>

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर - यहाँ गैर हिंदुओं का प्रवेश निषेध

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर, यहाँ गैर हिंदुओं का प्रवेश निषेध

भारत में मंदिर, मस्जिद और गुरूद्वारे की कोई कमी नहीं है। क्योंकि यहां संस्कृति और सभ्यता सबसे ऊपर रही है और हमेशा रहेगी। इसके पीछे कारण यह है की हम भारतीयों के पीछे बुजुर्गों का हाथ है। जो हमें संस्कार देकर अपनी सभ्यता को बनाए रखने की सीख देते हैं। तकनीकी के नए जमाने में हमें अपने परमेश्वर को कभी नहीं भूलना चाहिए इसका ही उदाहरण भारत में अच्छे से देखने को मिलता है। यहीं कारण है कि लोगों का मंदिरों पर हमेशा से ही विश्वास बना रहा है। आज हम आपको ऐसे ही सबसे विशाल मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो लगभग 150 मीटर वर्ग में फैला हुआ है और मंदिर का शिखर 180 फुट ऊंचा है। दरअसल, यह मंदिर लिंगराज मंदिर के नाम से प्रसिद्ध भुवनेश्वर शहर में है। जो उड़ीसा राज्य की राजधानी है। जहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है। यह मंदिर भक्तों के लिए सबसे विश्वास और प्रतिष्ठा का स्रोत है।

लिंगराज मंदिर - गैर हिंदुओं का प्रवेश निषेध

दरअसल, इस मंदिर को हिंदु मंदिर खास दर्जा दिया गया है, इसलिए केवल हिंदू धर्म के लोग ही मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं। गैर हिंदू को मंदिर के अंदर प्रवेश करने की इज़ाज़त नहीं है। इस मंदिर की रचना और सुंदरता को देखने के लिए गैर हिंदू यहां पर जाते हैं इसलिए उनके लिए मंदिर के पास में ही एक चबूतरा बनवाया गया है। जिससे दूसरे धर्म के लोग मंदिर को देख सकें।

लिंगराज मंदिर का इतिहास

बताया जाता है कि यह मंदिर 6ठीं शताब्दी के लेखों में सम्मलित भी है। वैसे तो यह मंदिर बहुत पुराना है लेकिन इसका वर्तमान निर्माण 11 वीं शताब्दी में माना जाता है। इस दौरान सोमवंशी राजा जजाति ने मंदिर का निर्माण कराया था।

मंदिर के पास में ही बिंदुसागर सरोवर है। जिसमें भारत के प्रत्येक झरने और तालाबों का जल इकट्ठा होता है। जो भी भक्त यहां पर आता है और इस तालाब में स्नान करता है। वो निश्चित रूप से पापों से मुक्ति पा लेता है। सरोवर के पीछे एक कहानी भी छिपी हुई है। कहा जाता है कि लिटी तथा वसा नाम के दो भयंकर राक्षस का वध देवी पार्वती ने इसी जगह पर किया था। युद्ध के बाद माता को भयानक प्यास लगी और जिसें बुझाने के लिए भगवान शिव ने सभी पवित्र नदियों को योगदान के लिए बुलाया और सरोवर बनाया गया। इस प्रकार माता सरोवर के जल से माता पार्वती ने अपनी प्यास बुझाई।

आपको बता दें कि इस मंदिर में भगवान भुवनेश्वर की चमत्कारी मूर्ति का पूजन किया जाता है। इस चमत्कारी मूर्ति को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं और अपनी मनोकामना को पूर्ण कराते हैं। श्री भुवनेश्वर भगवान शिव का अवतार है। इस मंदिर में भुवनेश्वर की चमत्कारी मूर्ति को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। 

यहां पर शिवरात्रि का उत्सव बड़े ही जोरों-शोरों के साथ मनाया जाता है। आपको बता दें कि मंदिर के प्रांगण में तीन छोटे-छोटे मंदिर और बने हुए हैं जिनमें भगवान् गणेश, कार्तिकय् और माता गोरी की मूर्तियां हैं। यानी की भगवान शिव यहां पर पूरे परिवार के साथ रहते हैं। इसलिए कहा जाता है कि जो भी अपनी मन की कामना को पूरा कराना चाहता है वह भगवान श्री भुवनेश्वर के मंदिर में जरूर जाएं।

 


Recently Added Articles
कात्यायनी माता नवरात्रि का छठे दिन की पूजा
कात्यायनी माता नवरात्रि का छठे दिन की पूजा

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें से छठे दिन माँ कात्यायनी की आराधना होती है।...

राहुल गांधी की कुंडली का विश्लेषण
राहुल गांधी की कुंडली का विश्लेषण

राहुल गांधी भारतीय राजनीति के एक प्रमुख चेहरे हैं...

चंद्रघंटा माता  नवरात्रि का तीसरा दिन का पूजा
चंद्रघंटा माता नवरात्रि का तीसरा दिन का पूजा

नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। तीसरे दिन चंद्रघंटा माता की आराधना की जाती है।...