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Amalaki Ekadashi 2026 - आमलकी एकादशी व्रत 2026 तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व

Amalalki Ekadashi 2026: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस एकादशी को आंवला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की आराधना के सहित आंवले की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सच्चे मन से आमलकी एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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आमलकी एकादशी व्रत तिथि 2026 (Amalaki Ekadashi Vrat Tithi 2026)

फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को अमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। सामान्यत: यह तिथि फरवरी से मार्च के बीच में होती है। अमलकी एकादशी का उत्सव 27 फरवरी 2026 को मनाया जाएगा। यह दिन शुक्रवार है। अमलकी एकादशी का शुभ समय 27 फरवरी 2026 को रात 00:34 बजे से शुरू होकर 27 फरवरी 2026 को रात 10:33 बजे तक है। इस अवधि के दौरान आप सभी भक्तों को धार्मिक विचार-विचार में होना चाहिए।

अमलकी एकादशी: शुक्रवार, 27 फरवरी 2026

व्रत पारणा का समय - सुबह 06:44 बजे से लेकर 09:03 बजे तक

पारणा तिथि पर द्वादशी समाप्त होती है - 28 फरवरी 2026, 08:05 बजे

एकादशी तिथि प्रारंभ - 27 फरवरी 2026, रात 00:34 बजे

एकादशी तिथि समाप्त - 27 फरवरी 2026, रात 10:33 बजे

आमलकी एकादशी का महत्व (Significance of Amalaki Ekadashi Vrat)

मान्यताओं के अनुसार आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा करना अति शुभ होता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के वक्त आंवले को पेड़ के रूप में प्रतिष्ठित किया था। इसी कारणवश आंवले के पेड़ में ईश्वर का वास माना गया है और इसलिए आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर की जाती है। शास्त्रों के अनुसार आमलकी एकादशी करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत का पुण्य एक हजार गौदान के फल के समान होता है।

आमलकी एकादशी व्रत 2026 कथा (Amalaki Ekadashi Vrat Katha 2026)

प्राचीन काल में चित्रसेन नामक एक राजा रहता था। वह बहुत ही धार्मिक और सत्यप्रिय था। उसके समस्त राज्य में एकादशी के व्रत का बहुत महत्व था। राजा सहित सारी प्रजा एकादशी के व्रत को बड़े ही श्रद्धा भाव और विधि-विधान से किया करते थे। राजा बड़े ही निष्ठा से आमलकी एकादशी का व्रत किया करता था।

एक समय राजा शिकार करते-करते जंगल में बहुत दूर चला गया। उसी समय कुछ डाकू राजा को चारों ओर से घेर कर अपने अस्त्र-शस्त्र से प्रहार करने लगे। परंतु जब भी डाकू अपने शस्त्र से राजा पर प्रहार करते वह शस्त्र ईश्वर की कृपा से पुष्प में बदल जाते। अधिक डाकुओं की संख्या होने के कारण राजा बेहोश होकर गिर पड़ा। उसी वक्त राजा के शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई और उसने सारे डाकुओं को मार गिराया, जिसके बाद वह अदृश्य हो गई।

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राजा को जब होश आया तो उसने चारों ओर मरे हुए डाकुओं को पाया। यह देखकर वह अत्यंत आश्चर्यचकित हो गया। राजा के मन में यह विचार आया कि इन डाकुओं को किसने मारा। तभी आकाशवाणी हुई कि हे राजन! तुम्हारे आमलकी एकादशी व्रत करने के प्रभाव से इन दुष्टों का नाश हुआ है। तुम्हारे शरीर से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्णवी शक्ति ने इन दुष्टों का वध किया है। इनका वध कर वह पुनः तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर गई। यह सुनकर राजा को अत्यंत प्रसन्नता हुई एवं एकादशी के व्रत के प्रति उसकी श्रद्धा और भी बढ़ गई। तब राज्य में वापस लौटकर राजा ने सभी को एकादशी के व्रत के महत्व के बारे में बताया।

आमलकी एकादशी 2026 व्रत विधि (Amalaki Ekadashi 2026 Vrat Vidhi)

• एकादशी से 1 दिन पहले सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण ना करें।

• एकादशी के दिन प्रात: काल उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले।

• इसके पश्चात भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

• इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें अथवा उनके सामने घी का दीपक जलाएं।

• इसके पश्चात भगवान विष्णु को आंवला प्रसाद के स्वरूप में अर्पित करें।

• पूजा हो जाने के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे नवरत्न युक्त कलश स्थापित करें।

• धूप, दीप, रोली, चंदन आदि से आंवले के वृक्ष की पूजा करें।

• पूजा के बाद ब्राह्मण एवं जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं।

• अगले दिन यानी द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर ले एवं स्नान करने के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा करें।

• इसके बाद शुभ मुहूर्त पर पारण कर लें।

• यदि संभव हो तो इस दिन गरीबों में दान जरूर करें क्योंकि इससे अत्यंत पुण्य की प्राप्ति होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. आमलकी एकादशी 2026 की तारीख और काल

तिथि: शुक्रवार, 27 फरवरी 2026
एकादशी तिथि प्रारंभ: 27 फरवरी 2026, अध मल्लाह (00:33 बजे रात)
एकादशी तिथि अंत: 27 फरवरी 2026, रात 10:32 बजे तक
पारण (व्रत खोलने) तिथि: 28 फरवरी 2026 सुबह 06:47–09:06 तक
द्वादशी दिन समाप्ति: 28 फरवरी 2026 शाम 08:43 बजे तक पराण अनिवार्य

2. नाम - आमलकी नाम क्यों है?

"आमलकी" का अर्थ आंवला (आमला) है, जो यह व्रत का शीर्ष औषधीय और पवित्र प्रतीक है। आंवला लक्ष्मी और विष्णु की पूजा में श्रेष्ठ स्थान रखता है ।

3. पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व?

मूल कथा में राजा चित्रसेन (या चित्ररथ) 
की उपस्थिति है, जिन्होंने इस व्रत से मोक्ष प्राप्त किया और अद्भुत प्रतिवाद महसूस किया ।
पद्म पुराण के अनुसार, व्रत से पाप 
नष्ट होते हैं, मोक्ष प्राप्त होता है, वैकुण्ठ का दरवाजा खुल जाता है ।

4. पूजा विधि एवं व्रत अनुष्ठान?

संकल्प मảo प्रात: लें, स्नान (आंवले का जल/उबटन शुभ माना गया है) ।
भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ या 
आंवले की पूजा; दीप, धूप, चंदन, पुष्प, अक्षत, रोली एवं फल अर्पण।
दिनभर निर्जला व्रत, कुछ लोगों को आंवला आधारित फलाहार की अनुमति।
रात्रि 
के समय कथा व भजन कीर्तन—विशेषतः विष्णुसहस्रनाम।
द्वादशी 
के दिन ब्राह्मणों  जरूरतमंद लोगों को दान दें—आंवला, जल, वस्त्र इत्यादि; फिर परारण करना।

5. व्रत के लाभ?

माना जाता है कि आमलकी एकादशी व्रत करने से पाप नष्ट होते हैं, आत्मा शुद्ध होती है, मोक्ष की प्राप्ति होती है और वैकुण्ठ में प्रवेश का मार्ग खुलता 
है।
आंवला दान को स्वास्थ्य, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए लाभप्रद समझा गया है ।

6. यदि कोई व्रत छूट जाए?

अनिवार्य है कि द्वादशी तिथि तक इस व्रत का पारण करना होगा। यदि यह छूट जाए, तो अगली एकादशी पर लें—जैसे निर्जला या अन्य महत्वपूर्ण एकादशियों पर


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