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हर वर्ष हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इसे श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण और विशेष होता है। हरियाली तीज का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। मान्यता यह है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से सुहागिन महिलाओं को अपने पति की लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का पुनर्मिलन हुआ था। हरियाली तीज का नाम सावन के महीने मेंं चारों ओर फैली हुई हरियाली की वजह से पड़ा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह सिंगार करती हैं। हरियाली तीज पर महिलाओं को मायके से आए वस्त्र ही धारण करना चाहिए। इसके साथ-साथ मायके से आई शृंगार की वस्तु का ही प्रयोग करना चाहिए। यह इस पर्व की परंपरा है।
हरियाली तीज के पावन पर्व को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने शिवजी को अपने पति के रूप में पाने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तप किया था। तब जाकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। कहा जाता है कि वह दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया थी। तभी से ऐसी मान्यता है कि, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती सुहागिन स्त्रियों को आशीर्वाद देते हैं। इसलिए हरियाली तीज के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने से सुहागिन स्त्रियों को सौभाग्यपूर्ण जीवन और उनके पतियों को लंबी आयु प्राप्त होती है।
• हरियाली तीज के दिन प्रातः काल उठकर स्नान कर ले।
• इसके पश्चात साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
• इसके बाद अपने मन में व्रत का संकल्प लें।
• इसके बाद एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बनाएं।
• इसके बाद सुहाग की सामग्रियों को थाली में एकत्रित करके माता पार्वती को अर्पण करें।
• इसके पश्चात भगवान शंकर को वस्त्र चढ़ाएं।
• यह सब करने के बाद देवताओं का आह्वान करें और षोडशोपचार पूजन करें।
• अंत में तीज की कथा सुने या पढ़ें।
• वर्ष 2025 में हरियाली तीज जुलाई 27, 2025, रविवार के दिन मनाई जाएगी।
• साथ ही, जुलाई 26, 2025 को 10:43 pm से तृतीया आरम्भ होगी।
• एवं जुलाई 27, 2025 को 22:43 pm पर तृतीया समाप्त होगी।
1. हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है?
यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की खुशी में मनाया जाता है।इसे सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाते हैं।
यह सुहागिनों के लिए विशेष त्योहार है, जो पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।
2. हरियाली तीज पर क्या करें?
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और नए वस्त्र पहनें।
हरी चूड़ियाँ, हरी साड़ी पहनें और मेहंदी लगाएँ।
शिव-पार्वती की पूजा करें और व्रत कथा सुनें।
झूला झूलें और गीत-संगीत के साथ उत्सव मनाएँ।
3. हरियाली तीज पर क्या खाएं?
व्रत भोजन: फल, दूध, साबुदाना खिचड़ी, सिंघाड़े का हलवा।
मिठाई: गुड़ के लड्डू, मालपुआ।
पारंपरिक व्यंजन: घेवर, फेनी (राजस्थान और उत्तर भारत में).
4. क्या कुंवारी लड़कियाँ हरियाली तीज मना सकती हैं?
हाँ! कुंवारी लड़कियाँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस त्योहार को मना सकती हैं।
5. हरियाली तीज और कजरी तीज में क्या अंतर है?
हरियाली तीज: सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया।
कजरी तेज: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया (15 दिन बाद मनाई जाती है)।
6. हरियाली तीज पर क्या न करें?
Pyaz-lahsun का सेवन न करें। नमकीन या तला हुआ खाना न खाएं (व्रत में)।
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