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Raksha Bandhan 2025 - कब है 2025 में रक्षाबंधन पर्व का शुभ मुहूर्त

Raksha Bandhan 2025: तारीख और शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन का पवित्र पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन आता है, यही कारण है कि इसे राखी पूर्णिमा के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह भाई-बहन के अटल प्रेम और विश्वास का प्रतीक त्योहार है। इस दिन बहने अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना करते हुए उनकी कलाई पर रंग-बिरंगे राखियाँ बांधती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को हर संकट से उनकी रक्षा करने का आह्वान करते हैं। कुछ क्षेत्रों में इस पर्व को राखरी भी कहते हैं और यह हिंदुओं के सबसे महान त्योहारों में से एक है।

बहनों का यह सबसे प्यारा त्योहार होता है, यह उन्हें बेसब्री से इंतजार होता है, क्योंकि रक्षाबंधन भाई-बहन का रिश्ता और भी ज़्यादा गहरा और मधुर बना देता है।

आपको बता दें कि इस बत रक्षाबंधन 2025 में 09 अगस्त, शनिवार के दिन पड़ रहा है।

यहाँ रक्टरेशन 2025 के लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी दी गई है:

Raksha Bandhan 2025 तिथि: 09 अगस्त 2025, शनिवार

श्रावण पूर्णिमा तिथि आरम्भ: 08 अगस्त 2025 को शाम 14 बजकर 15 मिनट

श्रावण पूर्णिमा तिथि समाप्त: 09 अगस्त 2025 को रात 01 बजकर 25 मिनट

रक्षाबंधन के लिए शुभ मुहूर्त: 09 अगस्त 2025 को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से रात 08 बजकर 27 मिनट तक

अवधि: 14 घंटे 12 मिनट

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रक्षाबंधन का महत्व

महाभारत के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण के हाथ पर चोट लग गई थी। जिसके बाद माता द्रौपदी ने अपना पल्ला फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांधा था। उस दौरान भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को उनकी जीवन भर रक्षा करने का वचन दिया, तब से ही पवित्र बंधन राखी बंधन के रूप में भी मनाया जाने लगा। एक और ऐतिहासिक कथा के अनुसार, चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने राजा हुमांयू को राखी भेजी और अपनी रक्षा का वचन मांगा। राजा हुमायूं ने कर्णावती का सम्मान रखते हुए, गुजरात के राजा से महारानी कर्णावती की रक्षा की और रक्षाबन्धन की परंपरा शुरू हो गई।

Raksha Bandhan 2025 पर्व का शुभ मुहूर्त

इस बार 09 अगस्त को रक्षाबन्धन का शुभ मुहूर्त सुबह 9:28 मिनट से 21:14 बजे तक है यानी कि 12 घंटे राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है। राखी का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सावन मास बड़ा ही शुभ महीना होता है, इसी माह में भक्तजन भगवान शंकर की कावड़ भी लाते हैं। कहते है कि यहीं से ही हिंदू धर्म के त्योहारों की शुरुआत होती है।

 

Raksha Bandhan 2025 पर्व का शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त : 05:50 से 18:03

रक्षाबंधन 2025 समय अवधि : 12 घंटे 11 मिनट

अपराह्न समय : 13:44 से 16:23

अपराह्न समय अवधि : 2 घंटे 40 मिनट

प्रदोष काल : 20:08 से 22:18

प्रदोष समय अवधि : 02 घंटे 08 मिनट

राखी पूर्णिमा प्रारम्भ : 08 अगस्त 2025, 14:15

राखी पूर्णिमा समाप्त : 09 अगस्त 2025, 13:25

रक्षा बंधन का त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के श्रावण मास में उस दिन मनाया जाता है जिस दिन पूर्णिमा अपराह्ण काल में पड़ती है। साथ ही साथ आगे दिए इन नियमों को भी ध्यान में रखना जरूरी है:

 

1. अगर पूर्णिमा के दौरान अपराह्ण काल में भद्रा चढ गया है तो रक्षाबन्धन नहीं मनाना चाहिए। ऐसे में यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में हो, तो त्यौहार के पूरे विधि-विधान अगले दिन के अपराह्ण काल में करने चाहिए।

2. अगर पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती 3 मुहूर्तों में न हो तो रक्षा बंधन को पहले ही दिन भादो चढने के बाद प्रदोष काल के उत्तरार्ध में मना सकते हैं।

हालांकि पंजाब आदि जैसे कुछ इलाकों में अपराह्ण काल को अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है, इसलिए वहाँ आम तौर पर मध्याह्न काल से पहले राखी का त्यौहार मनाने का चलन है। लेकिन शास्त्रों के मुताबिक भद्रा होने पर रक्षाबंधन मनाने का पूरी तरह मनाही है, किसी भी स्थिति में।

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बहनों के लिए बड़ा ही खास है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन के दिन हर बहन अपने भाई की दीर्घायु के लिए भगवान से प्रार्थना करती है और भगवान को प्रसन्न करके भाई के जीवन में खुशियां मांगती है। इस दिन बहनें मंदिर जाकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करकें, भगवान से विनती करती है कि हे भगवान हमारे भाई की रक्षा करना। आपको बता दें कि रक्षाबंधन के दिन जैसे एक बहन अपने भाई को राखी बांधती है। उसी तरह भाई भी बहन की रक्षा का वचन देते हुए, सुंदर-सुंदर उपहार देते हैं।

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राखी पूर्णिमा 2025 की पूजा विधि

रक्षा बंधन के दिन बहने अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र यानी कि राखी बांधती हैं। साथ ही वे भाईयों की दीर्घायु, समृद्धि व ख़ुशी आदि की मनोकामना भी करती हैं।

राखी को कलाई पर बांधते हुए एक मंत्र पढ़ा जाता है, जिसे पढ़कर पंडित भी यजमानों को रक्षा-सूत्र बांध सकते हैं, वह मंत्र है:

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

इस मंत्र के पीछे भी एक महत्वपूर्ण कहानी है, जिसे अक्सर रक्षाबंधन की पूजा के समय पढ़ा जाता है। एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से ऐसी कथा को सुनने की इच्छा जाहिर की, जिससे सभी कष्टों एवं दिक्कतों से मुक्ति मिल सकती हो। इसके उत्तर में श्री कृष्ण ने उन्हें यह कहानी सुनायी:

पौराणिक काल में सुरों और असुरों के बीच लगातार 12 वर्षों तक युद्ध हुआ। ऐसा मालूम हो रहा था कि युद्ध में असुरों की विजय निश्चित है। दानवों के राजा ने तीनों लोकों पर कब्ज़ा कर स्वयं को त्रिलोक का राजा घोषित कर लिया था। दैत्यों के सताए देवराज इन्द्र गुरु तब बृहस्पति की शरण में पहुँचे और रक्षा के लिए प्रार्थना की। फिर श्रावण पूर्णिमा को प्रातःकाल रक्षा-विधान पूर्ण किया गया।

इस विधान में गुरु बृहस्पति ने ऊपर उल्लिखित मंत्र का पाठ किया; साथ ही इन्द्र और उनकी पत्नी इंद्राणी ने भी पीछे-पीछे इस मंत्र को दोहराया। इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने सभी ब्राह्मणों से रक्षा-सूत्र में शक्ति का संचार कराया और इन्द्र के दाहिने हाथ की कलाई पर उसे बांध दिया। इस सूत्र से प्राप्त शक्तियों से इन्द्र ने असुरों को परास्त किया और अपना खोया हुआ राज पुनः प्राप्त किया।

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रक्षा बंधन को मनाने की एक अन्य विधि भी प्रसिद्ध है। महिलाएँ इस दिन सुबह पूजा के लिए तैयार होकर घर की दीवारों पर स्वर्ण टांग देती हैं। उसके बाद वे उसकी पूजा अर्चना सेवईं, खीर और मिठाईयों से करती हैं। फिर वे सोने पर राखी का धागा बांधती हैं। जो महिलाएँ नाग पंचमी पर गेंहूँ की बालियाँ लगाती हैं, वे पूजा के लिए उस पौधे को रखती हैं। अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने के बाद वे इन बालियों को भाईयों के कानों पर रखती हैं।

पवित्र धागे का महत्व

बहन भाई के हाथ पर पवित्र धागा बांधती है। भाई उसकी जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है। ये कोई परपंरा नहीं बल्कि बड़ा ही पवित्र बंधन है, जो एक धागे में संस्कारों को भी लपेटे हुए है। वो संस्कार जो भाई को बहन के लिए प्यार बढ़ाते हैं और बहन का भाई के प्रति। पुरातन काल से वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा है। बरगद की वृक्ष को स्त्रियां धागा से लपेटकर, रोली, चंदन, धूप और दीप दिखाकर पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती हैं। ऐसे ही कई पेड़ों को धागे से लपेटने की मान्यता है। ठीक ऐसे ही बहन के बांधे एक धागे में भी इतनी शक्ति होती है कि वह भाई के जीवन में खुशियां भर देता है।

भारत में रक्षा बंधन की तारीख 2025-2028 तक

जानिए 2025 से 2028 तक क्या होगी रक्षाबंधन की तिथि

साल तिथि 

2025 : 22 अगस्त

2026 : 28 अगस्त

2027 : 17 अगस्त

2028 : 05 अगस्त

 


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