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भगवान शिव की शक्ति अपार है, उनका गुणगान सदियों से होता आ रहा है। केवल एक ही रूप में नहीं भगवान शिव के कई रूपों का पूजन किया जाता है। वैसे तो भगवान शिव और माता पार्वती को आपने एक ही अवतार में जाना होगा। इनका यही रूप ज्यादा पूजा जाता है और इसी रूप के मंदिर हर जगह मिलते हैं। हम आपको आज एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं। जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती का एक बहुत ही सुंदर और अलग अवतार है। आपने शायद ही भगवान शिव और माता पार्वती के इस अवतार के बारे में जाना होगा। ना केवल अवतार बल्कि भगवान शिव और माता पार्वती का इस मंदिर में नाम भी अलग है। आइए तो जानते हैं, भगवान शिव और माता पार्वती की सबसे अलग नाम के बारे मे, दरअसल, बात उस मंदिर की हो रही है, जो तमिलनाडु के मदुरै शहर में है और मंदिर का नाम मीनाक्षी मंदिर(Minakshi mandir)है। बड़े ही साधारण से नाम पर यह मंदिर है मीनाक्षी। शायद ही आपने ऐसा कोई मंदिर का नाम सुना होगा। हम आपको बता दें कि मीनाक्षी का अर्थ है, जिसकी आंख के मछली की तरह हो।यह मंदिर पार्वती का है। यहां शिव को सुंदरेश्र्वर और माता पार्वती को मीनाक्षी के रूप में जाना जाता है।
मंदिर(Minakshi mandir) की अद्भुत सुंदरता के सामने बड़ी-बड़ी इमारत फीकी पड़ जाती है। मां मीनाक्षी का यह मंदिर विश्व के नए सात अजूबों गिना जाता है। आपको बता दें कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मदुरै के राजा ने माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की और वरदान मांगा कि मां पार्वती उनकी पुत्री के रूप में अवतार लिया। मां पार्वती ने ऐसा ही किया और मीनाक्षी के रूप में राजा की पुत्री हुई। भगवान शिव भी सुंदरेश्र्वर के रूप में तमिलनाडु की मदुरै शहर में आए और मीनाक्षी से विवाह रचाया।
मंदिर का निर्माण लगभग 3500 साल पहले हुआ मंदिर का निर्माण इतना भव्य तरीके से किया गया कि आज भी यह मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। मंदिर में निर्मित कलाएं और अलग-अलग तरह की चित्रकारी के सामने नए जमाने की आर्किटेक्चरों को मात देती है। माना गया है कि मंदिर को 17वीं शताब्दी में बनवाया गया। जो मंदिर में जगह-जगह पर मूर्तियां बनी है और इसकी सुंदरता को किसी राजघराने के महल से कम नहीं आंका है। रानी मीनाक्षी का मंदिर जग में प्रसिद्ध है और यहां पर एक पवित्र सरोवर भी बना हुआ है। जिसमें स्नान करने के मात्र से ही जन्मों-जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। यहां पर हजारों की संख्या में लोग आते हैं और सबसे ज्यादा भक्तों का आना- जाना नवरात्रों और शिवरात्रि पर होता है। इन दिनों यहां पर मेला लगता है, जो धूमधाम के साथ दोनों अवतार की निष्ठा और भाव के पूजा की जाती है।
हजारों सालों से इस मंदिर की विश्वसनीयता लगातार बरकरार है. कहते हैं कि भगवान शिव की जहां पर पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है. दूर-दूर से यहां भक्त अपने कष्टों को लेकर आते हैं और भगवान शिव की मदद से अपने दुख और तकलीफ से मुक्ति प्राप्त कर लेते हैं.
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