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रमा एकादशी एक महत्वपूर्ण एकादशी व्रत है जो हिंदू संस्कृति में मनाया जाता है। यह 'कार्तिक'के हिंदू महीने के दौरान कृष्ण पक्ष की 'एकादशी'पर पड़ता है। यह तिथि अंग्रेजी कैलेंडर में सितंबर से अक्टूबर के महीनों के बीच आती है। जबकि रमा एकादशी कार्तिक के महीने में उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है, यह तमिलियन कैलेंडर के अनुसार 'पूर्तस्सी'के महीने में पड़ती है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र के राज्यों के अलावा, यह 'आश्वज'महीने के दौरान आती है और यहां तक कि देश के कुछ हिस्सों में 'अश्विन'के महीने में मनाया जाता है। रमा एकादशी, दीवाली के त्योहार से चार दिन पहले पड़ती है। इस एकादशी को 'रंभा एकादशी'या 'कार्तिक कृष्ण एकादशी'भी कहा जाता है। यह एक लोकप्रिय धारणा है कि हिंदू भक्त इस दिन पवित्र उपवास रखकर अपने पापों को धो सकते हैं।
रमा एकादशी 2025 तिथि व समय
इस साल रमा एकादशी 17 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी।
एकादशी प्रारंभ: 17 अक्टूबर, 01:08 AM
एकादशी समाप्त: 18 अक्टूबर, 12:18 AM
पारण (व्रत तोड़ने का) समय: 18 अक्टूबर, सुबह 06:32 से 08:43 AM तक
द्वादशी समाप्ति: 18 अक्टूबर, 05:08 PM
रमा एकादशी हिंदू धर्म में एक पवित्र व्रत है, जो भगवान विष्णु की आराधना में मनाया जाता है। यह व्रत पापों का नाश करने, मोक्ष प्राप्ति और सुख-समृद्धि देने वाला माना जाता है। इस दिन भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करने वालों को विशेष फल प्राप्त होता है।
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से शुद्ध करके स्थापित करें।
धूप, दीप, फल, फूल और तुलसी दल से पूजा करें।
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
रात्रि जागरण करके भजन-कीर्तन करें।
अगले दिन सुबह यथासमय पारण करके व्रत तोड़ें।
पापों से मुक्ति मिलती है।
धन-धान्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
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रमा एकादशी के दिन उपवास एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह अनुष्ठान वास्तविक एकादशी से एक दिन पहले 'दशमी'से शुरू होता है। इस दिन भी भक्त कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं और सूर्यास्त से पहले केवल एक बार 'सात्विक'भोजन का सेवन करते हैं। एकादशी के दिन वे बिलकुल नहीं खाते हैं। 'पारण'नामक उपवास अनुष्ठान का अंत 'द्वादशी'तीथि पर होता है। यहां तक कि उपवास नहीं करने वालों के लिए, किसी भी एकादशी पर चावल और अनाज का सेवन करना सख्त मना है।
रमा एकादशी के दिन भक्त जल्दी उठते हैं और किसी भी जलधारा में पवित्र स्नान करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति के साथ पूजा की जाती है। भगवान विष्णु को फल, फूल, अगरबत्ती और धूप चढ़ाई जाती है। भक्त एक विशेष 'भोग'तैयार करते हैं और इसे अपने देवता को अर्पित करते हैं। आरती की जाती है और फिर परिवार के सदस्यों के बीच 'प्रसाद'बांटा जाता है।
'रमा'देवी लक्ष्मी का दूसरा नाम है। इसलिए इस शुभ दिन पर, भक्त समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी का आशीर्वाद लेने के लिए भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करते हैं।
रमा एकादशी व्रत का पालन करने वाले पूरी रात जागरण करते है। वे इस दिन आयोजित भजन या कीर्तन में योगदान देते हैं। साथ ही इस दिन 'भगवद गीता'पढ़ना शुभ माना जाता है।
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