एक समय की बात है जब सुकेतुमान नामक एक राजा भद्रावती राज्य में राज करता था। राजा की पत्नी का नाम शैव्या था। राजा के राज्य में चारों ओर धन-धान्य और समृद्धि फैली हुई थी। राजा के पास सब कुछ था और उसे कोई भी चीज की कमी नहीं थी परंतु राजा और रानी सिर्फ एक सुख यानी संतान सुख से वंचित थे। इस कारणवश राजा और रानी सदैव चिंतित और दुखी रहते थे। राजा को यह चिंता भी सताने लगी कि उसके मृत्यु के पश्चात उसका पिंडदान कौन करेगा। साथ ही राजा यह सोचकर भी व्याकुल हो जाता कि उसका कोई उत्तराधिकारी नहीं है। ऐसे में उदास होकर एक दिन राजा ने अपने प्राण त्यागने का निर्णय लिया परंतु पाप करने के डर से उसने इस विचार को त्याग दिया।

राजा का मन दिन-प्रतिदिन राजपाठ से उठता चला जा रहा था, ऐसे में राजा एक दिन जंगल की ओर निकल पड़ा। जंगल में राजा को कई पशु-पक्षी दिखाई दिए और उन्हें देखकर राजा के मन में बुरे विचार आने लगे। उदास होकर राजा एक तालाब के किनारे बैठ गया। संयोगवश उस तालाब के किनारे कई ऋषि-मुनियों का आश्रम बना हुआ था। राजा आश्रम में गया और ऋषि मुनि राजा को देखकर प्रसन्न हुए। राजा के विनम्र स्वभाव से प्रसन्न होकर ऋषि-मुनियों ने राजा से उनके इच्छा के बारे में पूछा। यह सुनकर राजा ने अपनी मन की व्यथा ऋषि-मुनियों से कह डाली। राजा की व्यथा सुनकर एक मुनि ने राजा से कहा कि उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत करना होगा। राजा ने पुत्रदा एकादशी के व्रत का पालन पूरे श्रद्धा एवं विधि-विधान से किया। इस व्रत के फल स्वरुप कुछ ही दिन बाद रानी ने गर्भ धारण किया और 9 महीने पश्चात राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई।

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 व्रत विधि (Pausha Putrada Ekadashi 2025 Vrat Vidhi)

• एकादशी से एक दिन पहले दशमी को सूर्यास्त के पश्चात भोजन ग्रहण ना करें।

• दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण करें।

• एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर ले और स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

• इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

• व्रत के संकल्प लेने के पश्चात भगवान विष्णु की गंगाजल, तुलसी, फूल, पंचामृत, तिल से पूजा करें।

• व्रत के दिन अन्न ग्रहण ना करें।

• शाम के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा एवं आरती करें।

• व्रत के एक दिन बाद द्वादशी को सुबह उठकर स्नान कर ले एवं व्रत का पारण करें।

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पौष पुत्रदा एकादशी व्रत तिथि 2025 (Pausha Putrada Ekadashi Vrat Tithi 2025)

पौष पुत्रदा एकादशी: बुधवार, 30 दिसंबर 2025 से 31 दिसंबर 2025

व्रत पारणा का समय - सुबह 07:14 बजे से लेकर 09:19 बजे तक

पारणा तिथि पर द्वादशी समाप्त होती है - 08:20 बजे

एकादशी तिथि प्रारंभ - 30 दिसंबर 2025, दोपहर 07:52 बजे

एकादशी तिथि समाप्त - 31 दिसंबर 2025, सुबह 01:45 बजे

 

सामान्य पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. क्यों नहीं आती पौष पुत्रदा एकादशी 2026 में?

इसके पीछे कारण है पंचांग आधारित तिथियों का चंद्रसूर्य गणनाओं पर निर्भर होना। सूर्य एवं चन्द्र की चाल के  अधीन यह एकादशी कभी-कभी वर्ष में छोड़ जाती है, जैसा कि 2026 में हुआ है।

2. पुत्रदा एकादशी कब मनाई जाती?

पौष मास की शुक्ल एकादशी (पौष पुत्रदा एकादशी) और पौष की शुक्ल एकादशी (पौष पुत्रदा एकादशी).
पौष पुत्रदा एकादशी 30 दिसंबर2025 को होगी।

3. क्या है पुतटका एकादशी व्रत का महत्व का?

व्रत यह बताया जाता है कि पति-पत्नी, विशेष रूप से संतान की कामना करने वाले, इस दिन भगवान विष्णु को अन्न व्रत किए बिना पूजा कर संतान की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। पारंपरिक कथा में राजा सुकेतु एवं रानी हबिया की संतान प्राप्ति के पीछे इसी व्रत का उल्लेख है।

4. व्रत कथा क्या है?

कथा के अनुसार राजा सुकेतु और उनकी रानी को पुत्र नहीं हो रहा था। ऋषियों के कहने पर उन्होंने पौष पुत्रदा एकादशी व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई ।

5. व्रत विधि—कैसे करें पूजन?

मॉर्निंग स्नान करें और विष्णु सहस्रनाम या विष्णु अष्टोत्तर नाम का पाठ करें।

निर्जला या फलाहारी व्रत रखें।

भगवान विष्णु (विशेषकर नारायण या कृष्ण) की पूजा करें, कलश स्थापित करें, दीप-धूप दें।
रात्रि में कथा सुनें, भजन-कीर्तन करें। 
ब्राह्मणों वा गरीबों को दान दे पराण करें

6. कौन से मंत्र प्रयुक्त करें?

जैसे:  नमो भगवते वासुदेवाय विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

7. यदि कोई व्रत छोड़ देना चाहे या छोड़ गया हो?

पौराणिक कथाओं में पौष पुत्रदा एकादशी नहीं होने पर उपरोक्त अन्य एकादशियों जैसे श्रावण पुत्रदा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

8. अगली पौष पुत्रदा एकादशी कब है?

2027 में यह 30 दिसंबर को होगी


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