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Magha Purnima 2026 - माघ पूर्णिमा पर दान और स्नान का विशेष महत्व

Megha Purnima 2026 - माघ पूर्णिमा पर दान और स्नान का विशेष महत्व

पूर्णिमा का दिन बड़ा ही महत्वपूर्ण और विशेष माना जाता है। वैसे तो साल में बहुत-सी पूर्णिमा आती है लेकिन इन सब में माघ पूर्णिमा सबसे ज्यादा विशेष माना जाता है। माघ पूर्णिमा माघ मास के आखिरी दिन मनाई जाती है। माघ पूर्णिमा धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से विशेष मानी गई है। माघ महीने में लोग गंगा स्नान करते हैं और भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। जिसके बाद माघ के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर स्नान दान करके अपने व्रत को पूरा करते हैं। माघ मास मे दान और स्नान का विशेष महत्व है। तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी स्नान माघ पूर्णिमा पर ही किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार माघ पूर्णिमा को बड़ी और फलदाई पूर्णिमा माना जाता है।

माघ पूर्णिमा हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है जो पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में 'माघ' के महीने में 'पूर्णिमा' (पूर्णिमा के दिन) पर पड़ता है। यह तारीख मोटे तौर पर अंग्रेजी कैलेंडर में जनवरी-फरवरी के महीनों में आती है। माघ पूर्णिमा को 'माघी पूर्णिमा' या 'महा माघी' के नाम से भी जाना जाता है और माघ मास का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। हिंदू कथाओं में पूर्णिमा को धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, और इनमें से माघ पूर्णिमा सबसे शुभ है।

इस दिन हजारों हिंदू श्रद्धालु प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर स्नान करते हैं। इस दौरान प्रसिद्ध 'कुंभ मेला' और 'माघ मेला' भी आयोजित किया जाता है, जिसमें देश के कोने-कोने से भक्त आते हैं। भारत के दक्षिणी राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी, यह अत्यंत उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। तमिलनाडु में इस दिन शानदार नाव दौड़ उत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें मीनाक्षी और भगवान सुंदेश्वरा की सुंदर ढंग से सजी हुई मूर्तियाँ झांकियों पर आरूढ़ होती हैं। माघ पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी विशेष महत्व रखती है।

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माघ पूर्णिमा 2026 का मुहूर्त

माघ पूर्णिमा 2026 का मुहूर्त
2026 में माघ पूर्णिमा 01 फरवरी को प्रातः 06 :53 बजे से शुरू होगी और 2 फ़रवरी, 2026, प्रातः 03:00 बजे पूर्णिमा समाप्त हो जाएगी।।

माघ पूर्णिमा: शनिवार, 01 फ़रवरी, 2026

पूर्णिमा तिथि शुरू होती है - 01 फ़रवरी, 2026 , प्रातः 06:53 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त होती है - 02 फ़रवरी, 2026 , प्रातः 03:53 बजे

माघ पूर्णिमा का व्रत

माघ पूर्णिमा व्रत करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। मान्यता है कि माघ मास में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य का रूप धारण करके प्रयाग में स्नान दान और जप आदि करते हैं। यही कारण है कि माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान को सर्वोपरि माना गया है। गंगा स्नान करके व्रत करना चाहिए और भगवान कृष्ण का पूजन कर गरीबो में दान देना चाहिए। इस दिन ऋषि मुनियों की सेवा और उन्हें दान देने का भी विशेष महत्व माना गया है। माघ पूर्णिमा पर हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है क्योंकि यह पूर्णिमा भगवान को अत्यधिक प्रिय है। इस पूर्णिमा पर पितरों को श्राद्ध देने का भी महत्व है। पितरों की शांति के लिए गंगा तट पर तिल, कंबल ,कपास, गुड़, घी, मोदक, फल, का दान करना चाहिए।

माघ पूर्णिमा का महत्व

माघ पूर्णिमा के महत्व को इसके फलदायक रूप से समझा जा सकता है। दरअसल, माघ पूर्णिमा पर स्नान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन जो भी मनुष्य भगवान की पूजा, अर्चना और ध्यान करता है, उसे मन इच्छा फल मिलता है। माघ पूर्णिमा सभी पापों का नाश करने वाली है।

माघ पूर्णिमा की पूजा विधि

1. इस दिन सूर्य उदय से पूर्व किसी भी पवित्र नदी, जलाशय में स्नान करके सूर्य मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

2. स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर 11 बार सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए।

3. भगवान विष्णु की पूजन के लिए फल, फूल, घी, चंदन, दूध आदि का प्रवाधान कर पूजन करना चाहिए।

4. माघ पूर्णिमा के दिन दान देना महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन दान में अन्न, कपड़ा, तिल, घी, तेल आदि देने चाहिए।

5. गरीबों को भोजन खिलाने से और ब्राह्मणों का सम्मान करने से माघ पूर्णिमा के दिन भगवान प्रसन्न होते हैं।

माघ पूर्णिमा का व्रत सब पापों का नाश करने वाला होता है जो भी मनुष्य सच्चे दिल से माघ पूर्णिमा का व्रत करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती हैं।

 

FAQs (सबसे अधिक पूछे जाने वाले प्रश्न)


1.माघ पूर्णिमा 2026 पर दान क्यों करें?

A. दान देने से अनगिनत पुण्य फल मिलता है – जैसे पापों की क्षमा, जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और मनोकामना प्राप्ति

2. कैसा दान शुभ होता है?

A. विशेषकर अन्न, वस्त्र, फल, तिल, गुड़, कपास, कपड़े, महंगी चीज़ें और अगर संभव हो तो गायदान भी बहुत शुभ माना जाता है

3. स्नान के बाद की पूजा विधि क्या है?

A. स्नान के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य, तर्पण, व्रत-बद्ध पूजा, सत्यनारायण व्रत, तथा अंत में लक्ष्मी-विष्णु व पूजा का विधान है

4. क्या व्रत ज़रूरी है?

A. व्रत रखने से माघ पूर्णिमा का पुण्य और अधिक बढ़ता है, लेकिन मुख्यतः स्नान और दान की विधि का पालन करना ही पर्याप्त माना जाता है

5. क्या घर पर भी इसका आयोजन कर सकते हैं?

A. हाँ, नदी या कुएँ से दूर रहने पर घर में शुद्ध जल (जैसे गंगाजल मिलाकर स्नान करना) का निर्वाह, दान-पूजा एवं व्रत का निर्वाह घर पर ही किया जा सकता है ।


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