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कुंडली में योग कैसे बनते हैं | तो योग बनने का कारण होते हैं| पॉजिटिव प्लेनेट,( शुभ ग्रह ) पॉजिटिव प्लेनेट, शुभ ग्रहों की तीन श्रेणियां ज्योतिष शास्त्र के अनुसार से बनाई गई है| पहली श्रेणी होती है| पहली श्रेणी, होती हे, शुभ ग्रहों की, शुक्ल पक्ष चंद्रमा, बुध, बर्हस्पति, शुक्र| दूसरी श्रेणी, पाप ग्रहो की, शनि, राहु, केतु, तीसरी श्रेणी तेज ग्रहो की, सूर्य, मंगल, वैसे इन ग्रहो को बहुत से ज्योतिष के आचार्यों ने पाप ग्रह भी माना है| यदि पत्रिका (कुंडली ) के 12 भाव में, शुभ ग्रह युति (दो या इससे अधिक ग्रहों का एक ही स्थान में होना ) करते हैं| या एक दूसरे पर, दृष्टि डालते हैं| या एक दूसरे के भावों (स्थनों) में होते हैं, उस कंडीशन को,”योग” कहा जाता है| अशुभ ग्रह युति (दो या इससे अधिक ग्रहों का एक ही स्थान में होना ) करते हैं | या अपनी अशुभ दृष्टि, डालते हैं| या एक दूसरे के भावों में, होते हैं| तो “दोष” कुंडली में बनता है|
कई प्रकार के दोष, नकारात्मक ग्रहों की, उपस्थिति से, या उनकी युति, से या दृष्टि, से उत्पन्न होते हैं | जिसमें महत्वपूर्ण उदाहरण है, कालसर्पदोष, विषदोष, मांगलिकदोष, दरिद्रदोष, पितृदोष, ऐसे कई प्रकार के, दोष उत्पन्न होते हैं| इन्हीं दोष में, एक दोष महत्वपूर्ण है| “अंगारक दोष” अंगारक दोष, कुंडली उपस्थित, होता है| जब वह कुंडली, के किसी भी भाव (स्थान) में मंगल, और राहु, की युति, हो जाती है| अंगारक दोष का प्रभाव, खास तौर पर, मूल त्रिकोण, और केंद्र भाव, में ज्यादा नुकसान देने, वाला होता है| 2,4,6,8, भाव (स्थान) में, शुभ फल होता है| अंगारक दोष, कई प्रकार से, प्रभावित करता है| प्रमुख लक्षण, अकारण क्रोध, मती भ्रम, आत्महत्या, के विचारों का होना | करियर में असफलता, प्रसनल लाइफ की परेशानी, वैवाहिक जीवन की समस्याएं, जॉब में कई के चेलेंज, हाई लेवल डिप्रेशन, और एंजायटी, यह नकारात्मक प्रभाव “अंगारक दोष” व्यक्ति को देता है| मानसिक समस्याओ, के कारण शारीरिक समस्याएं, भी उत्पन्न हो जाती हैं| ऐसे दोषों का सही समाधान जानने के लिए ज्योतिषी परामर्श लें
जब किसी, जातक का जन्म, होता है| उस समय गोचर, में मंगल, और राहु, किसी एक ही, राशि पर होते हैं| और वह 13 डिग्री, के अंतर्गत होते हैं| इस युति को “अंगारक दोष” कहा जाता है| यदि मंगल, और राहु,लग्न में है| और
मेष लग्न है| वृषभ लग्न है | चौथे घर में कर्क राशि, या सिंह राशि, सातवें घर में, वृश्चिक राशि, मकर राशि में, दसवें घर में, कुंभ राशि, में तुला राशि, में यदि मंगल, राहु, पांचवें घर में है| शुभ राशियों में,और सम राशियों में, और पांचवे, या नवें, घर में हैं| तो उस कंडीशन में “अंगारक दोष” पत्रिका (कुंडली) में उपस्थित, हो जाता है| अंगारक दोष, कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव, जीवन के ऊपर, छोड़ता है|
ज्योतिष शास्त्र, में कई प्रकार के, उपाय बताए गए हैं| सबसे प्रभावी उपाय, है| मंगल ग्रह के मंत्र “ॐ क्रं क्रीम क्रोम सः भोमय नमः” इस मन्त्र के 40000 जप, और राहु के मंत्र “ॐ भ्रं भ्रीम भ्रौं सः रहावे नमः” 72000 सम्पूर्ण जप, 1,12,000, किये जाते हैं| “अंगारक दोष” शांति के लिए, पंचधातु के, लॉकेट, में या अंगूठी, में जितना व्यक्ति का वजन है| उसके वजन के, प्रत्येक 10 किलो, के ऊपर0.8 कैरेट के, हिसाब से, केटआई जेम्स स्टोन, साथ में सच्चामोती, टाइगरआई, का कॉन्बिनेशन, यदि धारण, किया जाए ,या मंगलवार,और शनिवार, को व्रत करने से “अंगारक दोष” के दुष्प्रभाव से, बचा जा सकता है| या ज्योतिषियो से सलहा करके प्रॉपर समाधान करने, पर इससे बचाव कर सकते हैं|
टॉक टू एस्ट्रोलॉजर कुंडली में अंगारक दोष से जीवन पर पड़ने वाले असर और समाधान आपकी पत्रिका, में अंगारक दोष है| और आप उस से, पीड़ित है| तो उस स्थिति में, आपको तुरंत एस्ट्रोलॉजर, से टॉक करनी चाहिए| और जरूरी है| टॉक टू एस्ट्रोलॉजर, कुंडली में सबसे, जरूरी कार्य है| कि अंगारक दोष की, पहचान की जाए, अंगारक दोष, की पहचान, और विश्लेषण एस्ट्रोलॉजर कर सकता है| इसलिए तुरंत “टॉक टू एस्ट्रोलॉजर” कुंडली में अंगारक दोष है| या नहीं इससे, जीवन के ऊपर बहुत से, नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं| हम अपने जीवन में, तरक्की नहीं कर पाते, या फिर तरक्की, की राह पर होने के, बावजूद भी, हम पीछे रह जाते हैं| कई प्रकार की समस्याएं, हमारे करियर, में हमारे मैरिज, में हमारे बिजनेस, में हमारी पर्सनल लाइफ, में आ जाती हैं| उनका समाधान, होना बहुत ही, आवश्यक रहता है| और इन समस्याओं, के समाधान हेतु, हमें तुरंत ज्योतिषी परामर्श करनी होती है| ताकि हमें समस्याओं, से समाधान की प्राप्ति, हो सके|ज्योतिष के अनुसार अंगारक दोष का निवारण सही रत्न धारण करके किया जा सकता है।
क्या, आपकी कुंडली में भी, अंगारक दोष है| यदि आपकी कुंडली, में अंगारक दोष है| वह किस अवस्था का है| वह सकारात्मक, अवस्था का है| या नकारात्मक, अवस्था का है| पत्रिका (कुंडली ) के किन भावों, में बन रहा है| कुंडली में राहु, और मंगल, की पोजीशन क्या है| राहु, और मंगल ताकत वर है| या कमजोर है| यह सब बातें महत्वपूर्ण है| आपकी पत्रिका (कुंडली) में अंगारक दोष है| तो आपको परेशान नहीं होना है| बल्कि आपको किसी “विशेषज्ञ ज्योतिषी” से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए | ज्योतिषियों से बातचीत करनी चाहिए, ऐसा नहीं है| कि अंगारक दोष हर प्रकार से, नकारात्मक प्रभाव ही देता है| कई बार सकारात्मक प्रभाव भी आते हैं|
इसलिए यदि आपकी पत्रिका में, अंगारक दोष है| तो डरना नहीं है| बल्कि उसके समाधान, की तरफ ध्यान देना है|
शादी से पहले कुंडली में अंगारक दोष को नजरअंदाज न करें। इसका असर वैवाहिक जीवन पर पड़ सकता है, इसलिए सही और सुखी जीवनसाथी पाने के लिए ज्योतिषीय कुंडली मिलान ज़रूरी है।
क्या आपकी ज़िंदगी में बार-बार रुकावटें आ रही हैं? हो सकता है आपकी कुंडली में अंगारक दोष हो। सही समाधान तभी संभव है जब आपकी कुंडली का गहराई से अध्ययन किया जाए।
अंगारक दोष क्या है?
Ans. जब किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल (Mars) और राहु (Rahu) एक ही भाव में स्थित हों, तब उसे अंगारक दोष कहा जाता है। यह योग जातक के स्वभाव, जीवन में बाधाएँ, और मानसिक अशांति ला सकता है।
कुंडली में अंगारक दोष कैसे पहचानें?
Ans. जब किसी, जातक का जन्म, होता है| उस समय गोचर, में मंगल, और राहु, किसी एक ही, राशि पर होते हैं| और वह 13 डिग्री, के अंतर्गत होते हैं|
अंगारक दोष के क्या प्रभाव होते हैं?
Ans. जीवन के ऊपर बहुत से, नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं| हम अपने जीवन में, तरक्की नहीं कर पाते, या फिर तरक्की, की राह पर होने के, बावजूद भी, हम पीछे रह जाते हैं|
क्या हर अंगारक दोष हानिकारक होता है?
Ans. ऐसा नहीं है| कि अंगारक दोष हर प्रकार से, नकारात्मक प्रभाव ही देता है| कई बार सकारात्मक प्रभाव भी आते हैं| इसलिए यदि आपकी पत्रिका में, अंगारक दोष है| तो डरना नहीं है| बल्कि उसके समाधान, की तरफ ध्यान देना है|
अंगारक दोष के उपाय क्या हैं?
Ans. मंगल ग्रह के मंत्र “ॐ क्रं क्रीम क्रोम सः भोमय नमः” इस मन्त्र के 40000 जप, और राहु के मंत्र “ॐ भ्रं भ्रीम भ्रौं सः रहावे नमः” 72000 सम्पूर्ण जप, 1,12,000, किये जाते हैं|
अधिक जानकारी और उपायों के लिए यह YouTube वीडियो देखें जिसमें अंगारक दोष का विस्तार से वर्णन किया गया है।
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