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पूर्णिमा हमारे जीवन में एक विशेष महत्व रखती हैं क्योंकि पूर्णिमा को एक त्योहार की तरह मनाया जाता है। हर महीने की पूर्णिमा का अलग-अलग महत्व होता है। आज हम आपको चैत्र मास की पूर्णिमा के विशेष महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानना हर किसी के लिए जरूरी है। चैत्र मास (Chaitra Purnima) की पूर्णिमा चैत्र के खत्म होने पर आखिरी दिन मनाई जाती है। यह पूर्णिमा बड़ी ही खास है क्योंकि इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। बाकी पूर्णिमाओं की तरह इस पूर्णिमा के दिन भी व्रत करने का महत्व है जिसमें कई प्रकार से भगवान की पूजा विधि की जाती है।चैत्र पूर्णिमा, जिसे चैत पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर में चैत्र (मार्च - अप्रैल) के महीने में पूर्णिमा आती है। चैत्र पूर्णिमा(Chaitra Purnima) का दिन (मार्च-अप्रैल) भी एक पवित्र दिन के रूप में मनाया जाता है। यह वह दिन है जो दक्षिण भारत में चित्रगुप्त को समर्पित है। इस दिन चित्रगुप्त जो यमराज के सहायक हैं, जो पूरी दुनिया में जन्म और मृत्यु के रिकॉर्ड रखते हैं, उनकी पूजा की जाती है। वह चित्रगुप्त हैं जो इस संसार में हमारे अच्छे और बुरे कार्यों का हिसाब भी रखते हैं, जिसके अनुसार हमें पुरस्कृत या दंडित किया जाता है। यह उत्पात पूर्णिमा के दिन चिथिराई नटचतिरम पर होता है। यह रात में स्वामी पोरप्पडू के साथ मनाया जाता है। इस दिन सर्व योनि कर्म पूजा का श्रेष्ठ फल मिलता है। इस पूजा को करने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और पिछले जन्म के व्यक्ति के कर्मों के बुरे प्रभाव भी क्षमा हो जाते हैं।
1. चैत्र पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने का महत्व है।
2. स्नान करने के बाद भगवान हनुमान की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन भगवान के मंदिर में जाने का भी महत्व है।
3. चैत्र पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा व्रत और हनुमान व्रत दोनों किए जाते है।
4. इस दिन हनुमान जी के साथ भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है और लोग अपने घर पर भगवान सत्यनारायण की कथा करवाते हैं।
5. चैत्र पूर्णिमा के दिन हवन किया जाता है। जिससे पर्यावरण की शुद्धि हो सके।
6. इस दिन भगवान चंद्रमा को अनुष्ठान के एक भाग से अर्ध देने की धार्मिक प्रथा भी मानी जाती है।
7. लोग चैत्र पूर्णिमा के दिन दान और पुण्य के काम करते हैं। ऐसा करने से सभी प्रकार के दुख दर्द दूर हो जाते है।
8. गरीबों को गेहूं चावल भोजन कपड़े आदि देने से भगवान हनुमान खुश होते हैं।
9. चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान भगवान को खुश करने के लिए गुड़ और चने से बंदरों को जिमाने चाहिए। साथ ही मंदिर में भी चने की दाल पंडित को दान में देनी चाहिए।
इस पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा माना जाता है क्योंकि यह पूर्णिमा हिंदू नव वर्ष के प्रारंभ के पश्चात पहली पूर्णिमा मानी जाती है। चैत्र पूर्णिमा हनुमान जी का जन्म दिवस मनाया जाता है। लोग व्रत रखते हैं भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि चैत्र पूर्णिमा पर दान पुण्य करने से पापों का नाश होता है। इस पूर्णिमा को चैति पूनम भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में रास उत्सव रचाया था जिसे महारास के नाम से जाना जाता है। महारास में हजारों गोपियों ने भाग लिया और हर एक गोपी के साथ भगवान कृष्ण नृत्य किया था।
1. चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान हनुमान को खुश करने के लिए उन्हें लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए और व्रत करना चाहिए।
2. भगवान विष्णु को खुश करने के लिए सत्यनारायण की कथा करा कर ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।
3. पापों के नाश और जीवन में खुशियों के लिए गायत्री मंत्र और ओम नमो नारायण मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
4. चैत्र पूर्णिमा पर जरूरतमंद लोगों को दान देने से पुण्य मिलता है।
5. यदि आप भगवान को खुश करना चाहते हैं चैत्र पूर्णिमा का विधिपूर्वक जरूर व्रत करें।
चैत्र पूर्णिमा व्रत 2026 – मुहूर्त और महत्व
दिन: बुधवार, 1 अप्रैल 2026 का
पूर्णिमा तिथि शुरू: 1 अप्रैल 2026, सुबह 07:06 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 2 अप्रैल 2026, सुबह 07:41 बजे
चैत्र मास की पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा (या चैतिपुणम) कहते हैं, यह हिंदू नववर्ष का पहला पूर्णिमा व्रत है – यह व्रत विशेष रूप से हिंदू पंचांग में अत्यंत पवित्र माना जाता है।
तिथि प्रारंभ: 1 अप्रैल 2026, 07:06 AM
तिथि समाप्त: 2 अप्रैल 2026, 07:41 AM
पूजा/व्रत का समय इन समयों के अंदर ही सुरक्षित व्रत माना जाता है।
स्नान: सूर्योदय से पहले पवित्र नदी, कुंड या सरोवर में स्नान करें bhaktibharat.com।
सूर्य अर्घ्य: स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
व्रत व संकल्प: श्री सत्यनारायण व्रत रखें। कथा का पाठ व प्रसाद बनाएं।
चन्द्र पूजन: रात में चंद्र देव को जल अर्पित करें।
दान: गरीबों/जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री, वस्त्र आदि दान करें।
हिंदू नववर्ष: यह चैत्र मास की प्रथम पूर्णिमा पर आता है, जो नए आरंभ का प्रतीक है ।
हेमंत-धर्म: इस दिन व्रत, स्नान और दान से पापों का नाश व पुण्यों की वृद्धि होती है |
हनुमान जयंती: चैत्र पूर्णिमा के दिन ही उत्तर भारत में हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है ।
रास लीला: ब्रज में भगवान कृष्ण की रास लीला का पर्व भी इस दिन मनाया जाता है।
Q1: चैत्र पूर्णिमा व्रत कब से कब तक शुरू और समाप्त होता है?
A: यह 1 अप्रैल 2026 को सुबह 07:06 बजे से शुरू होकर 2 अप्रैल की सुबह 07:41 बजे तक है।
Q2: क्या इस दिन व्रत में कोई विशिष्ट भोजन खाना चाहिए?
A: साधारण उपवास रखकर फलाहार (फल, दूध, साबूदाने की खीर इत्यादि) लिया जाता है, वहीं संध्याकाल में दान व चंद्र पूजन भी जरूरी होता है ।
Q3: क्या इस व्रत में हनुमान जी की पूजा जरूरी है?
A: हनुमान जयंती भी उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा पर आंशिक होती है — इसलिए हनुमानजी की विशेष पूजा व अंजनी पुत्र व्रत भी किया जाता है।
Q4: चैत्र पूर्णिमा व्रत के परिणाम क्या हैं?
A: यह व्रत पापों की नाशकारी, मनोकामना पूर्वक तथा मानसिक शांति देनेवाला माना जाता है। सत्यानारायण व्रत और दान उसे और प्रभावशाली बनाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि चैत्र मास की पूर्णिमा को ही श्री राम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन विशेष रूप से उत्तर और मध्य भारत में हनुमान जयंती मनाई जाती है।