>
गुरु रविदास जयंती भारत में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सामाजिक पर्व होता है। यह महान संत और समाज सुधारक गुरु रविदास जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। गुरु रविदास जी ने समाज को जाति-पाति और भेदभाव से ऊपर उठने का संदेश दिया था। गुरु रविदास जी की शिक्षाएं आज भी समाज को एक नई दिशा प्रदान करती हैं।
गुरु रविदास का जन्म 15वीं शताब्दी में माघ महीने की पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनका जन्म वाराणसी के पास स्थित सीर गोवर्धन गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम रघु और माता का नाम घुरबिनिया था। गुरु रविदास जी एक साधारण परिवार से आत थे, जो जूते बनाने का काम करता था।
गुरु रविदास जी बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। उन्होंने समाज में फैली जातिगत भेदभाव और असमानता के खिलाफ आवाज उठाईथी। वे भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। उनका जीवन एक उदाहरण है भक्ति, प्रेम और करुणा से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
गुरु रविदास जी ने समाज को समानता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया था। उनकी प्रमुख शिक्षाएं निम्नलिखित हैं:
समानता का सिद्धांत:
गुरु रविदास जी ने सिखाया था कि सभी मनुष्य समान हैं। जाति, धर्म और सामाजिक वर्गों के आधार पर भेदभाव करना बहुत ही गलत है।
ईश्वर की भक्ति:
गुरु रविदास जी ने बताया कि ईश्वर हर किसी के अंदर मौजूद है। उन्हें मंदिरों या विशेष स्थानों पर खोजने की आवश्यकता नहीं है,बल्कि वे हमारे भीतर ही है।
कर्म का महत्व:
गुरु रविदास जीने सिखाया कि मनुष्य के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं। अच्छे कर्म करने से ही जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
भ्रष्टाचार और कुरीतियों का विरोध:
गुरु रविदास ने समाज में फैली कुरीतियों जैसे की जातिवाद, अंधविश्वास और सामाजिक असमानता का विरोध किया गुरु रविदास जी ने।
गुरु रविदास जी की प्रसिद्ध उक्ति "मन चंगा तो कठौती में गंगा" इस बात का प्रतीक है कि यदि मन शुद्ध है, तो हर जगह पवित्रता और ईश्वर का वास है।
गुरु रविदास जयंती, 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाएगी। इस दिन भक्तजन उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।
गुरु रविदास जयंती को विशेष उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग निम्नलिखित कार्य करते हैं:
प्रभात फेरी:
सुबह के समय भजन-कीर्तन करते हुए प्रभात फेरी निकाली जाती है। इसमें भक्तजन गुरु रविदास के भजनों का गायन करते हैं।
विशेष पूजा:
गुरु रविदास के मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। उनकी प्रतिमा का अभिषेक किया जाता है और उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।
भजन-कीर्तन:
गुरु रविदास की शिक्षाओं पर आधारित भजन-कीर्तन और उपदेश दिए जाते हैं। लोग उनके पदों का पाठ करते हैं और उनकी शिक्षाओं को दोहराते हैं।
लंगर:
कई जगह गुरु रविदास जयंती पर लंगर (सामूहिक भोजन) का आयोजन किया जाता है। यह जाति-पाति से ऊपर उठकर समानता का प्रतीक है।
गुरु रविदास जी ने कई भजन और पदों की रचना की। उनके कुछ प्रसिद्ध पदों में शामिल हैं:
"बेगमपुरा शहर को नाम"
यह भजन उस आदर्श समाज का वर्णन करता है जहां कोई दुख, गरीबी या भेदभाव नहीं है।
"मन चंगा तो कठौती में गंगा"
इसका अर्थ है कि यदि मन शुद्ध है, तो हर जगह गंगा जैसी पवित्रता है।
"जो हरि को भजे, सो हरि का होए"
यह पद भगवान की भक्ति और समर्पण के महत्व को दर्शाता है।
गुरु रविदास ने अपने समय में समाज को एक नई दिशा दी थी। उन्होंने समाज में फैली कई कुरीतियों को खत्म करने का प्रयास किया था। उनके योगदान को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
जातिवाद का विरोध:
गुरु रविदास जी ने जातिगत भेदभाव का खुलकर विरोध किया था। उन्होंने बताया कि हर इंसान समान है और सभी को समान अधिकार मिलने चाहिए।
सामाजिक सुधारक:
गुरु रविदास जी समाज सुधारक थे जिन्होंने महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और समाज में समानता की वकालत की।
भक्ति आंदोलन:
गुरु रविदास जी की भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। उन्होंने भक्ति के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का काम कियाथा ।
आज के समय में जब समाज में भेदभाव, जातिवाद और असमानता की समस्याएं बनी हुई हैं, गुरु रविदास जी की शिक्षाएं अत्यंत प्रासंगिक हैं। उनके विचार हमें यह सिखाते हैं कि हमें एक समान और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए प्रयास करना चाहिए।
धार्मिकता केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। असली धार्मिकता हमारे कर्मों में दिखाई देती है। यदि हम अपने कर्मों को सुधारते हैं और समाज के लिए भलाई का काम करते हैं, तो वही सच्ची भक्ति होती है।
गुरु रविदास जयंती हमें उनके जीवन और आदर्शों को याद करने का अवसर देती है। उनकी शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि प्रेम, भाईचारा और समानता ही समाज को बेहतर बना सकते हैं।
गुरु रविदास जी के विचार और सिद्धांत आज भी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। हमें उनके दिखाए गए मार्ग पर चलकर एक न्यायपूर्ण और समरस समाज की स्थापना करनी चाहिए। गुरु रविदास जयंती के अवसर पर हमें उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए।
Angarak Dosh से मुक्ति पाने के लिए शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय, प्रभाव, लक्षण और Angarak Dosh ke upay जानें।...
Ahoi Ashtami in Hindi - अहोई अष्टमी 2025 सोमवार, 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी। पूजा मुहूर्त: शाम 4:00 बजे से 8:00 बजे तक। अहोई माता व्रत की विधि, कथा और म...
गणेश चतुर्थी कब है यह दिन भगवान गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व 10 दिन तक चलता है और गणेश चतुर्थी के 10 दिनों में क्या करें।...
Ram Vivah Panchami - जानिए Vivah Panchami kab hai और इस पावन त्योहार का महत्व, जिसमें भगवान राम और माता सीता के दिव्य विवाह का उत्सव मनाया जाता है। सभ...