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राहुकाल

राहुकाल ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण समय

ज्योतिष शास्त्र में राहुकाल को एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इस समय में किसी भी शुभ कार्य का आरंभ नहीं किया जाता है, क्योंकि इसे नकारात्मक प्रभाव होता है। राहुकाल के दौरान किए गए कार्यों का परिणाम अनिश्चित होता है। ज्योतिष शास्त्र में, दिन को "आहो" और रात्रि को "रात्रि" कहा जाता है। इन दोनों को मिलाकर "अहोरात्र" शब्द बनता है, जो एक पूरे दिन और रात को दर्शाता है।
एक रात्रि में 24 घंटे होते हैं, और यह 24 घंटे 7 घड़ी में बाँटे गए हैं, जिन्हें "होर" कहा जाता है। एक होर का लगभग 2.5 घंटे का होता है। इसी तरह, रात्रि को आठ प्रहारों में विभाजित किया गया है, जो कि प्रत्येक के लगभग 3 घंटे के होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र: समय का अनमोल महत्व
ज्योतिष शास्त्र एक विज्ञान है जो समय, घटनाओं, और मानव जीवन के अन्य पहलुओं के बीच संबंधों का अध्ययन करता है। इस लेख में, हम देखेंगे कि दिन और रात्रि का समय कैसे ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण है और कैसे यह समय हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है। एक घड़ी का समय लगभग 2.5 घंटे होता है। इन 24 घड़ी को आठ प्रहरों में भी विभाजित किया जाता है: प्रहर का अर्थ है तीन घंटे का समय। प्रत्येक प्रहर को शुभ और अशुभ घड़ी के रूप में भी वर्गीकृत किया जाता है।

चतुष्क घटिका

ज्योतिष शास्त्र में चतुष्क घटिका का भी अध्ययन किया जाता है, जो 24 घंटे को 96 भागों में विभाजित करता है। इन भागों को भी शुभ और अशुभ माना जाता है।ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के काल का भी अध्ययन किया जाता है, जिनमें मुख्य काल निम्नलिखित हैं:
अभिजीत मुहूर्त: यह दिन का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है, जो 11:30 बजे से 12:30 बजे तक होता है।
यामगंध मुहूर्त: यह दूसरा शुभ मुहूर्त है, जो सुबह 7 बजे से 8 बजे तक होता है।
गोधूलि मुहूर्त: यह तीसरा शुभ मुहूर्त है, जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय होता है।
राहुकाल: यह प्रत्येक दिन का वह समय होता है, जब राहु ग्रह सबसे शक्तिशाली होता है।

राहुकाल में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, क्योंकि इसका प्रभाव नकारात्मक माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के काल होते हैं, जिनमें राहुकाल, प्रदोष काल, निश्चित काल, महानिश्चित काल, अभिजीत मुहूर्त और गोधूलि मुहूर्त शामिल हैं।

प्रत्येक काल का अपना महत्व होता है और विभिन्न कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि समय का सही उपयोग करके हम अपने जीवन में सफलता और सुख प्राप्त कर सकते

शुभ कार्य और मुहूर्त:
अनेक प्रकार के कलों में, जैसे कि अभिजीत कल और यामगंध कल, को ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह कल हमारे जीवन में विशेष कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं और इसलिए उन्हें चुनना उत्तम होता है।

राहुकाल:

सोमवार: सोमवार के दिन राहुकाल सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक होता है।
मंगलवार: मंगलवार के दिन राहुकाल दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक होता है।
बुधवार: बुधवार के दिन राहुकाल दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक होता है।
बृहस्पतिवार: बृहस्पतिवार के दिन राहुकाल दोपहर 10:30 बजे से 12:00 बजे तक होता है।
शुक्रवार: शुक्रवार के दिन राहुकाल दोपहर 3:00 बजे से 4:30 बजे तक होता है।
शनिवार: शनिवार के दिन राहुकाल सुबह 9:00 बजे से 10:30 बजे तक होता है।
रविवार:  रविवार के दिन राहुकाल दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक होता है।

 

राहुकाल एक और महत्वपूर्ण समय है जिसे ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व दिया जाता है। यह काल हर दिन के कुछ विशेष समय में होता है और इस समय में किए गए कार्यों का असर प्रारंभ से होता है।
राहुकाल: मैं वर्जित कार्य 
राहुकाल में किए गए कार्यों का प्रभाव नकारात्मक होता है, और इस समय में नए कार्यों की शुरुआत करना अशुभ माना जाता है। यह समय विशेष रूप से धार्मिक कार्य, नई शुरुआतें, यात्रा, विवाह, निर्वाण, या किसी अन्य महत्वपूर्ण कार्य के लिए अभीष्ट नहीं होता है। विवाह या मंगलसूत्र बंधन
नई व्यवसायिक उपाय की शुरुआत
गृह प्रवेश
महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य या पूजा
निर्वाण संबंधी कार्य
यात्रा की नियोजन

राहु काल में क्या करना चाहिए?
राहुकाल में शुभ कार्यों का त्याग कर देना चाहिएऔर आध्यात्मिकता को समय देना चाहिए

राहुकाल का मतलब क्या होता है?
प्रत्येक दिन का एक भाग ऐसा होता है जिसका प्रयोग शुभ कार्यों के लिए नहीं किया जाता है राहुकाल कहा जाता है इसका समय करीब 90 मिनट का होता है
 

राहु काल में बच्चा पैदा हो तो क्या होगा?
राहुकाल में भी किसी का जन्म हुआ हैतो नकारात्मक प्रभाव नहीं कहा जा सकता है क्योंकि जन्म और मृत्युया दोनों ही हिंदू शास्त्र के अनुसारसूतक में होता है और सूतक का परिमार्जन हिंदू शास्त्र के अनुसार किया जाता है तो इसका दोष स्वत समाप्त हो जाता है


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