>

त्रैलंग स्वामी जयंती

भारत में अनेक महान संतों और योगियों ने जन्म लिया है, संतो और योगियों ने अपनी साधना और ज्ञान से पूरे विश्व को आलोकित किया। इसी तरह के महान संतों में से एक संत थे त्रैलंग स्वामी। उनके जीवन में, साधना और शिक्षाओं का हर पहलू हम सभी को आत्मा और परमात्मा के रहस्यों को समझने की प्रेरणा देता है। हर साल यह त्रैलंग स्वामी जयंती के रूप में उनकी स्मृति को जीवंत किया जाता है।

हम त्रैलंग स्वामी के जीवन, उनकी साधना, और उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं के बारे में इस लेख के अंदर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, हम ज्योतिषीय दृष्टिकोण से त्रैलंग स्वामी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को भी समझने का प्रयास करेंगे।

त्रैलंग स्वामी के जीवन का परिचय

त्रैलंग स्वामी का जन्म 1607 ईस्वी में पश्चिम बंगाल के विजयनगर क्षेत्र में हुआ था। असली उनका नाम शिवराम तैलंग था। बचपन से ही वे आध्यात्मिक झुकाव की ओर थे और सांसारिक जीवन की अपेक्षा ईश्वर साधना में अधिक रुचि रखते थे।

त्रैलंग स्वामी की दीक्षा और साधना का आरंभ

शिवराम ने किशोरावस्था में ही सांसारिक बंधनों को त्याग दिया था और संन्यास ग्रहण कर लिया था। त्रैलंग स्वामी को उनके गुरु भगवान विशुद्धानंद सरस्वती ने दीक्षा दी। दीक्षा के बाद त्रैलंग स्वामी काशी (वर्तमान वाराणसी) आए, जो उनकी आध्यात्मिकता और साधना का प्रमुख केंद्र था।

केंद्र में काशी का महत्व

काशी में त्रैलंग स्वामी ने तपस्या और साधना के उच्चतम स्तर को प्राप्त किया। उन्हें भगवान शिव का विशेष रूप से आशीर्वाद प्राप्त था, उन्हें भगवान शिव की साधना का योग और अद्वैत वेदांत के महान ज्ञाता के रूप में स्थापित किया।

आध्यात्मिक उपलब्धियाँ

त्रैलंग स्वामी के जीवन से जुड़ी कई कथाएँ और उनके जीवन की चमत्कारिक घटनाएँ ईश्वरतत्व और साधना की गहराई को दर्शाती हैं।

1. दीर्घायु योगी

त्रैलंग स्वामी का जीवनकाल लगभग 300 वर्षों का बताया जाता है। यह उनकी आध्यात्मिक शक्ति और योग साधना का प्रमाण भी माना जाता है।

2. ब्रह्मचर्य और साधना का आदर्श

उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में ब्रह्मचर्य का पालन किया और उन्होंने अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को जीवन में उतारा। यह उनकी साधना, आत्मा और परमात्मा के मिलन का सर्वोत्तम उदाहरण है।

3. अन्न-जल का त्याग

ऐसा कहा जाता है कि त्रैलंग स्वामी कई वर्षों तक बिना भोजन और जल के जीवित रहे थे। यह सब उनकी उच्चस्तरीय साधना और योग बल का अद्वितीय उदाहरण है।

4. चमत्कारी घटनाएँ

काशी में उनके द्वारा किए गए कई चमत्कार भी प्रसिद्ध हैं। इनमें गंगा नदी के जल को पीने के बजाय उसे दूध में परिवर्तित कर सकते थे, स्वयं को पानी पर तैराना सकते थे, और किसी भी प्रकार की पीड़ा को सहन कर सकते थे इसके अलावा इसमें सी चीज़े शामिल है।

त्रैलंग स्वामी की शिक्षाएँ

त्रैलंग स्वामी का जीवन उनके सभी अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने वालों के लिए प्रकाश स्तंभ का कार्य भी करती हैं।

1. अद्वैत वेदांत का प्रचार

उन्होंने अद्वैत वेदांत को उनके जीवन का आधार बनाया। उन्होंने सिखाया कि आत्मा और परमात्मा अलग नहीं होते; वे एक ही हैं।

2. सत्य और अहिंसा

त्रैलंग स्वामी सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पूरा पालन करते थे। उन्होंने अपने अनुयायियों को सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी दी थी।

3. साधना और तपस्या

त्रैलंग स्वामी ने यह भी सिखाया कि जीवन का मुख्य उद्देश्य आत्मा का शुद्धिकरण और परमात्मा से मिलन है। उन्होंने साधना और तपस्या के लिए खुदको मुख्य साधन बताया।

4. भौतिकता का त्याग

उन्होंने कहा कि सांसारिक सुख-दुख तो केवल माया हैं, और उन सभी से मुक्ति पाने के लिए ध्यान और योग का अभ्यास आवश्यक है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से त्रैलंग स्वामी

त्रैलंग स्वामी जैसे महान योगियों का जीवन ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव से परे भी माना जाता है। फिर भी, ज्योतिष के अनुसार, उनके जीवन से संबंधित कुछ और  महत्वपूर्ण पहलुओं को समझा जा सकता है।

1. जन्म कुंडली का विश्लेषण

यदि त्रैलंग स्वामी की कुंडली का आकलन किया जाए, तो यह भी संभावना है कि उनकी कुंडली में केतु और शनि जैसे ग्रह प्रमुख भूमिका निभाते होंगे।

केतु: केतु वैराग्य, आध्यात्मिकता और मोक्ष का कारक होता है।
शनि: शनि तपस्या, धैर्य और साधना का प्रतीक होता है।

2. गुरु ग्रह का प्रभाव

उनकी शिक्षाओं और अद्वैत वेदांत के प्रति झुकाव में बृहस्पति (गुरु) की विशेष भूमिका भी हो सकती है। बृहस्पति आध्यात्मिक ज्ञान और धर्म का प्रतिनिधित्व करता है।

3. चंद्रमा और मानसिक स्थिरता

त्रैलंग स्वामी की साधना और मानसिक स्थिरता में चंद्रमा का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखता है, क्योंकि चंद्रमा मन और भावनाओं को नियंत्रित करता है।

त्रैलंग स्वामी जयंती का महत्व

त्रैलंग स्वामी जयंती के दिन उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करने का एक अवसर है। यह दिन साधना, ध्यान और उनकी शिक्षाओं को जीवन में अपनाने के लिए समर्पित होता है।

1. साधना और ध्यान

इस दिन, त्रैलंग स्वामी के अनुयायी ध्यान और योग का अभ्यास भी करते हैं, जिससे आत्मा को भी शुद्ध किया जा सके।

2. प्रवचन और सत्संग

अनेक स्थानों पर त्रैलंग स्वामी की शिक्षाओं पर प्रवचन और सत्संग का आयोजन किया जाता है।

3. सेवा और दान

इस दिन दान और सेवा को भी प्रमुख रूप से किया जाता है, जो त्रैलंग स्वामी के जीवन का एक महत्वपूर्ण संदेश है।

 

त्रैलंग स्वामी एक महान योगी और संत थे, जिनकी साधना और शिक्षाएँ आज भी लोगों को प्रेरणा देती हैं। त्रैलंग स्वामी जयंती का दिन हमें उनकी शिक्षाओं को याद करने और अपने जीवन में आत्मसात करने का अवसर देता है।

यह भी पढ़ें:-गुरु गोबिंद सिंह जयंती महान सिख योद्धा संत का सम्मान
 


Recently Added Articles
Angarak Dosh in Hindi - Angarak Dosh ke Upay
Angarak Dosh in Hindi - Angarak Dosh ke Upay

Angarak Dosh से मुक्ति पाने के लिए शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय, प्रभाव, लक्षण और Angarak Dosh ke upay जानें।...

गणेश चतुर्थी 2025 के 10 दिनों में क्या करें
गणेश चतुर्थी 2025 के 10 दिनों में क्या करें

गणेश चतुर्थी कब है यह दिन भगवान गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व 10 दिन तक चलता है और गणेश चतुर्थी के 10 दिनों में क्या करें।...

Ahoi Ashtami in Hindi
Ahoi Ashtami in Hindi

Ahoi Ashtami in Hindi - अहोई अष्टमी 2025 सोमवार, 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी। पूजा मुहूर्त: शाम 4:00 बजे से 8:00 बजे तक। अहोई माता व्रत की विधि, कथा और म...

Ram Vivah Panchami - विवाह पंचमी
Ram Vivah Panchami - विवाह पंचमी

Ram Vivah Panchami - जानिए Vivah Panchami kab hai और इस पावन त्योहार का महत्व, जिसमें भगवान राम और माता सीता के दिव्य विवाह का उत्सव मनाया जाता है। सभ...