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Christmas 2025 - क्रिसमस डे 25 December को ही क्यों मनाया जाता है

क्रिसमस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

क्रिसमस: ईसाई धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार क्रिसमस ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहार है, जो 25 दिसंबर को प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह दिन पूरे विश्व में हर्षोल्लास, प्रार्थनाओं और उत्सव के साथ मनाया जाता है।

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क्रिसमस का धार्मिक महत्व

बैप्टिसमस ऑफ यीशु मसीह – ईसाई मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ईश्वर के पुत्र यीशु मसीह का जन्म बेथलेहम में हुआ था। उनका जन्म मानवता को पाप से मुक्ति दिलाने और शांति और प्रेम का संदेश देने के लिए हुआ था।

विशेष प्रार्थनाएँ चर्च में – क्रिसमस के अवसर पर चर्च में मध्यरात्रि मास और विशेष प्रार्थना सभाएँ होती हैं, जहां ईसाई समुदाय एकत्रित होकर प्रभु यीशु को याद करता है।

ईसाई नववर्ष की शुरुआत – क्रिसमस उत्सव के बाद ही ईसाई धर्म 
में नए साल की शुरुआत होती है, जिससे इस त्योहार का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

क्रिसमस का सांस्कृतिक महत्व
सांता क्लॉज और 
गिफ्टों का त्योहार – यह त्योहार बच्चों के लिए विशेष रूप से खुशियों लेकर आता है, क्योंकि सांता क्लॉज (सेंट निकोलस) का विश्वास अधिकांश लोगों के बीच प्रचलित है।

क्रिसमस ट्री और 
– घरों, चर्चों और पार्श्व स्थानों पर क्रिसमस ट्री, लाइट और विभिन्न पार्श्व स्थानों जाया जाता है।

पारिवारिक एकता और प्रेम – यह त्योहार परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाया जाता है, जिससे सामाजिक एकता मजबूत होती है।


क्रिसमस का इतिहास

ऐतिहासिक रूप से, पहला क्रिसमस 336 ईस्वी में रोम में मनाया गया था। तब से यह परंपरा पूरी दुनिया में फैल गई और आज यह केवल ईसाइयों तक ही सीमित नहीं, बल्कि एक सार्वभौमिक उत्सव बन चुका है।क्रिसमस का त्योहार भारत के साथ-साथ विश्व के अधिकतर देशों में धूमधाम से मनाया जाने वाला है। क्रिसमस का त्योहार खुशहाली और शांति का प्रतीक है। विश्व में जितने भी ईसाई धर्म से जुड़े हुए लोग हैं वह क्रिसमस डे को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। भारत में भी काफी संख्या में इसाई लोग रहते हैं, इसी कारण से अब जल्द ही बाजारों में क्रिसमस की धूम नजर आने वाली है।

क्रिसमस पर्व का महत्व

इसाई धर्म का अगर कोई सबसे बड़ा त्योहार है तो वह क्रिसमस है। इससे बड़ा इसाई धर्म का त्योहार कोई भी नहीं है, इस दौरान चर्च में विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं और 25 दिसंबर के दिन लोग चर्च में जमा होकर अपने भगवान ईसा मसीह को याद करते हैं। 25 दिसंबर को ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह का जन्मदिन मनाया जाता है और इसी दिन क्रिसमस डे (Christmas day)विश्व में धूमधाम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। क्रिसमस डे खत्म होने के बाद ही जल्द इसाई नया वर्ष शुरू हो जाता है। ऐसा इतिहास में लिखा गया है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ईसवी में मनाया गया था। यह प्रभु के पुत्र जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन को याद करने के लिए मनाया गया था।

25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता हैं क्रिसमस

क्रिसमस के त्योहार पर 24 दिसंबर की आधी रात के बाद प्रार्थनाएं शुरू हो जाती हैं। 24 दिसंबर की रात को चर्च में विशेष तौर पर पूजा की जाती है और प्रार्थना की जाती है। साथ ही साथ बच्चों में उपहार बांटने का सिलसिला भी चलता रहता है।

ऐसा नहीं है कि 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था। क्रिसमस के पीछे की कहानी कुछ और ही है। इनसाइक्लोपीडिया बिर्टेनिका की मानें तो यीशु का जन्म अक्टूबर महीने में हुआ था। इसी तरीके के सबूत इसाई शास्त्रों में मौजूद हैं कि यीशु का जन्म अक्टूबर महीने में हुआ था लेकिन इस तरीके का दावा किया किया गया है कि 25 दिसंबर को इसलिए क्रिसमस डे (Christmas) मनाया जाता है क्योंकि इस दिन रोम के गैर इसाई लोग अजय सूर्य का जन्मदिन मनाते हैं और इसाई चाहते हैं कि यीशु का जन्मदिन भी इसी दिन मनाया जाए।

यही कारण है कि सालों से 25 दिसंबर को क्रिसमस डे यानी ईसा मसीह का जन्मदिन मनाया जा रहा है। इस दिन बुराई पर अच्छाई का दिन बताया गया है और लोग अच्छे कामों से एक नए साल की शुरुआत करते हुए नजर आते हैं। इस साल 2025 में 25 दिसंबर को ही क्रिसमस डे मनाया जाएगा।

जीवन में शुभता और समृद्धि लाने वाले त्योहारों की गहराई जानें। इस बार विस्तार से पढ़ें – Ganesh Chaturthi 2025 | Ganesh Chaturthi in Hindi | Why Ganesh Chaturthi is Celebrated for 10 Days | गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक क्यों मनाई जाती है? | Ganpati Aarti 


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