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इस पर्वत पर आज भी भगवान परशुराम करते हैं साधना

भगवान परशुराम आज भी इस पर्वत पर साधना कर रहे हैं

हिंदू धर्म में कई तरह की प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें महान व्यक्तियों का उल्लेख नियमित रूप से मौजूद हैयह विभिन्न कहानियां भगवान स्थान तथा अलग-अलग समय काल के बारे में है आज हम ऐसी ही एक प्रसिद्ध कहानी के बारे में बात करेंगे जो कि भगवान परशुराम की साधना के बारे में हैपरशुराम राजा प्रसनजीत के पुत्र थे तथा उनकी माता का नाम और उनका था रघुवंशी थे भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है तथा वह भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थेउन्हें भगवान शिव से एक विशिष्ट उपहार मिला हुआ था

उनका नाम राम था परंतु भगवान शिव की निरंतर साधना के कारण उन्हें परशुराम कहा जाने लगा।परशुराम भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से छठवें अवतार थेइस बारे में बहुत सारी कहानियां प्रचलित हैं चाहे वह भगवान गणेश की कहानी हो या भगवान हनुमान की या फिर भगवान कृष्ण या श्री राम की

इस पर्वत पर आज भी तपस्या में लींन हैं भगवान परशुराम

कहानी भगवान परशुराम और महेंद्र गिरी पर्वत के बारे में प्रचलित है जिसके बारे में बहुत से मान्यताएं प्रचलित हैं ऐसी ही एक मान्यता के बारे में आज हम बात करेंगे

जी हां परमेश्वर, हनुमान और अश्वत्थामा की तरह परशुराम भी चिरंजीवी के रूप में जाने जाते हैं और आज भी उनके रहने के सबूत धरती पर मौजूद हैं यह कहानी भी उसी स्थान के बारे में प्रचलित है जिसका नाम है महेंद्र गिरी पर्वत जोकि उड़ीसा के गजपति जिले में परलगमुंडी नामक जगह पर स्थित है यह जगह अपने आप में बहुत सारे रहस्य समेटे हुए हैं

महेंद्र गिरी पर्वत जहाँ मौजूद हैं भगवान परशुराम की तपस्या के अवशेष

इस पर्वत के बारे में बहुत सारी प्राचीन कहानियां प्रचलित हैं तथा काफी सारे धार्मिक मान्यताएं भी इस पर्वत के बारे में प्रचलित हैंप्राचीन और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्वत की बहुत महत्वता हैऐसा माना जाता है कि यह पर्वत महाभारत की कई कहानियों से संबंधित है

इस पर्वत की सबसे प्रचलित कहानी के अनुसार यह स्थान भगवान परशुराम की तपस्या और साधना का स्थान बना था जी हां महेंद्र गिरी पर्वत वन परशुराम की तपस्या का र्स्थान माना जाता है

यहां पर्वत अपनी प्राचीन और धार्मिक मान्यताओं के साथ साथ अपने मनोरम और प्राकृतिक दृश्यों के लिए भी बहुत मशहूर है जहां बहती नदियां और मनोरम पर्वत किस की सुंदरता में और चार चांद लगा देते हैं

यह पर्वत और उसके मंदिर बहुत मशहूर हैं। श्रद्धालु यहां सच्चे मन से पूजा के लिए आते हैं ,इस सच्चे विश्वास के साथ कि उनकी प्रार्थना सुनी जाएगीयात्रियों का तो यहां तक कहना है कि भगवान परशुराम यहां कई बार दिखाई दिए हैं

ठीक इसी तरह महाभारत काल के कई मंदिर भी इस पर्वत पर मौजूद हैंभीम कुंती और युधिष्ठिर के अलावा दुर्गा ब्रह्मा का मंदिर भी यहां काफी मशहूर है

कहा जाता है कि मंदिर का पांडवों ने निर्माण किया थाइस पर्वत पर पहुंचने के तीन रास्ते हैं।आप विश्वास करें या ना करें परंतु यह भी सत्य है की विज्ञान से ऊपर भी एक दुनिया है जो विश्वास भक्ति और श्रद्धा पर आधारित है जो आधारों के परे है तथा किसी तरह का कोई वाद विवाद इस बारे में प्रचलित नहीं है क्योंकि यह सिर्फ विश्वास के ऊपर टिका है

भगवान परशुराम में अपने पूरे जीवन काल में कई त्याग किए थे। उन्होंने 32 हस्त निर्मित वेदों का निर्माण किया था जिसके द्वारा उन्होंने त्याग करने का निर्णय लिया था। महाऋषि कश्यप ने यह विधियां लेकर पूरी धरती पर दक्षिण दिशा में भ्रमण किया तथा परशुराम को धरती छोड़ने का निर्देश दिया परशुराम ने जिसका पालन करते हुए महेंद्र गिरी पर्वत पर निवास किया

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