>

ब्रहस्पतिवार व्रत विधि

जानिए ब्रहस्पतिवार व्रत के बारे में पूरी जानकारी और विधि

जब भी हमारी जिंदगी में कोई बाधा आती है तो हम भगवान को याद करते है और फिर व्रत रखना शुरू करते है। जी हां, व्रत करना अच्छी बात है अगर आप किसी समस्या में है तो। तो आज हम बात करेंगे गुरूवार अर्थात ब्रहस्पतिवार व्रत के बारे में और जानेंगे कि इसकी विधि क्या है और क्या फायदे होते है।

सबसे पहले तो आपको बता दें कि ब्रहस्पतिवार को विष्णु भगवान एवं बृहस्पति देव दोनों की पूजा होती है, जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। वहीं कुँवारी कन्याएं भी इस व्रत रखती है ताकि उन्हें अच्छा जीवन साथी मिले और कोई रुकावटें न आएं। कुछ ज्योतिषों का यह कहना है कि यदि कोई एक वर्ष तक गुरुवार के दिन नियमित रूप से व्रत करते हैं तो आपके घर में कभी भी पैसे रुपयों की कमी नही होती और हमेशा धन में वृद्धि होती है।

जैसा कि आपको बता दें कि एक साल में 16 गुरुवार व्रत रखना बहुत लाभदायक माना जाता है। इससे जो फल चाहिए वो मिल जाता है। 

भारत के जाने माने ज्योतिषियों द्वारा जाने भगवान बृहस्पति देव की पूजा विधि का सही तरीका।  अभी बात करने के लिए क्लिक करे।

ब्रहस्पतिवार व्रत को शुरू करने का सबसे अच्छा समय

तो अब आपके मन में यह सवाल उठता है कि आखिर कब से बृहस्पतिवार का व्रत शुरू करें तो पौष के महीने को छोड़कर आप इस व्रत को किसी भी माह के शुक्लपक्ष के पहले गुरुवार को शुरू कर सकते हैं। हालांकि ज्यादातर लोगों का यही कहना है कि शुक्ल पक्ष बहुत ही शुभ समय होता है।

यह है ब्रहस्पतिवार व्रत की विधि

तो आपने ऊपर गुरूवार व्रत के बारे में बहुत अच्छे से जान लिया लेकिन अब आपको इसकी विधि भी जाननी चाहिए। तो अगर हम व्रत की विधि की बात करें तो इसके लिए आपको सबसे पहले चने की दाल, गुड़, हल्दी, थोड़े से केले, एक उपला हवन करने के लिए और भगवान विष्णु की फोटो चाहिए होते है और साथ ही केले का पेड़ उपलब्ध हो तो वो भी लाएं। जिस दिन आपका व्रत है उस दिन हमेशा की भांति सुबह उठकर स्नान करें और भगवान की तस्वीर या मूर्ति को साफ़ करना चाहिए। वहीं एक लोटे में पानी लेकर उसमें थोड़ी हल्दी डालकर विष्णु भगवान को स्नान कराना शुभ माना जाता है और फिर एक पीला कपड़ा चढ़ा दें।

इसके बाद भगवान की पूजा अर्चना करें और पीला चावल भी अवश्य चढ़ाएं, घी का दीपक जलाएं। यदि कथा का ज्ञान का है तो उसका वाचन करें। व्रत के दिन जब पूजा अर्चना और हवन होता है तो उस दौरान 5 से 7 या 11 बार ॐ गुं गुरुवे नमः मन्त्र के साथ नाम लें।

एक ख़ास बात यह भी कि इस दिन आप इस दिन आप केले के पेड़ की पूजा करते हैं इसलिए गलती से भी केला न खाएं।

खैर, हम आशा करते है कि आपको गुरूवार व्रत से जुड़ी सारी जानकारी इस आर्टिकल में मिल गयी होंगी, अगर कुछ पूछना चाहते है तो हमें कमेंट करके पूछ सकते है।

ब्रहस्पतिवार व्रत का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ने के लिए क्लिक करे


Recently Added Articles
माता शैलपुत्री - 2024 की नवरात्रि का पहला दिन
माता शैलपुत्री - 2024 की नवरात्रि का पहला दिन

नवरात्रि के पहले दिन, ऐसे ही माता शैलपुत्री की पूजा करें। इस पूजा से वह आपको धन समृद्धि से आशीर्वाद देंगी।...

माँ कुष्मांडा
माँ कुष्मांडा

नवरात्रि के चौथे दिन, माँ दुर्गा को माँ कुष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है। माँ कुष्मांडा देवी हिंदू धर्म के अनुसार एक शेर पर सवार हैं और सूर्यलोक...

स्कंदमाता
स्कंदमाता

नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ दुर्गा की पूजा का प्रारंभ होता है। इस दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। वह बिना संतान की मांग करने वाली नारियों के लिए...

माँ कालरात्रि - नवरात्रि का सातवां दिन
माँ कालरात्रि - नवरात्रि का सातवां दिन

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि देवी दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं। मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को शक्ति...