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सुंदरता, पवित्रता और अद्भुतता यदि किसी स्थान पर एक साथ मिल सकती है तो वह है मंदिर। जी हां, मंदिर ही एक ऐसा स्थान है, जहां पर सुंदरता के साथ-साथ पवित्रता भी मौजूद रहती है। यहीं इन्हीं सब ने निहित होती है अद्भुतता। जिसे देखने मात्र से ही कोई भी आश्चर्यचकित हो सकता है। वैसे तो भारत में जगह-जगह पर मंदिर स्थित है, लेकिन उनमें से प्रसिद्ध मंदिर कुछ ही संख्या में है। आज हम आपको एक ऐसे ही प्रसिद्ध और अद्भुत मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जो उड़ीसा राज्य के शहर पुरी में जगन्नाथपुरी मंदिर के नाम से मशहुर है। यह मंदिर उन अद्भुत मंदिरों में गिना जाता है जिन्हें देखने के मात्र से ही भगवान के दर्शन हो जाते हैं। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित है। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी रचनाओं से पूरे जगत को बनाया और संवारा है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी से निकलता है और भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर जगन्नाथपुरी मंदिर कहलाता है। जगन्नाथ पुरी भगवान कृष्ण की पावन और पवित्र नगरीओं में गिनी जाती है जिसे धरती का बैकुंठ कहा जाता है। भगवान कृष्ण का यह मंदिर स्मारक स्थलों में गिना जाता है।
1. भगवान जगन्नाथ जगत के दाता हैं जो जगन्नाथपुरी में बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजित है। भगवान की इस पवित्र नगरी को धरती का बैकुंठ कहा जाता है। जो भगवान कृष्ण के प्रिय धामों में से एक है। इस स्थान पर भगवान कृष्ण ने तरह-तरह की लीलाएं करते हुए लोगों का उद्धार किया।
2. इस मंदिर में अनेकों चमत्कारी चीजें हैं, जिसमें शामिल है जगन्नाथ मंदिर के शीर्षक पर लगा सुदर्शन चक्र। इस चक्र को आप किसी भी स्थान से देख लीजिए। आपको हमेशा सामने ही दिखेगा। यही नहीं मंदिर के ऊपर लगे झंडे हमेशा ही वायु की विपरीत दिशा में लहराते हैं।
3. जगन्नाथ पुरी मंदिर में मुख्य गुंबद की छाया आपको कभी भी दिखाई नहीं देगी...यानी कि यह हमेशा अदृश्य रहती है।
4. भगवान जगन्नाथ का मंदिर चमत्कारों से परिपूर्ण है। जिसे देखकर यकीन नहीं होता कि भला ऐसे भी हो सकता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां पर दुनिया का सबसे बड़ा रसोई घर है। जिसमें में 500 रसोईघर है और लगभग 300 लोग भगवान जगन्नाथ जी का भोग बनाते हैं। भगवान का बना प्रसाद कभी भी कम नहीं पड़ता यानी कि भगवान के प्रसाद में इतनी बरकत है कि चाहें लाखों की संख्या में भक्तजन हो लेकिन प्रसाद कम नहीं पड़ेगा।
5. एक और आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि यहां पर भगवान जगन्नाथ का पूजन नहीं होता बल्कि केवल उनका दर्शन किया जाता है। बता दें कि यहां पर भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का हर 12 साल में नव कलेवर होता है। हर 12 साल में नई मूर्तियां बनाई जाती है लेकिन उनका आकार और रूप वही होता है।
6. वैसे तो हर दिन और महीना भगवान का होता है, लेकिन भगवान जगन्नाथ आषाढ़ महीने में भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस समय यहां पर भारी संख्या में लगता है। यह यात्रा दुनिया की सबसे बड़ी रथयात्रा मानी जाती है।
7. यह मंदिर इतना भव्य है कि आप आश्चर्य में पड़ सकते हैं। इस मंदिर का क्षेत्रफल 40,000 वर्ग फुट है वहीं मंदिर की ऊंचाई 214 फुट है।
8. मंदिर को क्षति से बचाने के लिए यहां पर गैर भारतीय धर्म के लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है। क्योंकि विदेशियों द्वारा मंदिर और निकटवर्ती क्षेत्र में घुसपैठ का डर रहता है।
9. मंदिर में आने वालों की भगवान् जगन्नाथ हर मनोकामना पूरी करते है।
10. जीवन में एक बार जरूर भगवान जगन्नाथपुरी में जाना चाहिए। जिससे कि आपको भी धरती के बैकुठ के दर्शन हो सकें।
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