शास्त्रों में भगवान गणेश को प्रथम देव बताया गया है। इस प्रकार की कहानियां और कथाएं हमारे ग्रंथों में मौजूद हैं, जिनमें यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि पूजा कार्य में सबसे पहले भगवान श्री गणेश का पूजन करने से जातक को विशेष लाभ मिलता है और वही पूजा सफल मानी जाती है जिसमें भगवान श्री गणेश की सर्वप्रथम पूजा की जाती है। Astrology in Hindi और हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, हिंदू कैलेंडर में प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी होती हैं और चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की प्रिय तिथि मानी गई है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने किया जाता है और यह अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। चतुर्थी के व्रतों को विधि-विधान से करने पर जातक के जीवन से बड़े से बड़े दुख और क्लेश समाप्त होने लगते हैं।
हर महीने विनायक चतुर्थी का व्रत करने से बड़े से बड़े कष्ट जातक के जीवन से दूर हो जाते हैं। साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी इस व्रत का अत्यंत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि पति-पत्नी के बीच लगातार क्लेश बना रहता है या घर में किसी न किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य हमेशा खराब रहता है, तो ऐसे में विनायक चतुर्थी का व्रत करने से भगवान श्री गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उस घर से धीरे-धीरे कष्ट दूर होने लगते हैं। Online kundli in hindi और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, नियमित रूप से विनायक चतुर्थी का व्रत करने से ग्रह दोष शांत होते हैं और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है। विनायक चतुर्थी के व्रत को नियमपूर्वक और हर माह करने से जातक को विशेष लाभ प्राप्त होता है।
मई महीने में कब है विनायक चतुर्थी और विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
साल 2019 के मई महीने में विनायक चतुर्थी 22 मई को पड़ रही है| 22 मई दिन बुधवार को विनायक चतुर्थी है| 22 मई को विनायक चतुर्थी यानि गणेश पूजा का जो समय है वह 21 मई रात 1:41 मिनट से 22 मई 4:41 मिनट तक रहने वाला है|
कई स्थानों पर हिंदू शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता है कि विनायक चतुर्थी का व्रत जितना साधारण और सादगी से किया जाए, उतना ही अधिक फलदायी होता है। इस व्रत के बारे में यदि अधिक लोगों को न बताया जाए तो इसका पुण्य और प्रभाव बढ़ जाता है। साधु-संतों के अनुसार, विनायक चतुर्थी व्रत का दिखावा जितना कम किया जाए, उतना ही अधिक फल प्राप्त होता है। कुंडली मिलान और ज्योतिषीय सिद्धांतों के अनुसार भी जब कोई जातक निस्वार्थ भाव से, बिना प्रदर्शन के व्रत करता है, तो उसके कर्म अधिक प्रभावी होते हैं। विनायक चतुर्थी का व्रत जातक स्वयं के कल्याण के लिए करता है, लेकिन यदि वह इस व्रत का प्रचार-प्रसार करता है या अपनी मान-बड़ाई के लिए बार-बार इसका उल्लेख करता है, तो व्रत के पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं हो पाते।
कैसे करना है विनायक चतुर्थी का व्रत
विनायक चतुर्थी का व्रत करने के लिए किसी भी तरीके की कोई बड़ी तैयारी नहीं करनी होती है| सुबह वह अपने सभी कामों से निकलकर जातक भगवान श्री गणेश की प्रतिमा के सामने ध्यान करें, धूपबत्ती करें और घी का दिया जलाएं| भगवान श्री गणेश की आरती करने और गणेश मंत्र के जाप से भगवान श्री गणेश विशेष प्रसन्न हो जाते हैं|
भगवान श्री गणेश को लड्डू का भोग लगाया जाए और दिन में सामान्य व्रत अनुसार भोजन करने से भगवान श्री गणेश को विशेष प्रसन्नता प्राप्त होती है| रात्रि में एक बार फिर से भगवान श्री गणेश का ध्यान किया जाए और भगवान श्री गणेश के मंत्र उच्चारण करने से जीवन के दुखों का अंत होने लग जाता है|
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