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जैसा की हम सब जानते हैं की भगवान गणेश बुद्धि, नई शुरुवात और ज्ञान के देवता है। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश जी की आरती "जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा" का उच्चारण अनिवार्य होता है। भगवान गणेश जी को नयी शुरुवात का प्रतीक माना जाता है इसीलिए किसी भी देवी देवता की आराधना करने से पहले भवान गणेश जी की आरती जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा की वंदना की जाती हैं। भगवान गणेश जी को एकदन्त, गणपति, विनायक के नाम से भी पूजा जाता है। जीवन की खुशहाली, समृद्धि और नयी ऊर्जा के लिए भगवान गणेश जी की आरती "जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा" का गान किया जाता है। आइये जानते हैं गणेश जी की आरती के बोल:
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥