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ज्योतिष में एक अवधारणा है जो पांच विशेष नक्षत्रों के संरेखित होने से जुड़ी है।
इन नक्षत्रोंका नाम है - धनिष्ठा, सतभिषा, पूर्वभाद्रपदा, उत्तरभाद्रपदा, और रेवती। ये नक्षत्र पंचक नक्षत्र केरूप में जाने जाते हैं।
"पंचक" शब्द का अर्थ है पाँच दिनों का एक अवधि, जब चंद्रमा इन नक्षत्रों के माध्यम से गुजरता है,
आम तौर पर इस अवधि को चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में होता है।
पंचक को किसी भी महत्वपूर्ण कार्य या समारोह की शुरुआत के लिए अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस समय किए गए किसी भी कार्य से अनुकूल परिणाम नहीं मिलते और संकटों का सामना करना पड़ता है।इसलिए, पंचक काल में विवाह और नाम करण जैसे कार्यों से बचा जाता है।
पंचक के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें प्रत्येक का आरंभ विशेष सप्ताह के दिनों पर होता है और अलग-अलग प्रभाव होता है:
1. **रोगपंचक**:
इसकी शुरुआत रविवार को होती है, इसे अशुभ माना जाता है और इसका किसी भी प्रकार के सकारात्मक कार्यों में प्रभाव होता है।
2. **राजपंचक**:
सोमवार को शुरू होता है, इसे शुभ माना जाता है और राजनीतिक मामलों और संपत्ति संबंधित कार्यों में सफलता मिलती है।
3. **अग्निपंचक**:
मंगलवार को आरंभ होता है, यहाँ कोर्ट और कानूनी मामलों में सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
4. **मृत्युपंचक**:
शनिवार को आरंभ होता है, यह मृत्यु के समान चुनौतियों के साथ जुड़ा होता है।
5. **चोरपंचक**:
शुक्रवार को आरंभ होता है, यह यात्रा और व्यापार संबंधित कार्यों के लिए अशुभहोता है।
पंचक के प्रत्येक नक्षत्र को माना जाता है कि यह विभिन्न प्रभाव डालते हैं:
- धनिष्ठा नक्षत्र: आग से संबंधित दुर्घटनाओं का खतरा।
- सतभिषा नक्षत्र: विवाद, तंत्रमंत्र और शारीरिक पीड़ाका संकेत होता है।
- पूर्व भाद्रपदा नक्षत्र: बीमारियों का संकेत होता है।
- उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र: जुर्मानों या शुल्कों का अधिकता।
- रेवतीनक्षत्र: धन संबंधित समस्याओंका संकेत होता है।
पंचक के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए कुछ सावधानियां सुझाई जाती हैं:
- पंचक के दौरान दक्षिण की दिशा में यात्रा से बचें, लेकिन यदि आवश्यक हो, तो पहले हनुमानजी की पूजा करें।
- अगर पंचक के दौरान किसी की मृत्यु होती है, तो उसके पास पूतले रखें ताकि इसका प्रभाव नष्ट हो सके।
- पंचक के दौरान लकड़ी की सामग्री खरीदने या व्यापार करने से पहले, गायत्री की पूजा करें।
- पंचक के दौरान निर्माण की शुरुआत करने से पहले, श्रमिकों को मिठाई खिलाएं ताकि इसका प्रभाव कम हो।
इस प्रकार के समयों में ज्योतिषियों से परामर्श लेनाऔर उनकी सिफारिशों का पालन करना, किसी भी अशुभ प्रभावों निष्कारण करनेके
लिए और भी सहायक हो सकता है।
पंचकों में मृत्यु होना अशुभ माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि परिवार में या पड़ोस में पांच लोगों की और मृत्यु हो सकती है
पंचक में मृत्यु हो जाए तो क्या करें?
पंचकों में मृत्यु हो जाए तो मृतक के साथ पांच कुशा के पुतलो को जलाया जाता है
पंचकों में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए?
पंचक में लकड़ी, कपड़ा, लोहा, और मिट्टी, नहीं खरीदनी चाहिए
पंचकों में कौन सा कार्य करना चाहिए?
पंचक में जो भी कार्य किया जाता है उसका फल पांच गुण होता है
1. पंचक क्या होता है?
पंचक एक शुभता लग्न अवधि (5 दिन) होती है, जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में विशेष स्थिति में होता है। ज्योतिष में ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रहण के लिए उत्तम नहीं मिलता है।
2. पंचक कब लगता है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, जब चंद्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्रों में रहते हैं, तब पंचक का समय माना जाता है।
3. पंचक में क्या नहीं करना चाहिए?
शुभ कार्य: विवाह, गृहप्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करना। दाह संस्कार: पंचक में किसी की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार में विशेष सावधानी से
दहा क्रिया की जाती हे ( जलाते हैं )। निर्माण कार्य: नए घर की स्थापना या छत।
4. पंचक में मृत्यु हो जाये तो क्या करें?
पारंपरिक मान्यता के अनुसार, पंचक के दौरान मृत्यु होने पर 5 पुतले (कुश या मिट्टी के मॉडल) बनाए जाते हैं और उनका अंतिम संस्कार भी किया जाता है, ताकि परिवार पर कोई और अशुभ प्रभाव न पड़े।
5. पंचक कितने प्रकार के होते हैं?
रोग पंचक-बीमारी का संभाव।
मृत्यु पंचक-अनैश्वरिक मृत्यु का भय।
अग्नि पंचक - अग्नि से होने वाली हानि का खतरा।
राज पंचक - शत्रु या कानूनी संकट।
चोर पंचक – चोरी या धन हानि का भय।
6. प्रभाव कैसे कम करें?
दान-पुण्य: गरीबों को अन्न, वस्त्र या कंबल दान।
मंत्र जाप: "ॐ नमः शिवाय" या "मृत्युंजय मंत्र" का पाठ करें।
पूजा-पाठ: हनुमान चालीसा या शनि मंत्रों का जाप करें।
7. पंचक में यात्रा कर सकते हैं?
जरूरी हो तो कर सकते हैं, लेकिन बिना मंत्र या शुभ पूजा के दर्शन।
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