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कुंडली पर मंडराते साए में ग्रहण योग भी शामिल है। जब किसी की कुंडली में ग्रहण योग लगता है तो जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है यानी कि व्यक्ति पर परेशानियों का पहाड़ टूटने लगता है। आपको बता दें कि जब चंद्रमा को राहु दूषित करता है और राहु और चंद्रमा का योग हो जाता है तो इसे चंद्र ग्रहण योग कहते हैं। बिल्कुल इसी प्रकार जब राहु या केतु सूर्य को प्रभावित करते हैं तो सूर्य ग्रहण योग लगता है। ज्योतिष के अनुसार दोनों ही ग्रहण योग जीवन के लिए शुभ नहीं माने जाते है।
आपको बता दें कि चंद्रमा को मन का स्वामी कहा जाता है। यहीं कारण है कि चंद्रमा ग्रहण कुंडली पर लगने से मन प्रभावित होता है। ग्रहण योग से और समस्याएं भी उत्पन्न होते हैं जैसे व्यक्ति को अशांति का अनुभव होना, मन में परेशानियों का कहर टूटना, साथ ही ग्रहण योग के असर से व्यक्ति बेचैन रहता है। संतुष्टि नहीं रहती कभी नींद भी नहीं आती और भी कई गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है।
ग्रहण योग कोई-से भी हो जीवन में बाधाओं का पहाड़ बना देते हैं। इसके प्रभाव से जातक को शारीरिक मानसिक पीड़ा, दूसरों से अपमान सहना, नई तरह की बीमारियां, शत्रुओं का बढ़ना और हर पल कोई ना कोई समस्या से जूझते रहना शामिल है। इसके अलावा नौकरी में प्रमोशन, सामाजिक समस्याएं, जीवन में आर्थिक कमी, यहां तक कि व्यापार में लाभ ना होना भी ग्रहण दोष का प्रभाव होता है। ऐसे में व्यक्ति को सही मार्गदर्शक की जरूरत होती है क्योंकि कुंडली में ग्रहण दोष लगने से सब कुछ बर्बाद होने लगता है।
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			 मेष  | 
			
			 वृष  | 
			
			 मिथुन  | 
			
			 कर्क  | 
			
			 सिंह  | 
			
			 कन्या  | 
			
			 तुला  | 
			
			 वृशिच.  | 
			
			 धनु  | 
			
			 मकर  | 
			
			 कुंभ  | 
			
			 मीन  | 
		
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			 रोग शरीर कष्ट  | 
			
			 चिन्ता कष्ट सन्तान  | 
			
			 शत्रुभय साधारण लाभ खर्च  | 
			
			 स्त्री/पति सम्बंधित परेशानी  | 
			
			 रोग, गुप्त चिंता, संघर्ष  | 
			
			 खर्च अधिक, कार्यो में विलम्ब  | 
			
			 कार्य सिद्धि, लाभ  | 
			
			 धन हानि, खर्च अधिक  | 
			
			 धन हानि, चोट, व्यर्थ यात्रा  | 
			
			 चोट, शरीर कष्ट  | 
			
			 धन हानि  | 
			
			 धन लाभ, उन्नति  | 
		
1. चंद्र ग्रहण 2020 तिथि: 5 जून 2020
2. चन्द्र ग्रहण की शुरुवाती अवधि: रात्रि 11 बजकर 17 मिनट
3. चन्द्र ग्रहण मध्य समय: 01 बजकर 05 मिनट
4. चन्द्र ग्रहण की समाप्त अवधि: 2 बजकर 34 मिनट
5. चन्द्र ग्रहण का पूरा समय: 3 घंटे 59 मिनट
किसी भी संकट से मुक्ति पाने के लिए उस संकट का जानना जरूरी होता है। जैसे ही आपको पता चल जाए कि आपकी कुंडली में ग्रहण दोष है तो ज्योतिष शास्त्र में निवारण बताया जाते हैं। उन उपायों को अपनाकर ग्रहण दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। चलिए आपको बताते हैं कि कौन से हैं वह निवारण जो आपको संकट मुक्त कर सकते हैं।
1. माता-पिता, गुरु और भगवान तीनों हमारे जीवन में सबसे अहम होते हैं। इसलिए संकट के समय में गुरु मंत्र का जाप करें, माता पिता की सेवा करें और भगवान को जल अभिषेक करें।
2. यदि सूर्य ग्रहण दोष बना है तो नियमित सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं। रविवार को नमक का सेवन ना करें और कन्याओं को लाल वस्त्र का दान करें।
3. चंद्रमा ग्रहण के दोष से बचने के लिए सफेद रंग के कपड़ों का दान करें। हो सके तो हर सोमवार को कन्या पूजन करें और उन्हें सफेद वस्त्र दान में दें। चावल में केसर डालकर कन्याओं को खीर खिलाएं।
4. भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
5. राहु केतु की शांति के लिए श्री राम भक्त हनुमान की चालीसा का पाठ पढ़ें।
6. जहां भी सूर्य मंदिर हो वहां जाने की कोशिश करें और नियमित रूप से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को जल अर्पित करें।
7. भगवान शिव को को खुश करने के लिए गायत्री मंत्र का नियमित रूप से 108 बार जाप करें। ताकि राहु और केतु का प्रभाव कम हो सके।
8. अपने गुरुजनों की आज्ञा का पालन करें साथ ही अतिथियों का सत्कार करें और याद रहे कि गरीबों की सेवा करना ना भूलें।
9. इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए अपने मन को शांत करें और उपयुक्त दिए गए नियमों का पालन करें। इनका पालन करने से अवश्य ही आप अवश्य ही सूर्य-चंद्र ग्रहण से मुक्ति पा लेंगे।