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पंचक (Panchak)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पांच नक्षत्रों के मेल को पंचक कहा जाता है। ये नक्षत्र हैं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती। इन नक्षत्रों के संयोग से पंचक नक्षत्र आता है। चंद्रमा एक राशि में ढाई दिन रहता है। अत: दो राशियों में चंद्रमा पांच दिन तक रहता है।  इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती से गुजरता है और इस कारण ये पांचों दिन पंचक कहे जाते हैं। जब आप janam kundali by date of birth and time in hindi से अपनी कुंडली बनवाते हैं, तब पंचक नक्षत्र का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जब चंद्रमा 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है तब प्रत्येक महीने में लगभग 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र का चक्र बनता रहता है।

ज्योतिष विद्या के अनुसार जब चंद्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है उस समय को पंचक कहते हैं। पंचक के समय कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है, हालांकि कुछ कार्य ऐसे भी हैं जिनके करने पर पाबंदी नहीं है। इस नक्षत्र को अशुभ माना गया है। इसे अशुभ नक्षत्रों का योग माना जाता है इसलिए पंचक के समय कोई भी शुभ कार्य करना हानिकारक होता है। ऐसी मान्यता है कि पंचक काल में कोई कार्य हो तो पांच बार उसकी आवृत्ति होती है। इसलिए इस समय में किए गए कोई भी कार्य अशुभ नतीजे देते हैं। विवाह, मुंडन जैसे मंगल कार्यों को पंचक के समय करने की मनाही है। पंचक काल या पंचक योग का मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है। अगर आपको यह जानना है कि पंचक योग आपकी व्यक्तिगत कुंडली को कैसे प्रभावित करता है, तो ऑनलाइन ज्योतिष परामर्श लेकर तुरंत सही मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। हर वर्ष इसके अलग-अलग संयोग बनते हैं। इस कारण ज्योतिष शास्त्र में पंचक की गणना अति आवश्यक है।हर वर्ष इसके अलग-अलग संयोग बनते हैं। इस कारण ज्योतिष शास्त्र में पंचक की गणना अति आवश्यक है।

पंचक योग या पंचक काल, हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह पांच दिनों के लिए आता है। इस काल में चंद्रमा कुंभ से मीन राशि में लगभग 5 दिनों के लिए रहता है। इस अवधि को धनिष्ठा पंचक के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनिष्ठा पंचक को अशुभ माना जाता है और इस समय किए गए कार्य एक बार में पूरे नहीं होते हैं। इसलिए हर वर्ष पंचक काल की तिथि और समय की गणना की जाती है।

पंचक के प्रकार

1. रोग पंचक- रविवार के दिन प्रारंभ पंचक को रोग पंचक कहा जाता है। इसमें मनुष्य को पांच दिन शारीरिक एवं मानसिक तनाव रहता है। यह पंचक हर तरह के मांगलिक कार्यों में अशुभ माना गया है।

2. राज पंचक- सोमवार को प्रारंभ होने वाले पंचक को राज पंचक कहा जाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इस पंचक के समय सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है। इस पंचक के दौरान संपत्ति से जुड़े कार्य करना शुभ माना जाता है।

3. अग्नि पंचक- मंगलवार को शुरू होने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहा जाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी के कार्य आपके हम में होंगे। इस पंचक में निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना जाता है।

4. मृत्यु पंचक- शनिवार को प्रारंभ होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है।  इस पंचक के दौरान मनुष्य को मृत्यु के समान कष्ठ से गुजरना पड़ता है। शारीरिक अथवा मानसिक दोनों तरह से मनुष्य को मृत्यु पंचक के समय पीड़ा उठानी पड़ती है।  इसके प्रभाव से दुर्घटना, चोट लगने का खतरा बना रहता है।

5. चोर पंचक- शुक्रवार को शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहा जाता है। इस पंचक में यात्रा वर्जित है। चोर पंचक के समय लेन-देन, व्यापार संबंधित कार्य नहीं करने चाहिए। इससे धनहानि होती है।

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पंचक नक्षत्र और इनके प्रभाव: 

1. धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है। इस काल में अग्नि से उत्पन्न किसी दुर्घटना की आंशका बनी रहती है।

2. शतभिषा नक्षत्र में कलह-क्लेश और शारीरिक कष्ट का योग बनता है।

3. पूर्वाभाद्रपद में रोग का योग बनता है।

4. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में जुर्माना या किसी शुल्क के भुगतान का योग बनता है।

5. रेवती नक्षत्र में धनहानि का योग बनता है। इस काल में मनुष्य को धन संबंधित परेशानी से गुजरना पड़ सकता है।

पंचक काल के समय क्या करें और क्या ना करें

1. पंचक काल के समय गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, भूमि पूजन, रक्षाबंधन और भाई दूज मनाया जा सकता है। ये कार्य पंचक काल के समय किए जा सकते हैं।

2. पंचक काल के समय शादी, मुंडन और नामकरण संस्कार वर्जित हैं। इन कार्यों को पंचक काल के समय करने की मनाही है।

पंचक के प्रभाव से कैसे बचें

1. पंचक काल के समय दक्षिण दिशा की ओर भ्रमण करने से बचना चाहिए परंतु अगर आपका इस दिशा में जाना आवश्यक है तो आप हनुमान जी को फल का भोग लगाकर उनकी पूजा कर फिर आगे बढ़ें। इससे आपकी यात्रा में पंचक काल का दोष कम हो जाता है।

2. पंचक काल के समय अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो इसके प्रभाव से बचने के लिए शव के साथ 5 पुतले बनाकर अर्थी पर रखे जाते हैं। यह पुतले आटे के या कुश के बने होते हैं। इन पांचों पुतलों का अर्थी में शव के साथ ही पूरे विधि के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है, जिससे कि पंचक दोष समाप्त होता है। मान्यता है कि पंचक काल में किसी की मृत्यु होने से उनके परिवार में अन्य पांच लोगों की भी मृत्यु हो जाती है।

3. पंचक काल के समय अगर आप लकड़ी के बने फर्नीचर या कोई अन्य वस्तु की खरीद-फरोख्त कर रहे हें तो पहले देवी गायत्री की पूजा करें। इससे आपको नुकसान नहीं होगा।

4. घर की छत का निर्माण कार्य अगर आवश्यक है तो मजदूरों को काम पर लगाने से पहले उन्हें मीठा खिलाएं। ऐसा करने से पंचक काल का प्रभाव समाप्त हो जाएगा।

पंचक काल को हिंदू ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इन पांच दिनों में चंद्रमा धनिष्ठा से रेवती नक्षत्रों से होकर गुजरता है और कई शुभ कार्य वर्जित होते हैं। जैसे Mauni Amavasya in Hindi 2026 में लोग मौन और साधना से नकारात्मक ऊर्जा को शांत करते हैं, वैसे ही  Basant Panchami in Hindi 2026 विद्या और सौम्यता की ऊर्जा को बढ़ाने वाला शुभ समय माना जाता है। इसी तरह  Pongal in Hindi 2026 और  Makar Sankranti in Hindi 2026 सूर्य के संक्रमण का संकेत देते हैं, जो पंचक के प्रभाव को समझने में मदद करते हैं। लोहड़ी 2026 भी अग्नि और प्रकाश का पर्व है जो नकारात्मकता को दूर करता है। इन सभी पर्वों की ऊर्जा हमें पंचक योग के शुभ-अशुभ प्रभावों को बेहतर समझने और सही निर्णय लेने की प्रेरणा देती है।

 

 


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